गेहूं की इस वैराइटी से बदल रही खेती की तस्वीर, उच्च श्रेणी का उत्पादन, बीज की भारी डिमांड, किसानों के बीच हुई लोकप्रिय

गेहूं की नवीनतम 1650 Wheat Variety की उत्पादन क्षमता (पैदावार), सिंचाई एवं अन्य सभी विशेषताओं के बारे में आइए जानते हैं..

1650 Wheat Variety | इस वर्ष मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं देश के मध्य क्षेत्र में सितंबर के अंतिम सप्ताह में हुई पर्याप्त बारिश से रबी फसलों के लिए अनुकूल माहौल बन गया है। इस साल किसानों का रुझान चने की बजाय गेहूं की बुवाई की ओर अधिक है। किसान अपने खेतों को गेहूं की बोवनी के लिए तैयार कर रहे हैं और कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों का चयन कर रहे हैं।

किसान खेतों में बखराई कर रहे हैं और कुछ ने सिंचाई के लिए पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। कृषि विभाग के मुताबिक इस वर्ष प्रदेश में रबी सीजन 2025-26 में 138 लाख 85 हजार हेक्टेयर में रबी फसलें लगाई जाएंगी। गत वर्ष 140 लाख हेक्टेयर में रबी फसलें ली गई थीं। दूसरी तरफ अक्टूबर आधा बीत गया है, लेकिन खरीफ की कटाई अभी चल रही है, इस कारण रबी की बुवाई की गति धीमी है।

धान के खेतों में फसल खड़ी है। रबी फसलों में सबसे अधिक गेहूं की बुवाई होगी। इसके लिए किसान उन्नत किस्मों का चयन करके बीज की खरीदी कर रहे हैं। 1650 Wheat Variety किसानों को कम लागत एवं कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली गेहूं की ऐसी ही एक वैरायटी के विषय में आइए जानते हैं..

यह है गेहूं की अधिक पैदावार देने वाली नई वैरायटी

गेहूँ किस्म एच.आई. 1544 (पूर्णा) व अन्य परम्परागत चपाती वाली किस्मों से अधिक उत्पादन, ज्यादा बाजार भाव, अच्छा सुडोल आकर्षक दाना, कम ऊँचाई व कम बीज दर व जल्दी व कम सिंचाई में भी आने वाली, बिमारियों के प्रति प्रतिरोधकता वाली ऐसे सभी गुणों से सम्पन्न आल इन वन किस्म को गेहूँ अनुसंधान केन्द्र (IARI) द्वारा जो कि पूसा नई दिल्ली का एक सहयोगी संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित कर लिया है।

गेहूं की यह नवीनतम किस्म का नाम एच आई 1650 Wheat Variety है। यह किस्म बहुत कम समय में किसानों के बीच खासी लोकप्रिय हो गई है।

इन क्षेत्रों के लिए हुई अनुशंसित

गेहूँ की बॉयो फोर्टीफाईड किस्म एचआई 1650 (पूसा ओजस्वी) देश के मध्यक्षेत्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड क्षेत्र हेतु समय पर बोवनी हेतु अनुशंसित है। 1650 Wheat Variety

गेहूं की यह वैरायटी चपाती, ब्रेड, बिस्किट के लिये उपयुक्त है। इस किस्म का दाना सुडोल, चमकदार, आकर्षक, लम्बाकार रंग अम्बर (सुनहरा) होता है। इस वैरायटी के 1000 दानो का वजन लगभग 50 ग्राम है और बाली में दाने खिरने की समस्या नहीं होती है।

1650 की प्रमुख विशेषताएं

गेहूं की यह वैरायटी बॉयो फोर्टिफाईड होने से इसमें जिंक (42.7), आयरन (39.5) पी.पी.एम. एवं प्रोटीन (11.4%) की मात्रा होने के कारण इसमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में है, जो कि देश में कुषोषण की समस्या को दूर करने में भी यह किस्म उपयुक्त किरम है, 1650 Wheat Variety

