ग्रामीण इलाकों के आठवीं पास युवाओं को डिजिटल Crop survey / गिरदावरी में मिलेगा काम, पटवारी की रिपोर्ट में मिलती थीं गड़बड़ी..
Crop survey | मध्यप्रदेश सरकार अब ग्रामीण इलाकों के आठवीं पास युवाओं को डिजिटल क्रॉप सर्वे (गिरदावरी) का काम सौंपने जा रही है। उन्हें एक सीजन में 10 हजार रुपए तक दिए जाएंगे। इस काम के लिए एक हजार खसरों का फोटो खींचकर सारा डेटा मोबाइल ऐप पर अपलोड करना होगा।
एक साल में 3 बार सर्वे कराकर फसल उत्पादन का आकलन किया जाएगा। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने बताया कि बैठक में डिजिटल क्रॉप सर्वे काप्रजेंटेशन होगा। इसके अलावा राजस्व विभाग का एक अन्य प्रस्ताव भी कैबिनेट में आने वाला है। आइए जानते है पूरी डिटेल..
ऐसे होगा युवाओं का चयन
सबसे पहले भू-अभिलेख पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसके बाद युवकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण में बताया जाएगा कि कैसे मोबाइल ऐप से सर्वे करना है। इसके बाद अब 1 अगस्त से पटवारी युवाओं को खसरों का वितरण करेंगे। फिर सर्वे शुरू होगा। Crop survey
इस तरह होगा डिजिटल क्रॉप सर्वे
- कैमरा या मोबाइल की मदद से डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाएगा।
- सबसे पहले खरीफ फसल का फोटो खींचकर एरिया दर्ज किया जाएगा।
- जियो टैगिंग होने से ऐप में लोकेशन, किसान का नाम और खसरा अपने आप आएगा। Crop survey
कितना पेमेंट मिलेगा
प्रति खसरा 8 रुपए का पेमेंट किया जाएगा। एक सीजन में 10 हजार रुपए तक मिलेंगे। एक साल में तीन सीजन में काम होगा। पेमेंट ऑनलाइन किया जाएगा। Crop survey
पटवारी रिपोर्ट में गड़बड़ी मिलती थीं
गिरदावरी से खेतों में बोई जाने वाली फसल और संभावित उत्पादन की डिटेल्स जुटाई जाती हैं। समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली फसल के उत्पादन में सही आंकड़ों का अनुमान लगाया जाता है। अब तक गिरदावरी का काम पटवारी करते थे लेकिन उनकी रिपोर्ट में अक्सर गड़बड़ी सामने आती थी। कई बार फर्जी रिपोर्ट की शिकायतें भी मिलीं। इससे पहले सरकार किसानों से भी गिरदावरी करवा चुकी है लेकिन सही नतीजे नहीं मिले। ऐसे में अब युवाओं को इसका जिम्मा सौंपा जाएगा। Crop survey
यह होती है फसल गिरदावरी
फसल गिरदावरी में धान, गेहूं या अन्य बोई गई फसलों का एरिया और उसके आधार पर उत्पादन का आकलन किया जाता है। इसका उपयोग इसलिए जरूरी माना जाता है क्योंकि सरकार की किसानों से संबंधित अधिकांश योजनाओं जैसे समर्थन मूल्य पर खरीदी, फसल बीमा योजना समेत अन्य योजनाओं में इसके एक्चुअल डेटा की जरूरत होती है। इसी कारण अब सैटेलाइट इमेज के जरिए इसे कराने की तैयारी है। Crop survey
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