परेशानी में कपास उत्पादक किसान, भाव को लेकर सरकार से यह मांग की, देखें कपास के भाव को लेकर पूरी रिपोर्ट..

किसान कपास को कम कीमत में बेचने पर मजबूर हैं, कपास के भाव (Cotton Prices) को लेकर किसानों की परेशानी क्या है, देखें..

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Cotton Prices | वस्त्र निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले कपास का बड़ी मात्रा में उत्पादन कर कपास का कटोरा कहे जाने वाले निमाड़ क्षेत्र खरगोन जिले के कपास उत्पादक किसानों के हालात ठीक नहीं है।

लागत बढ़ने, उत्पादन घटने और कपास का वाजिब दाम नहीं मिलने से कपास का उत्पादन घाटे का सौदा होता जा रहा है। सफ़ेद सोने पर कुदरत का ऐसा साया पड़ा है, कि किसानों को कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है।

सितंबर तक क्षेत्र में वर्षा होने से कपास की गुणवत्ता पर असर पड़ा, जिससे किसानों का कपास खरीदी के मानकों पर खरा नहीं उतरा, नतीजा कपास की कीमत में गिरावट देखी गई। Cotton Prices

कपास की कीमत को लेकर मध्य प्रदेश से सटे महाराष्ट्र के क्षेत्र में राजनीतिक तुल भी पकड़ा, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। कपास उत्पादक किसानों की प्रमुख मांगे क्या है एवं भाव को लेकर आगे क्या हो सकता है आईए जानते हैं..

क्या है किसानों की परेशानी जानिए

कपास की खेती मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में सबसे अधिक होती है। इन दोनों राज्यों के किसान इस समय कपास के भाव को लेकर परेशानी में है। इटावदी (महेश्वर) के श्री हेमेंद्र पाटीदार ने बताया कि उनके काका श्री भगवान पाटीदार ने 4 बीघा में कपास लगाया था। Cotton Prices

मौसम की मार और गुलाबी सुंडी के कारण करीब साढ़े पांच क्विंटल/बीघा का उत्पादन मिला। किसानों को फसल बीमा का भी कोई लाभ नहीं मिलता। सीसीआई की खरीदी तो मुंह दिखाई है।

कपास खरीदी के कठोर मापदंडों के कारण सीसीआई हल्का माल नहीं खरीदती है। इसलिए अधिकांश किसानों ने अपना कपास मंडी में व्यापारियों को एमएसपी से कम पर बेचा।

सिराली (भीकनगांव) के श्री आशीष मालवीय ने 14 एकड़ में कपास लगाया था। करीब 70 किंटल कपास एकत्रित किया है। कीमत कम होने से अभी बेचा नहीं है। Cotton Prices

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सीसीआई सिर्फ 5-10 प्रतिशत ही कपास खरीदती

किसान बताते हैं कि उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास को बेचने के लिए सीसीआई में पंजीयन कराया है। लेकिन सरकार नाम मात्र की खरीदी करती है।

किसान संघ मालवा प्रान्त युवा वाहिनी संयोजक श्री श्याम पवार (खरगोन) ने कहा कि इस वर्ष कपास की लागत बढ़ गई, बारिश से उत्पादन घट गया और कम कीमत मिलने से किसानों को तिहरा नुकसान हुआ। Cotton Prices

न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सरकार की नीति भ्रमित करने वाली है। सोयाबीन में भी ऐसा ही हुआ। कपास में भी सीसीआई के नियम कठोर होने से सीसीआई सिर्फ 5-10 प्रतिशत ही कपास खरीदती है, इससे किसानों को कोई लाभ नहीं होता है। 90 प्रतिशत कपास मंडी में व्यापारी अपने हिसाब से खरीदते हैं।

वहीं भारतीय किसान संघ, तहसील कसरावद के अध्यक्ष श्री बाथूलाल तिरोले ने कहा कि कसरावद के सीसीआई केंद में प्रति दिन 50 गाड़ी से अधिक कपास की खरीदी नहीं की जा रही है। इससे किसान उलझन में हैं। Cotton Prices

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कपास की खरीदी को लेकर सीसीआई ने यह कहा

सीसीआई केंद्र बड़वाह और करड़ी के प्रभारी श्री गजानन बाजारे ने बताया कि बड़वाह और करही दोनों केंद्रों पर कपास की खरीदी सरकार द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार की जा रही है। कपास में नमी 8-12 प्रतिशत तक मान्य है।

इससे अधिक होने पर खरीदी सम्भव नहीं है। फिलहाल यहाँ गाड़ियों की संख्या निर्धारित नहीं है, लेकिन आवक अधिक होने पर कोई निर्णय लिया जाएगा। Cotton Prices

कपास की कीमतों को लेकर गरमाई राजनीति

कपास उत्पादक किसानों की प्रमुख मांग है कि क। पास को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के दौरान कुछ मानकों पर ढिलाई दी जाए, वहीं कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाया जाए।

किसानों का कहना है कि कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाने से स्थानीय किसानों को लाभ होगा। उन्होंने मांग की कि कपास की खरीद 7,122 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाए। Cotton Prices

समर्थन मूल्य से कम दाम पर बिक रहा कपास

कपास की कीमत 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जो 7,122 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है। जबकि दूसरी ओर बताया जा रहा है कि देश में पहले से ही कपास का भरपूर स्टॉक है, वहीं किसानों के पास में भी कपास का स्टॉक है। Cotton Prices

इसके बावजूद सरकार द्वारा कपास के आयात को मंजूरी देना किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। किसानों का कहना है कि कपास का आयात करने से कपास बाजार ध्वस्त हो जाएगा। जिससे किसानों पर काफी असर पड़ेगा और केवल व्यापारियों को फायदा होगा।

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