मृत पशुओं के खाने से फैल रहा बोटूलिज्म। आइए जानते है पशुपालन किसान इस रोग (Animal Diseas) का किस तरह कर सकते है इसका प्रबंधन।
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Animal Disease | जैसलमेर सहित रेगिस्तानी क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में गोवंश में कर्रा रोग (बोटूलिज्म) का प्रकोप बढ़ रहा है। यह रोग मृत पशुओं के सड़े-गले अवशेष और हड्डियां खाने के कारण होता है।
जिससे क्लोस्ट्रीडियम बोटूलाईनम’ नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न अत्यंत जहरीला विष बोटूलाइनम टॉक्सिन’ पशुओं के शरीर में प्रवेश कर जाता है।
चारे में फॉस्फोरस की कमी और दूध उत्पादन के दौरान पोषक तत्वों की जरूरत के कारण गौवंश हड्डियां चबाने लगते हैं, जिससे यह विष उनके शरीर में पहुंचता है। : Animal Disease
विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग में मृत्यु दर काफी अधिक है और इसका कोई इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है। पशुपालन विभाग इसके लिए पशुपालकों को सलाह दे रहा है। देखें पशुपालन विभाग की सलाह…
लक्षण दिखते ही तुरंत करें प्राथमिक उपचार | Animal Disease
कर्रा रोग के लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, जीभ बाहर लटकना, मुंह से लार गिरना, चारा-पानी का सेवन बंद कर देना और खड़े होने में असमर्थता शामिल हैं।
पशु चिकित्सकों के अनुसार, यदि पशु में इस रोग के शुरुआती लक्षण दिखाई दें तो तुरंत ‘लिक्विड एक्टिवेटेड चारकोल’ 200-300 एमएल तीन दिन तक पिलाएं और दर्द निवारक गोलियां सुबह-शाम दें।
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पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी
Animal Disease | पशुपालन विभाग ने सभी पशुपालकों को सतर्क रहने और गोवंश की देखभाल के लिए निम्न उपाय अपनाने की सलाह दी है:-
• पशुओं को प्रतिदिन 50 ग्राम मिनरल मिक्सर पाउडर और नमक खिलाएं। हर चार माह में कृमिनाशक दवा (डिवर्मर) दें।
• सोढाफोस पाउडर को संतुलित आहार में मिलाकर खिलाएं।
• मृत पशुओं का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से करें, गड्ढा खोदकर दफनाएं या चारदीवारी में बंद बाड़े में डालें।
• हरा चारा और संतुलित आहार नियमित रूप से दें। : Animal Disease
बढ़ते तापमान और लू में ऐसे करें गाय भैंस की देखभाल
गाय-भैंस के हीट में आने पर वक्त रहते गाभिन कराएं।
पशु को दोपहर के वक्ते सीधे तौर पर तेज धूप से बचाएं।
खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए टीके लगवाएं।
डॉक्टर की सलाह पर पशु पेट के कीड़ों की दवाई खिलाएं।
गेहूं के भूसे की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए उसमे यूरिया मिलाएं। : Animal Disease
पशु का दूध निकालने के बाद पशु के थन कीटाणु नाशक घोल में डुबोकर साफ करें।
दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें।
सुबह-शाम गर्भवती और बीमार पशु को टहलाने ले जाएं।
पशुओं को साफ और ताजा पानी पिलाएं, ठंडा पानी ना दें।
सुबह-शाम को पशु को ताजा पानी से नहला दें।
पशुओं का बाड़ा हवादार होना चाहिए।
बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो। : Animal Disease
बाड़े में सीलन नहीं होनी चाहिए।
बछड़े को बैल बनाने के लिए छह महीने की उम्र पर बधिया करा दें।
पशुओं को अफरा होने पर 500 ग्राम सरसों तेल के साथ 50 ग्राम तारपीन का तेल दें।
पशु की सेहत और दूध बढ़ाने के लिए 50-60 ग्राम मिनरल मिक्चर दें।
हरे चारे की कमी दूर करने को गेहूं कटते ही ज्वार, मक्का, लोबिया की बुआई करें। : Animal Disease
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