वहीं इस किस्म की चपाती क्वालिटी एवं बिस्किट क्वालिटी इन्डेक्स लगभग 7.9 है तथा इस किस्म की सेडीमेटेशन वल्यू (39.00ML) है जो कि इस किस्म को चपाती, ब्रेड, बिस्किट हेतु एक सर्वोत्तम किस्म होने के दावे की तकनीकी रूप से भी पुष्टि करती है।

इस किस्म की बाली सफेद, पत्तियाँ चौड़ी, सतह मोमी, मजबूत पर्ण झूके हुए तथा पौधा मध्यमऊँचाई का लगभग 90-92 से. मी. होता है। इस वैरायटी का पौधा कम ऊँचाई का होने से आड़ा (लाजिंग) पड़ने की समस्या नहीं है। 1650 Wheat Variety

इससे अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादन में बढ़ोतरी इस किस्म का पौधा भरा हुआ पत्तियाँ चौड़ी व टिलरिंग अधिक होने से किसानों को अधिक भूसा भी प्राप्त होगा जो कि किसानों को एक अतिरिक्ति आय का लाभ भी निश्चित रूप से देगा।

1650 की बीज दर और उर्वरक प्रबंधन

इस किस्म की बीज दर 100 किलो हेक्टेयर या 40 किलो एकड़, लाईन से लाईन की दूरी 20 से.मी. 1 नवम्बर से 25 नवम्बर तक समय पर बोनी करने पर तथा संतुलित मात्रा में उवर्रक एन.पी. के. 120:60:40 तथा अनुशंसित मात्रा में जिंक तथा समय-समय पर 4-5 सिंचाई देने पर आदर्श परिणाम देती है। 1650 Wheat Variety

इस किस्म का अधिकतम उत्पादन आदर्श परिस्थिति में लगभग 73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है पर व्यवहारिक रूप से कुछ किसानों द्वारा इस किस्म का चमत्कारी उत्पादन 17 क्विंटल बीघा तक भी लिया गया है।

1650 के पकने की अवधि (उम्र) व अन्य जानकारी

किसानी आंकड़ों व जानकारी ने अनुसार यह एक अर्ली किस्म है। इस वैरायटी के पकने की अवधि लगभग 115 से 120 दिन है। जल्दी पकने के कारण यह वैरायटी 2-3 सिंचाई में भी अच्छे मजबूत जड़ तंत्र होने के कारण अच्छा उत्पादन देती है। 1650 Wheat Variety

इसके साथ ही यह किस्म लगभग 23 सभी मुख्य स्टेम रस्ट एवं लीफ रस्ट के लिये प्रतिरोधक किस्म है तथा पाला अवरोधक किस्म होने पाला व बिमारियों से नुकसान की संभावना भी कम रहती है।

यह किस्म कम बीज दर, कम सिंचाई व कम दिवस में आने के कारण कम लागत पर अधिकतम उत्पादन व अच्छे बाजार भाव मिलने के कारण किसानों के बीच जल्द ही लोकप्रिय हो गई है। 1650 Wheat Variety

संक्षेप में HI-1650 (पूसा ओजस्वी) की संपूर्ण जानकारी

यह एक बायोफोर्टिफाइड, उच्च उत्पादन वाली किस्म है, जिसमें जिंक, आयरन और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में है। चपाती, ब्रेड एवं बिस्किट के लिए आदर्श, कम सिंचाई में भी अच्छा उत्पादन देती है। संक्षेप में जानिए गेहूं की इस वैरायटी 1650 Wheat Variety की सभी जानकारी …

गेहू :- रोटी वाला

बीज दर :- 20-25 किग्रा / बीघा

अवधिः- 115-120 दिन

उत्पादनः- 14-16 क्विंटल /बीघा (70 से 80 क्विंटल/हेक्टेयर)

सिंचाई :- 3 से 5

हाइट:- 90-92 सेमी

प्रमुख कैरेक्टर:- दाना लंबा, चमकदार, अम्बर रंग; जिंक 42.7ppm, आयरन 39.5ppm, प्रोटीन 11.4%; बायोफोर्टिफाइड, चपाती/ बिस्किट गुणवत्ता उच्च।

बीज के लिए यहां संपर्क करें –

श्री गायत्री ट्रेडर्स, उज्जैन (सीड्स & फर्टिलाइजर)

मो. नंबर – 9575699947

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