किसान ने जुगाड़ से बना दी थ्रेशिंग मशीन, मात्र 5000 की लागत आई, यहां जानें कैसे काम करती है ये मशीन

अमरपुर प्रखंड, बांका जिले के किसान ने किया कमाल, बेहद ही कम लागत में Desi jugaad से बनाई थ्रेसिंग मशीन। आइए जानते है इसकी डिटेल..

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Desi jugaad | हमारे देश में अधिकतर किसान मूंग की फली के पक जाने पर हाथों से तुड़ाई करते हैं, जिससे अधिक पके दानें फली से निकलकर खेत में ही गिर जाते है और किसान को उसका नुकसान होता है।

हाथों से मूंग की तुड़ाई लगभग 3 से 4 बार की जाती है, जिसमें समय ज्यादा लगता है और देरी होने पर मूंग को भी नुकसान होता है।

इसी समस्या को देखते अमरपुर प्रखंड, बांका जिले के रहने वाले किसान अशोक मांझी ने देसी जुगाड़ / Desi jugaad से एक छोटी थ्रेशिंग मशीन बनाई है, जो एक घंटे में 80 किलोग्राम तक मूंग तैयार कर सकती है।

किसान का कहना है की, इसकी लागत भी मात्र 5 हजार रुपए है। मात्र 5 हजार की लागत से बने इस देसी जुगाड़ से घंटो का काम मिनटों में पूरा हो जाएगा। आइए जानते है कैसे काम करता है यह जुगाड़…

हाथों से मूंग की तुड़ाई से उठाना पड़ता है नुकसान

Desi jugaad : मूंग की तुड़ाई से होना वाला नुकसान किसानों के लिए आम समस्या हैं, जिसके कारण किसानों को प्रति वर्ष मूंग की बर्बादी तथा आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है।

मूंग की तुड़ाई करने के बाद इन्हें धूप में सुखाया जाता है और अच्छी तरह सूखने के बाद इसकी फलियों को डंडों से पीट-पीट कर इनमें से मूंग को निकला जाता है, जिसमें बहुत ज्यादा श्रम और समय लगता है। यदि फली पूरी तरह सूखी न हो तो मूंग निकालना बेहद मुश्किल भरा काम हो जाता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें, मूंग की तुड़ाई मानसून आने के दौरान की जाती है, जिससे इसकी फलियां भीग जाती है और इनमें से मूंग नहीं निकाला जा सकता हैं। : Desi jugaad

अधिक समय तक फली के गीला रहने पर मूंग खराब होने लगती है और किसान को इससे काफी नुकसान होता है।

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देसी जुगाड़ से बनाई छोटी थ्रेशिंग मशीन

मूंग की फसल को उपजाने और तैयार करने में किसानों का बहुत ज्यादा समय और श्रम दोनों ही लगता है, जिस वजह से अधिकतर किसान इसकी खेती कम से कम क्षेत्र में करते हैं।

मूंग की तुड़ाई मानसून के आने के समय की जाती है, जिससे मूंग के खराब होने का भी भय बना रहता है। : Desi jugaad

आपकी जानकारी के लिए वर्तमान समय में मूंग की तुड़ाई के लिए कोई भी तकनीक या उपकरण बड़े पैमाने पर विकसित नहीं किया गया है, जिस वजह से किसानों को मूंग तैयार करने में बहुत ज्यादा लागत लगानी होती है।

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लेकिन किसानों की इस समस्या को देखते हुए अमरपुर प्रखंड, बांका जिले के किसान अशोक मांझी ने अपने देसी जुगाड़ / Desi jugaad से एक छोटी थ्रेशिंग मशीन को विकसित किया है।

क्या है छोटी थ्रेशिंग मशीन की खासियत

इस छोटी थ्रेशिंग मशीन में किसान ने 1 हॉर्स पावर जनरेट करने वाली मोटर, 2 बैरिंग, 1 बेल्ट और एक साफ्ट लगाया है।

इस थ्रेशिंग मशीन Desi jugaad का कुल वजन मात्र 30 किलोग्राम है, जिससे एक खेत से दूसरे खेत में इस मशीन को आसानी से ले जाया जा सकता है।

इसे चलाने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है और इससे मात्र एक घंटे में 80 किलोग्राम तक मूंग तैयार की जा सकती हैं।

मशीन Desi jugaad की सबसे बड़ी खासियत यह है कि तोड़ी गई मूंग की फली को बिना धूप में सुखाए ही इससे मूंग के दाने को अलग किया जा सकता है। ऐसा होने से खेत में होने वाली मूंग की बर्बादी बिलकुल खत्म हो जाती है और किसानों का मुनाफा बढ़ जाता हैं।

मात्र 5000 रुपये की लागत से तैयार हुई मशीन

बताया जा रहा है की, किसान अशोक मांझी ने इस छोटी थ्रेशिंग मशीन को महज 5000 रुपये की लागत में तैयार किया है।

इस मशीन के एक किनारे से मूंग की फलियों को डाला जाता है, जो थ्रेशिंग Desi jugaad होने के बाद साफ मूंग को मशीन के पीछे बने आउटलेट से निकाल देती हैं।

किसानों को मूंग को आवश्यकता के अनुसार धूप में सुखा कर संग्रहित करते हैं, क्योंकि फली में नमी ज्यादा रहने पर इसकी भण्डारण क्षमता कम हो जाती है।

बांका जिले के कई लाभान्वित हो रहे

छोटी थ्रेशिंग मशीन Desi jugaad बांका जिले में किसानों के बीच धीरे-धीरे काफी लोकप्रिय हो रही हैं और किसान भी इससे लाभान्वित हो रहे हैं। इस मशीन से मूंग की खेती करने वाले किसानों के श्रम और समय दोनों की बचत हो रही हैं।

छोटा आकार और कम कीमत इस मशीन को किसानों के लिए बहुत उपयोगी बनाते हैं। इस थ्रेशिंग मशीन का उपयोग किसान अपनी मूंग की तुड़ाई के साथ-साथ अन्य किसानों के मूंग की थ्रेशिंग करके भी अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं।

इस मशीन को अब बड़े संस्थाओ द्वारा परिस्कृत करने की आवश्यकता है, जिससे देश के किसानों तक इसकी पहुंच हो सके और वे इसका लाभ उठा सकें. किसान अशोक मांझी के अनुसार, इस तकनीक को विकसित करने में कृषि विज्ञान केंद्र, बांका ने उनका काफी सहयोग दिया है।

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