खेत में दानेदार यूरिया डाले या नैनो यूरिया (Best Urea), कौन सा बेस्ट है, आर्टिकल में जानें दोनो के फायदे एवं नुकसान..
Best Urea | फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने एवं उपज बढ़ाने के लिए किसान यूरिया का इस्तेमाल करते हैं। पहले यूरिया सिर्फ सफेद दानों के रूप में मिलता था। लेकिन नैनो यूरिया के लॉन्च होने के बाद किसान भाई के पास दो विकल्प हो जाते है। पहला सफेद दानेदार यूरिया और नैनो तरल यूरिया।
अब किसानों के सामने यह दिक्कत रहती है की, वह सस्ता और कम लागत वाला नैनो यूरिया इस्तेमाल करें या फिर जो सालों से इस्तेमाल आ रहा है वह दानेदार यूरिया डालें।
अधिकतर किसान भाइयों को इसकी जानकारी नहीं रहती है। ऐसे में आज हम आपको चौपाल समाचार के इस आर्टिकल के माध्यम से जानकारी देने जा रहे हैं की किसानों के लिए नैनो यूरिया अच्छा रहेगा या फिर दानेदार यूरिया जो वह सालों से इस्तेमाल Best Urea करते आ रहे हैं। नैनो यूरिया एवं दानेदार यूरिया में क्या अंतर है? इन दोनों के फायदे , नुकसान, कीमत जानने के लिए यह आर्टिकल को अंत तक पढ़े..
दानेदार यूरिया एवं नैनो यूरिया क्या है?
दानेदार यूरिया Best Urea जो की सफेद दाने के रूप में मौजूद रहता है। जबकि नैनो यूरिया तरल या लिक्विड के रूप में मौजूद होता है। दोनों ही पौधे में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करते है। दानेदार यूरिया जिसका ट्रांसपोर्टेशन महंगा है वही नैनो तरल यूरिया का बेहद आसान। इन दोनो में अंतर एवं अन्य जानकारी आर्टिकल में जानें..
दानेदार यूरिया एवं यूरिया में मुख्य अंतर
वैज्ञानिकों के मुताबिक नैनो तरल यूरिया Best Urea के कणों का साइज इतना कम है कि ये पत्ती से सीधे पौधे में प्रवेश कर जाता है। प्रो. तिवारी बताते हैं, “जब हम पत्तियों पर इसका छिड़काव करते हैं तो सारा का सारा नाइट्रोजन पत्तियों को स्टोमेटा (Stoma रंध्र) और फ्लोएम (Phloem) है, उससे इसकी साइज बहुत छोटी रहती है तो जिससे से सीधे ये पत्तियों में प्रवेश हो जाता है और पौधे की जरुरत के अनुसार नाइट्रोजन को रिलीज करता है। जबकि दानेदार यूरिया का नाइट्रोजन सिर्फ एक हफ्ते तक काम में आता है।
वे बताते हैं की, ये बेकार जाने वाली यूरिया हवा, पानी, मिट्टी को सबको दूषित करता था। और अधिक मात्रा देने से खासकर सब्जियों में नाइट्रेट की मात्रा अधिक होने से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
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दानेदार यूरिया एवं नैनो यूरिया में रसायनिक अंतर
नैनो यूरिया Best Urea और साधारण यूरिया के रासायनिक फर्क को डॉ. रालिया साधारण शब्दों में बताते हैं, ” साधारण यूरिया को पौधा आयन (Lon) के रुप में लेता है नैनो यूरिया को पार्टिकल के रुप में होता है। पार्टिकल आयनों का एक समूह होता है। आयन रिएक्टिवेट (रसायन प्रतिक्रिया की अवस्था- जिसके रासायनिक गुण अन्य पदार्थों से मिलने परिवर्तित हो जाएं) की स्थिति होती है, जबकि पार्टिकल (कण) एक स्टैबल (स्थिर) अवस्था होती है।
स्थिर रुप में होने के चलते कण पौधे के अंदर पहुंचकर नाइट्रोजन छोड़ते हैं, जिससे नाइट्रोजन को पौधा बहुत अच्छे तरीके ग्रहण कर पाते हैं।”
दानेदार यूरिया एवं नैनो यूरिया का उपयोग कब करें?
दानेदार यूरिया का उपयोग : किसान साथी लंबे समय से यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं। रबी सीजन के दौरान यूरिया की आवश्यकता Best Urea अधिक होती है। यूरिया आलू एवं गेहूं की फसल बढ़वार के लिए बहुत आवश्यक है। यूरिया में मौजूद तत्वों से दोनों फसल में बढ़वार अच्छी होती है। दानेदार उड़िया को पहली सिंचाई एवं दूसरी सिंचाई के दौरान उपयोग में लेना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार प्रति हेक्टेयर 125 किलो यूरिया का प्रयोग पहली सिंचाई एवं इतनी ही मात्रा में दूसरी सिंचाई के दौरान दानेदार यूरिया का छिड़काव करना चाहिए।
नैनो यूरिया का उपयोग : नैनो तरल यूरिया फसल के सक्रिय विकास के चरणों दो बार उपयोग किया जा सकता है। पहला छिडक़ाव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद (कल्ले निकलते समय/शाखाएं बनते समय) और दूसरा छिडक़ाव पहले छिड़काव के 20 से 25 दिन बाद या फसल Best Urea में फूल आने से पहले करना चाहिए।
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दानेदार यूरिया एवं नैनो यूरिया की कीमत
दानेदार यूरिया – 45 किलो बोरी की कीमत : सब्सिडी सहित 267 रूपये ।
नैनो तरल यूरिया – 50 मिली बोतल की कीमत : 550 रूपये जो की यूरिया की एक बोरी का काम करती है।
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डिटेल जानकारी.. नैनो यूरिया क्या है ?
