कौन सी है वह बकरी की टॉप 5 नस्लें (Goats Milk Breed) एवं साथ ही साथ वैज्ञानिक तरीके से बकरीपालन कैसे करें? जानें आर्टिकल में..
Goats Milk Breed | हमारे देश में खेती के साथ साथ अधिकतर किसान भाई पशुपालन भी करते है। पशुपालन में भी बात करें तो बकरीपालन एक ऐसा व्यवसाय है। जिसमें बकरी की रखरखाव, देखभाल कम करनी पड़ती है और मुनाफा भी अच्छा होता है, क्योंकि इसमें गाय-भैंस की तुलना में किसानों को काफी अधिक लाभ प्राप्त होता है। साथ ही बकरी पालन में किसानों की अधिक लागत भी नहीं लगती है।
अगर आप भी बकरी पालन से अच्छा मुनाफा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको बकरियों की दुधारू नस्लों का चयन करना चाहिए। इसी क्रम में आज हम आपके लिए बकरियों की टॉप 5 ऐसी दुधारू नस्लों Goats Milk Breed के बारे में बताएंगे, जिनसे पशुपालकों को तगड़ी कमाई होगी। बता दें कि बकरियों की ये नस्लें प्रतिदिन चार लीटर तक दूध देंगी। साथ ही इन नस्लों के पालन से किसान कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए जानते है वह कौन सी टॉप 5 बकरी की नस्लें..
यह है दुधारू बकरियों की टॉप 5 नस्लें (Goats Milk Breed)
- जमुनापारी बकरी
- बरबरी बकरी
- बीटल बकरी
- कच्छी बकरी
- गद्दी बकरी इत्यादि।
इनकी विस्तारपूर्वक जानकारी जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक पढ़ें..
1. जमुनापारी बकरी नस्ल (Jamunapari Goat Breed)
Goats Milk Breed : बकरी की यह नस्ल ज्यादातर इटावा, मथुरा आदि स्थानों पर पाई जाती है। पशुपालक इसे दूध तथा मांस दोनों उद्देश्य के लिए पालते हैं, क्योंकि बाजार में इसके दूध व मांस की कीमत काफी उच्च है। जमुनापारी नस्ल की बकरी सफेद रंग की होती है और इसके शरीर पर हल्के भूरे रंग के धब्बे होते हैं, कान का आकार भी काफी लम्बा होता है और वहीं सींग 8 से 9 से.मी. लम्बे और ऐंठन लिए होते हैं। वहीं अगर हम इस नस्ल की बकरी के दूध उत्पादन की बात करें, तो यह 2 से 2.5 लीटर प्रतिदिन देती है।
2. बरबरी बकरी नस्ल (Barbari Goat Breed)
बरबरी बकरी नस्ल Goats Milk Breed एटा, अलीगढ़ तथा आगरा जिलों में पाई जाती है। बकरी की बरबरी नस्ल का पालन ज्यादातर मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। इस बकरी का आकार छोटा होता है और रंग की भिन्नता होती है। इसके कान का आकार नली की तरह मुड़ा हुआ होता है। इस नस्ल की कई बकरियां सफेद होती है और उनके शरीर पर भूरे धब्बे होते हैं। बरबरी बकरी नस्ल की बकरी प्रतिदिन डेढ़ लीटर तक दूध देती है।
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3. बीटल बकरी नस्ल (Betel Goat Breed)
बीटल नस्ल की बकरी Goats Milk Breed पंजाब के पशुपालक के द्वारा सबसे अधिक पाला जाता है। बीटल नस्ल की बकरी का आकार बड़ा होता है और रंग काला होता है। शरीर पर सफेद या फिर भूरे धब्बे पाए जाते है, बाल भी छोटे तथा चमकीले होते हैं। इसके कान लम्बे और नीचे को लटके हुए तथा सर के अंदर मुड़े हुए होते हैं। वहीं, बीटल बकरी प्रति दिन ढाई लीटर तक दूध देती है।
4. कच्छी बकरी नस्ल (Kutch Goat Breed)
