Black wheat farming : राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रहने वाले किसान ने काले गेंहू की खेती से कमाए लाखों रुपए, जानें उनकी कहानी उन्ही की जुबानी..
Black wheat farming | काले गेंहू का नाम तो आपने सुना ही होगा। मार्केट में काला गेंहू आम गेंहू की तुलना में अधिक कीमत पर बिकता है। बता दे की, काले गेंहू में कई तरह के इम्यूनिटी बूस्ट करने वाले गुण पाए जाते है यही कारण है की काले गेंहू को इम्युनिटी बूस्टर वाली फसल भी कहा जाता है। आज हम बात करने वाले है ऐसे सक्सेस किसान की जिन्होंने यूट्यूब से जानकारी लेकर काले गेंहू Black wheat farming की खेती की। इतना ही नहीं उन्होंने काले गेंहू की खेती से अब तक लाखो रुपए कमा लिए है। आइए जाने.. किसान की कहानी उन्ही की जुबानी..
2020 के बाद शुरू की काले गेंहू की खेती
राजस्थान के झुंझुनूं जिले शहर से 17 किलोमीटर दूर के नवलगढ़ कस्बे का छोटा-सा गांव है डाबड़ी बलोदा। गांव के युवा किसान मुकेश कुमार (40) इलाके में चर्चित हैं काले गेहूं वाले किसान के रूप में। गांव में उनके पास 3 हेक्टेयर (करीब 12 बीघा) कृषि भूमि है। काले गेहूं के खेत में किसान मुकेश कुमार लगभग 12 बीघा जमीन में से 5 बीघा पर वे Black wheat farming उपजा रहे हैं।
हर साल इसका रकबा बढ़ा रहे हैं। परिवार में माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं। मवेशियों में दो गाय, चार भैंस और दो बकरियां। मुकेश का परिवार पीढ़ियों से खेती किसानी कर रहा है। वर्ष 2020 तक परंपरागत खेती पर परिवार के 6 लोग निर्भर थे। कोरोना ने दुनिया में उथल-पुथल मचाई तो चर्चा होने लगी इम्युनिटी, हेल्थ और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की।
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यूट्यूब पर देखे Black wheat farming के वीडियो
वर्ष 2020 में कोरोना के दौरान यूट्यूब पर पर मुकेश ने कई ऐसे वीडियो देखे जिनसे उन्हें नवाचार का हौसला मिला। कोरोना संक्रमण के चलते लोग अच्छी सेहत को लेकर जागरूक हो रहे थे। ऐसे में काले गेहूं के बारे में लोगों ने सर्च करना शुरू किया। मुकेश ने काले गेहूं की खेती को लेकर एक के बाद एक कई वीडियो देखे।
साथ ही मुकेश के बड़े भाई ने उसे Black wheat farming से जुड़ी जानकारियां दीं। उन्होंने बताया कि गेहूं की ही एक किस्म है काला गेहूं। इसमें सामान्य गेहूं की तुलना में प्रोटीन, जिंक और फाइबर ज्यादा होता है। यह शुगर-फ्री होता है इसलिए डायबिटीज के साथ-साथ अन्य रोगों से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद रहता है। यह इम्युनिटी बूस्टर गेहूं है इसलिए कोरोना काल से ही इसकी डिमांड बढ़ रही है।
2 बीघा से खेती शुरू की, 17 बोरी काला गेहूं हुआ
युवा किसान मुकेश बताते है कि भाई से सुझाव लेने और सोशल मीडिया पर Black wheat farming के बारे में जानकारी जुटाने के बाद मैंने अक्टूबर 2020 में अपने 2 बीघा खेत में काले गेहूं की बुआई कर दी। इसके बाद जैसे सामान्य गेहूं की सिंचाई और देखभाल की जाती है वैसे ही इनकी भी देखभाल की।
अप्रैल के मध्य में जब फसल में 25 परसेंट नमी थी, मैंने काले गेहूं की कटाई कर ली। पहली बार में सिर्फ 17 बोरी (17 क्विंटल) काला गेहूं हुआ। मुझे 6 हजार रुपए क्विंटल का भाव मिला। सिर्फ 2 बीघा में 6 महीने में 70 हजार का सीधा मुनाफा हुआ। पता चला कि काले गेहूं की मार्केट में अच्छी डिमांड है।
मुकेश ने बताया कि 2020 से पहले मैं अपने पिता के साथ परंपरागत खेती कर रहा था। खेती करते हुए 10-12 साल हो गए। अब 4 साल से Black wheat farming उगा रहा हूं। दूसरी बार 2021 में 3 बीघा में खेती की, सारे खर्चे काटने के बाद काले गेहूं से 90 हजार रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। तीसरी बार यानी इस अप्रैल में मुकेश ने 5 बीघा में फसल की कटाई की है। इस बार मुनाफा एक लाख रुपए से पार हो गया है और हर साल काले गेहूं की डिमांड बढ़ती जा रही है।
