अब एकड़ में 15 नहीं, 35 क्विंटल होगी पैदावार, गेंहू की नई किस्म से किसान होंगे मालामाल

Wheat New Variety 2023 : भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल ने विकसित की गेंहू की 5 नई किस्में, 1 हेक्टेयर में मिलेगी 80 क्विंटल तक पैदावार.

Wheat New Variety 2023 | खेती घाटे का सौदा है, ये आप सालों से सुनते आ रहे हैं, लेकिन अब ये बीते वक्त की बात होने वाली है। किसानों की बल्ले-बल्ले होने वाली है। अन्नदाता पर पैसों की बरसात होने वाली है। जी हां, भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने असंभव को संभव कर दिखाया है। गेहूं की ऐसी किस्म तैयार की है, जो किसानों की किस्मत बदल देगी।

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं की पांच नई किस्में विकसित की हैं। गेहूं ये बीच किसानी में क्रांति ला सकते हैं। दावा किया गया है कि गेहूं की नई किस्म से एक हेक्टेयर में 80 क्विंटल तक की पैदावार होगी। खासकर उत्तर भारत के किसानों को इसका ज्यादा फायदा मिलेगा। जानें कौन सी है वह गेंहू की नई किस्में Wheat New Variety 2023 एवं उनकी खासियत क्या है?

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा 5 नई किस्में विकसित

गेहूं की ये किस्म बदल देगी किसानों की किस्मत

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने गेहूं Wheat New Variety 2023 की पांच नई किस्में विकसित की हैं। गेहूं की नई किस्मों के तकनीकी विकास के लिए भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. नई दिल्ली में केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने ये पुरस्कार दिया है।

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि इस वर्ष गेहूं की 5 नई किस्मों डीवीडब्ल्यू 370, 371, 372, 316 और डीबीडब्ल्यू 55 को लाइसेंसिंग के लिए बाजार में उतारा जाएगा। निदेशक ने कहा कि गेहूं के तीसरे अनुमान के अनुसार गेहूं का देश में कुल उत्पादन 12 मिलियन टन Wheat New Variety 2023 से भी अधिक रहा है जो एक रिकॉर्ड है।

डीबीडब्ल्यू 327 (DBW -327) से होगी 80 क्विं./हेक्टे. पैदावार

भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान Wheat New Variety 2023 करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि गेहूं की नई किस्म डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327) से किसानों की किस्मत बदलेगी। प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक उत्पादन मिलेगा। अगर ऐसा होता है तो किसानों के लिए ये बड़ी सौगात है। किसानों का अब बुरा वक्त बीतने वाला है।

संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक, उन्होंने गेहूं की नई किस्म डीबीडब्ल्यू 327 को विकसित किया है, जो फसल विज्ञान तकनीकों की श्रेणी में सर्वोत्तम है। उनका कहना है की, डीबीडब्ल्यू 327 किस्म में बीमारी का प्रकोप बिल्कुल नहीं होता और इसका उत्पादन 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। अगर एकड़ की बात करें तो अभी सामान्य गेंहू की किस्मों से 15 से 20 क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है, लेकिन नई किस्‍म डीबीडब्ल्यू 327 से किसान Wheat New Variety 2023 एक एकड़ में 30 से 35 क्विंटल गेहूं पैदा कर सकेंगे।

उत्तर भारत के किसानों को होगा फायदा

विपरीत मौसम के लिए अनुकूल डीबीडब्ल्यू 327 इन क्षेत्रों में उगा सकेंगे

करनाल संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि गेहूं की नई किस्म डीबीडब्ल्यू 327 Wheat New Variety 2023 पर विपरीत मौसम का भी फर्क नहीं पड़ता। जैसे अगर बारिश कम होती है, धूप ज्यादा है या फिर ठंड कम है तो उसमें भी इस गेहूं की किस्म की पैदावार कम नहीं होती। वहीं इसका फायदा अधिकतर हरियाणा, पंजाब , पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली के किसानों को होगा, क्योंकि यहां की जमीन इस बीज के लिए ठीक है। ये बीज हम किसानों को उपलब्ध करवाएंगे, जिसका फायदा किसानों को काफी होगा।

अब तक पोर्टल से 3 वर्ष में 40 हजार से अधिक ऑनलाइन बुकिंग करवाया

इसके अलावा अन्य तकनीकों, गेहूं Wheat New Variety 2023 की बिजाई मशीन, फसल विविधीकरण और जंगली पालक में बीमारी प्रतिरोधकता की पहचान और उसके प्रबंधन को सम्मिलित किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने जिस सीड पोर्टल का अनावरण किया है, उस पोर्टल के माध्यम से पिछले 3 वर्षों में 40 हजार से भी अधिक किसानों को ऑनलाइन बीज मुहैया कराया गया है।

वैज्ञानिकों के काम का सम्मान

नई दिल्ली में केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने भारतीय गेहूं अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों Wheat New Variety 2023 की मेहनत के लिए सम्मानित किया. इस मौके पर बीज वितरण के लिए सीड पोर्टल का भी अनावरण किया गया। संस्थान ने विकसित गेहूं बिजाई की नई मशीन विकसित की थी।

इस मशीन के व्यवसायीकरण को भी मंजूरी मिल गई है। गेंहू की नई किस्म के साथ चार अन्य तकनीकों के विकास के लिए राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान Wheat New Variety 2023 करनाल को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय डेयरी एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने संस्थान के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह को यह पुरस्कार दिया।

संस्थान ने हाल ही में यह मशीन विकसित की

बता दे की, भारतीय गेहूं एवं जौ Wheat New Variety 2023 अनुसंधान संस्थान, करनाल के कृषि वैज्ञानिकों ने बीते दिनों रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन विकसित की है। इस मशीन की सबसे बढ़ी खासियत यह है की, एक तो यह मशीन फसल कटाई का आसान करेगी साथ ही साथ फसल अवशेष को छोड़कर बुवाई का काम आसानी से कर सकती है। बता दे की, हरियाणा एवं पंजाब में पराली जलाई सामने आती रहती है। पराली जलाई जानें से प्रदूषण फैलता है एवं वहां के लोगो को सांस लेने में भी तकलीफ होती है।

ऐसे में किसान पुरानी फसल के अवशेषों जिसे हरियाणा में पराली कहा जाता है उसे जलाना उनकी मजबूरी होती है। लेकिन अब इस मशीन की सहायता से किसान खेत में बिना पराली हटाए बिना नई फसल की बुवाई Wheat New Variety 2023 आसानी से कर सकेंगे। इस मशीन का प्रयोग करने के लिए फसल अवशेषों को हटाने की जरूरत नही होती है। इसलिए यह रोटरी डिस्क ड्रिल मशीन किसानों का उत्पादन बढ़ाने के साथ उनकी आय में भी वृद्धि करेगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें..https://choupalsamachar.in/rotary-disc-drill-machine/

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4 thoughts on “अब एकड़ में 15 नहीं, 35 क्विंटल होगी पैदावार, गेंहू की नई किस्म से किसान होंगे मालामाल”

  1. मध्य प्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र जिला सतना-मैहर के लिए गेहूँ की कौन सी प्रजाति अच्छी व अधिक पैदावार के लिए उपयुक्त होगी। कृपया बताए।

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