नैनो तरल यूरिया यानि Best Urea आधा लीटर की शीशी में वो खाद, जो एक बोरी यूरिया से कहीं ज्यादा काम करती है। इफको नैनो यूरिया उर्वरक के रूप में पौधों की नाइट्रोजन की आवश्यकता को पूरा करता हैं क्योंकि नैनो यूरिया पौधों के लिए जैव उपलब्ध है और इसके वांछनीय कण का आकार लगभग 20-50 नैनो मीटर है।
इससे इसका सतह क्षेत्र दानेदार यूरिया से 10,000 गुना अधिक हो जाता है और कणों की संख्या भी (1 मिमी दानेदार यूरिया पर 55,000 नाइट्रोजन कण अधिक) बढ़ती है। नैनो तरल यूरिया, दानेदार यूरिया से सस्ती भी है। नैनो तरल यूरिया उपज Best Urea बढ़ाने का एक साधन है, ये उपज की गुणवत्ता बढ़ाने का साधन है। साथ ही इससे खेती की लागत में भी कमी आती है।
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नैनो यूरिया का प्रयोग कैसे करें?
Best Urea विशेषज्ञों के अनुसार, नैनो यूरिया का 2-4 एमएल प्रति लीटर पानी (या 250 मिली / एकड़ 125 लीटर पानी में) के घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए। नैनो यूरिया का उपयोग या छिड़काव सभी फसलों पर किया जा सकता है जिसमें अनाज, दालें, सब्जियां, फल, फूल, औषधीय और अन्य शामिल हैं। इफको के मुताबिक इसके धान, आलू, गन्ना, गेहूं और सब्जियों समेत सभी फसलों पर बेहद अच्छे परिणाम मिले हैं।
उत्तर प्रदेश में इफको के राज्य विपणन प्रबंधक अभिमन्यु राय कहते हैं, नैनो तरल यूरिया के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा है कि धान, गेहं, तिलहन और सब्जियां जो भी उगाई जाती हैं उनकी क्वालिटी बढ़ती है। 500 लीटर की यूरिया Best Urea की शीशी पूरे एक एकड़ खेत के लिए काफी है। साथ में इसका प्रयोग करने से पर्यावरण,जल और मिट्टी में जो प्रदूषण हो रहा है वो नहीं होगा।
नैनो तरल यूरिया से बचेगी सरकार की करोड़ों की सब्सिडी
रासायनिक उर्वरकों Best Urea पर सरकार भारी सब्सिडी देती है। नवंबर 2021 की बात करें तो जो यूरिया 266.50 पैसे की 45 किलो मिलती है सरकार उस पर 2000 रुपए प्रति बोरी की सब्सिडी देती है। ताकि किसानों को सस्ती यूरिया मिलती रहे। इफको के यूपी में मार्केटिंग हेड अभिमन्यु राय के मुताबिक नैनो यूरिया से सरकार की बहुत बड़ी राशि भी बचेगी जो कंपनियों और विदेशों को सब्सिडी के रुप में जाती है।
वो कहते हैं, “यूरिया Best Urea पर बहुत बड़ी राशि सरकार सब्सिडी के रुप में कंपनियों को देती है। जो यूरिया किसान को 266.50 रुपए की बोरी मिलती है, सरकार उस पर 1000-2000 रुपए तक सब्सिडी देती है, ये सब्सिडी समय-समय पर बदलती रहती है। जिस आधार पर विदेश से इंपोर्टेड यूरिया मिलती है उसी के आधार पर सब्सिडी घटती-बढ़ती रहती है। इस वक्त यूरिया पर करीब 2000 रुपए की सब्सिडी है। तो उस सब्सिडी की बचत होगी।”
रासायनिक उर्वरकों को फैक्ट्री से रिटेल प्वाइंट यानि बिक्री तक पहुंचाना भी बड़ा काम है। राय के मुताबिक नैनो तरल यूरिया से ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरोज में बहुत बड़ी बचत होगी। अभी एक रैक (52000 बोरी) तो पूरी ट्रेन आती है लेकिन नैनो तरल यूरिया Best Urea की 52000 बोतलें तो सिर्फ एक ट्रक में ही आ जाएंगी। भारी भरकम गोदाम की जरुरत नहीं होगी। और किसान को ले जाने में फायदा है।
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