सिंगल सुपर फॉस्फेट से लहलाएगी फसल, उपज में होगी वृद्धि, जानें इसके फायदे एवं 50 किलो बोरी की कीमत

किसानों को खेत मे Single Super Phosphate क्यों डालना चाहिए?, इसके क्या फायदे है?, एवं सिंगल सुपर फॉस्फेट 50 किलो बोरी कितने में मिलेगी जानिए सबकुछ..

Single Super Phosphate | उपज बढ़ाने के लिए आज की खेती में फर्टिलाइजर एवं यूरिया डालना आम बात है। खरीफ सीजन के बाद अब रबी सीजन आने वाला है। सभी किसान भाई खाद बीज लेने में जुटे है। ऐसे में आज हम आपको सिंगल सुपर फास्फेट यानी कि सुपर खाद की पूरी जानकारी देने जा रहे है।

आपको बता दे की, सिंगल सुपर फास्फेट यानी कि सुपर खाद अन्य खाद (Fertilizer) के मुकाबले खेती के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक डीएपी (DAP) के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट Single Super Phosphate का उपयोग करना फायदेमंद है। यहां हम आपको चौपाल समाचार के इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे की सिंगल सुपर फॉस्फेट किसानों के लिए किस प्रकार वरदान साबित होगा। इसके फायदे, उपयोग करने की विधि एवं सिंगल सुपर फॉस्फेट की 50 किलो की कीमत कितनी रहती है। तो आइए जानें इसकी पूरी डिटेल..

किसानों के लिए वरदान सिंगल सुपर फॉस्फेट

डीएपी के बाद सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) Single Super Phosphate सबसे लोकप्रिय फॉस्फेटिक उर्वरक है क्योंकि इसमें कई सूक्ष्म पोषक तत्वों के निशान के साथ-साथ फॉस्फोरस, सल्फर और कैल्शियम जैसे 3 प्रमुख पौधे पोषक तत्व होते हैं।

इसीलिए सिंगल सुपर फास्फेट कम लागत में अधिक पैदावार लेने के लिए कृषि के लिए वरदान साबित होगा। किसान डीएपी खाद के बजाय अब सिंगल सुपर फास्फेट खाद का प्रयोग अधिक कर रहे हैं। इससे 1325 रुपए का काम मात्र 425 रुपए में हो जाएगा।

सिंगल सुपर फॉस्फेट क्या है?

Single Super Phosphate भारत में मल्टी-न्यूट्रिएंट के साथ 11% सल्फर के अतिरिक्त न्यूट्रिएंट के साथ प्रमुख सामग्री के रूप में 16% P2O5 शामिल है, ट्रेस में 21% कैल्शियम और मिनरल रहता है। फॉस्फोरस को प्राथमिक पोषक तत्व माना जाता है

क्योंकि पौधे के विकास के लिए यह आवश्यक है और क्योंकि फसलों द्वारा आवश्यक मात्रा कई मिट्टी में उपलब्ध फास्फोरस की आपूर्ति के सापेक्ष बड़ी है। उपलब्ध फास्फोरस की प्रचुर मात्रा में आपूर्ति उचित रूट विकास और जोरदार प्रारंभिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है।

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सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग

सिंगल सुपर फॉस्फेट (Single Super Phosphate) उर्वरक डीएपी (DAP) की अपेक्षा सस्ता है एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है। प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 9 किलो नत्रजन पायी जाती है। फसलों में फॉस्फोरस, नत्रजन एवं सल्फर तत्व उपलब्ध करवाने के लिये डीएपी+सल्फर के विकल्प के रूप में यदि एसएसपी+यूरिया का उपयोग किया जाता है, तो डीएपी + सल्फर से कम मूल्य पर अधिक नाईट्रोजन, फॉस्फोरस एवं सल्फर प्राप्त किया जा सकता है।

इसके लिए 1 बैग डीएपी +16 कि.ग्रा. सल्फर के विकल्प के रूप में 3 बैग Single Super Phosphate +1 बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है, तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाईट्रोजन, फॉस्फोरस एवं सल्फर प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए कृषि विशेषज्ञों ने कृषकों को सलाह दी है कि डीएपी के स्थान पर एसएसपी एवं यूरिया का प्रयोग करें।