कच्छी नस्ल की बकरी गुजरात के कच्छ में पाई जाती है। इसका आकार देखने में बड़ा होता है और इसके बाल लंबे व नाक थोड़ी उभरी हुई होती है। इसके सींग मोटे, नुकीले तथा बाहर की तरफ हल्के उठे हुए होते हैं। इसके थन भी काफी विकसित होते हैं। कच्छी बकरी Goats Milk Breed प्रति दिन चार लीटर तक दूध देने में सक्षम है।
5. गद्दी बकरी नस्ल (Gaddi Goat Breed)
गद्दी नस्ल की बकरी Goats Milk Breed हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में सबसे अधिक देखने को मिलती है। यह ज्यादातर पश्मीना आदि के लिए पाली जाने वाली नस्ल है। इस बकरी के कान 8.10 सेमी. लम्बे और सींग काफी नुकीले होते हैं। कुल्लू घाटी में इसे ट्रांसपोर्ट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। गद्दी बकरी प्रतिदिन 3.5 लीटर तक दूध देती है।
वैज्ञानिक विधि से इस प्रकार करें बकरीपालन
बीजू बकरे का चुनाव इस प्रकार करें :-
- साड़ (बाप) शुद्व नस्ल का हो,
- साड़ अधिकतम उंचाई का हो,
- मां अधिकतम दूध देने वाली हो,
- शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ एवं चुस्त हो,
- मिलन कराने पर अधिकतम बकरियों को गर्भित करता हो।
बकरी का चुनाव इस प्रकार करें :-
- शुद्ध नस्ल की हो,
- अधिक उंचाई की हो,
- दूध एवं दुग्ध काल अच्छा हो,
- प्रजनन क्षमता अच्छी हो,
- शारीरिक रूप से स्वस्थ हो।
Goats Milk Breed : बच्चियों का चुनाव इस प्रकार करें :-
- शुद्ध नस्ल की हो,
- मां अधिक दूध देने वाली हो,
- त्वचा चमकीली हो एवं जानवर चुस्त हो।
उन्नत प्रजनन पध्दतियाँ :-
- नियमित रूप से मादा के गरमी में आने की पहचान करावें।
- हमेशा शुद्व सांड से गर्भित करावें।
- सांड को दो वर्ष बाद बदल देवें।
- दूसरे झून्ड से नये सांड का चुनाव करें।
- पूर्ध परिपक्व होने के बाद ( डेढ़ से दो वर्ष ) के सांड को उपयोग में लायें।
- प्रथमवार बकरियों Goats Milk Breed को गर्भित कराते समय उनका शरीर भार 65 – 70 प्रतिशत प्रौढ़ पशु के बराबर हो।
- कम प्रजनन एवं उत्पादन क्षमता वाली (10 – 20 प्रतिशत) एवं रोग ग्रसित (10-15 प्रतिशत) मादाओं को प्रतिवर्ष निष्पादन करते रहना चाहिए।
- गर्मी में मादाओं के आने पर 10 -16 घन्टे बाद सांड से मिलन करायें।
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उन्नत पोषण स्तर :-
- Goats Milk Breed : नवजात बच्चों को पैदा होने के आधे घन्टे में खीस पिलायें।
- बकरियों को नीम, पीपल, बेर, खेजड़ी, पाकर, बकूल, एवं दलहनी चारा खिलायें।
- विशेष अवस्था में (दूध देने वाली, गर्भावस्ता आदि में) अतिरिक्त दाना अवश्य दें।
- पोषण में खनिजों एवं लवणों का नियमित रूप से शामिल रखें।
- गोचर (चारागाह) के विकास के लिए वन विभाग एवं कृषि विभाग से जानकारी प्राप्त करें छगाई करने के लिए खूब चारा वृक्ष लगायें।
- एकदम से आहार व्यवस्था में बदलाव न करें।
- अधिक मात्रा में हरा चारा एवं गीला चारा न दें।
Goats Milk Breed : उन्नत स्वास्थ्य व्यवस्था:-
- समय पर (साल में दो-तीन बार अवश्य) कृमि नाशक दवा पिलायें।
- रोग निरोधक टीके समय से अवश्य लगवायें।
- बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें एवं तुरंत उपचार करावें।
- आवश्कतानुसार बाहय परजीवी के उपचार के लिए व्यूटोक्स (1 प्रतिशत) का घोल लगावें।
- नियमित मल परीक्षा (विशेषकर छोटे बच्चों) करावें।
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