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काला गेंहू खरीदने के लिए होती है एडवांस बुकिंग
किसान मुकेश बताते ही की, मार्च में ही Black wheat farming के खरीदार आकर खेत में खड़े हो जाते हैं। फसल देखते हैं और एडवांस रकम देकर अपनी बोरी बुक करा देते हैं। कोई एक बोरी लेता है, कोई चार। काले गेहूं को बेचने के लिए मुझे 4 साल में कभी खेत से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ी।
मार्च-अप्रैल में जब फसल कटती है तो एडवांस बुकिंग करने वाले खलिहान तक आ जाते हैं और अपने साधन से अपने हिस्से का गेहूं तुलवाकर ले जाते हैं। हाल ही में संदीप कुमार और ओमप्रकाश झाझड़िया नाम के ग्राहकों ने एडवांस बुकिंग कराकर खलिहान से Black wheat farming उठाया। उन्होंने कहा- लोग जागरूक हो गए हैं। स्वास्थ्य को लेकर कोरोना काल के बाद से तेजी से लोगों में खान-पान को लेकर समझदारी आई है। ऑर्गेनिक फूड की मांग साल दर साल बढ़ती ही जा रही है।
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जिला रोजगार अधिकारी ने दी थी नसीहत
मुकेश ने इसी से जोड़कर एक बात बताई। कहा- नवलगढ़ कॉलेज से बीए क्लास पास करने के बाद मैं रोजगार की तलाश में था। नौकरी के लिए गांव से बाहर जाना ही पड़ता। पत्नी थी, दोनों बच्चे छोटे थे। मैं नौकरी करता तो माता-पिता और पत्नी पर बच्चों, खेती-मवेशियों का पूरा भार आ जाता। मैं पसोपेश में था। परंपरागत खेती Black wheat farming से मुनाफा हर साल घट रहा था। अपनी जरूरतों को सीमित रखना पड़ रहा था।
तब एक दिन जिला रोजगार अधिकारी दयानंद यादव मिल गए। उन्होंने कहा कि तुम्हें रोजगार तलाशने की क्या जरूरत है। खेती-बाड़ी कर ही रहे हो। उसी में नवाचार करो। फायदा होगा। आजकल खेती घाटे का सौदा नहीं रही है। उन्हीं की प्रेरणा से सोचने लगा था कि खेती में क्या नवाचार किए जा सकते हैं। 2020 में आखिर मुझे काले गेहूं में अपना भविष्य मिल गया। मेरी देखा-देखी इलाके में करीब 10 किसान Black wheat farming पैदा करने लगे हैं।
काले गेहूं की मार्केट वैल्यू 3 गुना
बता दे की, सामान्य गेहूं मार्केट में 2200 रुपए क्विंटल है। लेकिन 3 से 10 गुना तक Black wheat farming की मार्केट वैल्यू 8000 रुपए क्विंटल तक है। बात करें काले गेंहू के आटे की कीमत की तो, सामान्य गेहूं के आटे का भाव 30-40 रुपए किलो तक है। वही काला गेहूं का आटा 250-300 रुपए किलो तक बिकता है।
गुणों से भरपूर है काला गेहूं
- दिल को मजबूत करता है।
- डायबिटीज के रोगी के लिए अच्छा शुगर फ्री होता है, इम्यूनिटी बूस्टर है।
- ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रखने में मदद करता है।
- पोषक तत्वों से भरपूर (सेलेनियम, जिंक, प्रोटीन, मैग्नीशियम, फाइबर, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम)
ऐसे करें काले गेहूं की खेती – Black wheat farming
- खेत की मिट्टी का पीएच मान 7-8 के बीच हो।
- जमीन समतल, अच्छी जल निकासी वाली, बलुई दोमट मिट्टी वाली होनी चाहिए।
- बुआई से पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें, कल्टीवेटर से दो तीन जुताई कर पाटा लगाएं।
- Black wheat farming बुआई से पहले खेत में जिंक, डीएपी खाद व यूरिया डालें, एक हेक्टेयर के लिए 150 किलो बीज डालें।
- बुआई के वक्त 50 किलो डीएपी, 45 किलो यूटिया, 20 किलो म्यूरेट पोटेश, 10 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।
- पहली सिंचाई के बाद 60 किलो यूरिया डालें, नवंबर में बुआई की है तो तीन हफ्ते बाद पहली सिंचाई करें।
- इसके बाद फुटाव, गांठ बनते समय, बालियां निकलते वक्त और दाना पकते समय सिंचाई करें, अप्रैल में फसल में 20 से 25 परसेंट तक नमी रहे तब कटाई कर लें।
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