कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की नई तकनीक, प्याज एवं लहसुन को सड़ने से बचाएगी, जानिए इस तकनीक की डिटेल..

प्याज-लहसुन को सड़ने से बचाती है विकिरण पद्धति (E-Radiation method) , जानें कैसे काम करेगी यह तकनीक.

E-Radiation method | गेहूं और धान के साथ अब प्रदेश में प्याज और लहसुन का उत्पादन भी बढ़ गया है। उन्नत किस्मों के उपयोग से तीन साल में ही प्याज का उत्पादन 10 प्रतिशत और लहसुन का 3 प्रतिशत उत्पादन बढ़ा है। वहीं, उत्पादन की तुलना में नुकसान अभी भी 35 से 40 फीसदी बना है। आईसीआरए और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने मिलकर प्याज और लहसुन का बचाव करने ई-रेडिएशन तकनीक (E-Radiation method) विकसित की है। लेकिन तकनीक का लाभ भोपाल और इंदौर के किसानों तक ही सीमित है।

जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि ने ईजाद की नई तकनीक

E-Radiation method | जबलपुर स्थित जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि में 11 और 12 जनवरी को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 100 से अधिक वैज्ञानिक और अधिकारी जुटे। एएसआरबी नई दिल्ली के डॉ. मेजर सिंह और एडीजी डॉ. सुधाकर पांडे ने कहा कि सही भंडारण की सुविधा के साथ ई-रेडिएशन तकनीक के सेंटर्स की संख्या बढ़ाना होगी। जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने कहा कि प्याज और लहसुन की नई वेरायटी पर लगातार रिसर्च जारी है।

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क्या है इ-ररेडिएशन तकनीक (E-Radiation method)

इ-ररेडिएशन एक ऐसा प्रोसेस है जो जिसमें किसी भी चीज को रेडिएशन के दायरे में लाया जाता है। आसान भाषा में किसी भी खाद्य पदार्थ या पैकेज को गामा किरणों और एक्सरे इलेक्ट्रॉन किरणों के रेडिएशन के संपर्क में लाना ही इ-ररेडिएशन कहलाता है। अगर प्याज की बात करें तो इ-ररेडिएशन की प्रक्रिया प्याज को अंकुरित होने से रोक देती है। उनके सड़ने की संभावना कम हो जाती है और शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।

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लंबे समय तक हो सकेगा भंडारण

E-Radiation method | जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिकों के बताया की, सबसे पहले ट्रक में लदा लहसुन और प्याज सीधे सेंटर के अंदर भेजा जाता है। ट्रक अंदर जाते ही ई-रेडिएशन यानी विकिरण तकनीक से प्याज व लहसुन में जमे बैक्टीरिया को मारा जाता है। जिससे फसल के सड़ने का खतरा समाप्त हो जाता है। उसका भंडारण लंबे समय तक कर सकते हैं।

पूरी तरह सुरक्षित है इ-ररेडिएशन तकनीक

किसी खाद्य वस्तु को रेडिएशन E-Radiation method के संपर्क में लाना कितना सुरक्षित है। इस बारे में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से कई परीक्षण किए गए हैं। इनमें इस बात की पुष्टि की गई है कि इ-ररेडिएशन प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है। यह न केवल उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाता है, बल्कि खाद्य जनित बीमारियों को भी कम करता है। दरअसल रेडिएशन उन जीवों को भी मार देता है जो खाद्य जनित बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं।

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