सिंगल सुपर फास्फेट से यह मिलेगा फायदा

एसएसपी यानी Single Super Phosphate एक फॉस्फोरस युक्त उर्वरक (Single Super Phosphate) है, जिसमें कि 16 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा पायी जाती है। इसमे उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिये अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।

डीएपी के 1350 रुपए के एक बैग में 23 किलोग्राम फास्फोरस व 9 किलोग्राम नाइट्रोजन पाई जाती है। डीएपी के स्थान पर एक सिंगल सुपर फास्फेट के 3 बैग 1275 रुपए एवं यूरिया का एक बैग 266 रुपए में लेते हँ, तो 1541 रुपए खर्च होंगे।

Single Super Phosphate इन रुपयों में फास्फोरस 24 किलोग्राम, नाइट्रोजन 20 किलोग्राम एवं सल्फर 16 किलोग्राम प्राप्त होता है। एक डीएपी खाद के कट्टे में 23 किलो फास्फोरस एवं 9 किलोग्राम नाइट्रोजन ही मिलेगी। इसमें सल्फर नहीं मिलेगी। जो दलहनी फसलों में प्रोटीन बढ़ाती है।

डीएपी खाद की जगह सिंगल सुपर फास्फेट खाद व यूरिया खाद मिक्सर काम में लेते है तो किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट में गुणवत्ता के साथ क्वालिटी भी ज्यादा मिलेगी। इसलिए सिंगल सुपर फास्फेट फायदेमंद है।

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तिलहनी फसलों में ज्यादा लाभदायक

Single Super Phosphate में सल्फर उर्वरक पाया जाता है। जो तिलहनी फसलें जैसे सरसों की फसल में तेल की मात्रा एवं दलहनी फसलों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है। इसके चलते किसानों को अधिक से अधिक सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करना चाहिए।

सिंगल सुपर फास्फेट का क्या काम है?

Single Super Phosphate कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कृषकों द्वारा फसलों में महंगे उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। इसकी तुलना में सिंगल सुपर फास्फेट सस्ता उर्वरक है। इसमें सल्फर (गंधक) की मात्रा अतिरिक्त रहती है।

Single Super Phosphate का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि अच्छी होती है। साथ ही जड़ों का विकास होता है। फसल गुणवत्ता एवं उपज में भी वृद्धि होती है। इसके अलावा इसमें उपस्थित सल्फर की मात्रा भी पाई जाती है जो कि फसलों में क्लोरोफिल का निर्माण कर पौधों को प्रोटीन प्रदान करता है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार Single Super Phosphate के उपयोग से इन पौधों में एंजाइम एवं विटामिन का निर्माण होता है तथा दलहनी फसलों की जड़ों में ग्रंथियों का निर्माण कर वातावरणीय नाइट्रोजन पौधों को प्राप्त करने में सहायक है एवं फसल की उपज में 15-25 प्रतिशत की वृद्धि होती है तथा सिंगल सुपर फास्फेट में केल्शियम की मात्रा भी पाई जाती है। किसान भाई सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग कर फसल उत्पादन बढ़ाएं एवं भरपूर उपज प्राप्त करें।

सिंगल सुपर फास्फेट के उपयोग करने का समय?

Single Super Phosphateh कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 75 किलोग्राम इफको मिश्रण में 45 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ बीजाई के समय प्रयोग किया जाना चाहिए। एक महीने के बाद पहली सिंचाई व 65 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव करें। यदि यही मात्रा डीएपी से देनी हो तो 50 किलोग्राम डीएपी, 45 किलोग्राम यूरिया, 40 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश दें। सिंचाई के बाद यूरिया की मात्रा 65 किलोग्राम ही रखें।

सल्फर की कमी वाले क्षेत्रों में Single Super Phosphate का प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए 65 किलोग्राम यूरिया, 150 किलोग्राम सुपर फास्फेट, 40 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ प्रयोग करें। शेष नाइट्रोजन की मात्रा 65 किलोग्राम यूरिया पहली सिंचाई के बाद छिड़कें। यदि सिंगल सुपर फास्फेट उपलब्ध न हो तो सल्फर की कमी को 100 किलोग्राम जिप्सम प्रति एकड़ खेत तैयार करते समय प्रयोग करके दूर किया जा सकता है।

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सिंगल सुपर फास्फेट और डीएपी में अंतर

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एसएसपी यानी Single Super Phosphate को यूरिया के साथ प्रयोग करें तो डीएपी से बेहतर होगा, क्योंकि एसएसपी में नाईट्रोजन की उपलब्धता यूरिया (Urea) से हो जाती है. साथ ही इसमें पहले से सल्फर, कैल्शियम मौजूद है जो कि डीएपी में नहीं है।

जहां SSP में नाईट्रोजन की मात्रा जीरो परसेंट है वहीं डीएपी में यह 18 फीसदी पाया जाता है। डीएपी में 46 फीसदी फास्फोरस रहता है जबकि एसएसपी में सिर्फ 16 फीसदी, यानि की डीएपी की तुलना में एसएसपी में फास्फोरस 30 परसेंट कम है।

सिंगल सुपर फॉस्फेट की 50 किलो बोरी की कीमत

Single Super Phosphate की 50 किलो की एक बोरी किसानों को अब 425 रुपये में मिलेगी। यह वृद्धि पिछले साल की तुलना में ₹151 प्रति बोरी है। मध्यप्रदेश उर्वरक समन्वय समिति की बैठक में तय किए गए निर्णय के अनुसार सिंगल सुपर फास्फेट की दर तय की गई। अब किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट पाउडर की बोरी अब 274 रुपये की जगह 425 रुपये (151 रुपये वृद्धि) में मिलेगी। वहीं, दानेदार खाद 304 रुपये की जगह अब 465 (161 रुपये वृद्धि) रुपये में मिलेगी।

उर्वरकों के प्रयोग का सही तरीका यह

Single Super Phosphate कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही करना चाहिए। नाइट्रोजन अधिक मात्रा में प्रयोग करने से फसल में बीमारी व कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है व फसल देर से पकती है। यूरिया को गेहूं के बीज के साथ मिलाकर नहीं बोना चाहिए, क्योंकि इसमें कई बार गेहूं के जमाव पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

Single Super Phosphate फोस्फोरस व पोटाश प्रयोग करते समय कम से कम मिट्टी के संपर्क में आना चाहिए। अधिक लाभ के लिए इन तत्वों को बीजाई के समय ड्रिल करें। यदि खेत में दलहनी फसलों को हरी खाद के रूप में प्रयोग किया गया हो तो नाइट्रोजन की मात्रा कम कर दें। यदि गेहूं की बुवाई ज्वार या बाजरे की फसल काटने के बाद की तो नाइट्रोजन की मात्रा 25 प्रतिशत बढ़ा दें। ओस पड़ी फसल पर यूरिया न डाले। यदि दिन का तापमान अधिक हो तो दोपहर बाद यूरिया डालें।

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6 thoughts on “सिंगल सुपर फॉस्फेट से लहलाएगी फसल, उपज में होगी वृद्धि, जानें इसके फायदे एवं 50 किलो बोरी की कीमत”

  1. Dapकी जगह सुपरफास्ट use करना चाहिए यह जगह को नरम और सॉफ्ट बनता है और इसका रिजल्ट बहुत अच्छा है सुपरफास्ट इस द वेरी बेस्ट

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    • Sir, Kya Buvae ke samay DAP ke sthan par SSP ka prayog kar sakate hain ?

      Yadi kar sakte hai to …..
      gehu bone time me 1 acer me SSP and URIA kitna dalna hai?
      Please inform me…

      Reply
      • आपके क्षेत्र की मिट्टी / जलवायु के अनुसार कृषि विशेषज्ञों से चर्चा करके उर्वरकों का प्रयोग करना उचित रहेगा।

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