अच्छी पैदावार के लिए यूरिया, डीएपी व एनपीके का इस्तेमाल किस प्रकार करें, जानें कृषि विशेषज्ञों से पूरी जानकारी..

फसलों के लिए खाद-उर्वरक (Fertilizers) अनिवार्य है, लेकिन उनका सही प्रकार से उपयोग होना जरूरी है। यहां लेख में जानें कृषि विशेषज्ञों से इस्तेमाल का तरीका..

Fertilizers | आज के युग में फसलों की अच्छी पैदावार के लिए खाद एवं उर्वरक अनिवार्य हिस्सा बन गए है। खाद का उपयोग लगभग प्रत्येक प्रकार की फसलों के लिए आवश्यक हो गया है। खाद का सही इस्तेमाल यदि सही तरीके से हो तो फसलों की पैदावार निश्चित तौर पर बढ़ जाएगी, क्योंकि खाद Fertilizers का सही इस्तेमाल करना किसानों के लिए उतना ही जरूरी है जितना फसलों के लिए सिंचाई एवं अन्य निराई गुड़ाई एवं कीटनाशक का प्रयोग है।

सही मात्रा में खाद का इस्तेमाल करना जरूरी

कई किसानों को खाद डालने की सही जानकारी ना होने की वज़ह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। खाद डालना कोई बच्चों का खेल नहीं है, क्योंकि फसलों में कम या ज़्यादा खाद Fertilizers डालने से फसलों को हानि पहुंच सकती है और नतीजन इससे किसानों को नुकसान हो जाता है। ऐसे में आज हम आपको डीएपी (DAP), एनपीके (NPK) और यूरिया (Urea) जैसी खाद-उर्वरक Fertilizers को फसलों में कैसे उपयोग करें इसकी जानकारी देने जा रहे हैं। तो चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में अंत तक बने रहे..

1. यूरिया का उपयोग (use of Urea)

Fertilizers : यूरिया उर्वरक का मुख्य कार्य फसलों की वृद्धि को बढ़ावा देने के साथ नाइट्रोजन प्रदान करना है। यह पौधों को ताज़ा और जल्दी बढ़ने में मदद करता है। यूरिया का व्यापक रूप से कृषि क्षेत्र में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है। नाइट्रोजन सामग्री और कम उत्पादन लागत यूरिया उर्वरक की खासियत है। सभी प्रकार की फसलों और मिट्टी के लिए यूरिया बेस्ट फ़र्टिलाइज़र में से एक है।

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यूरिया का इस्तेमाल ऐसे करें :— यूरिया Fertilizers का इस्तेमाल करने का एक फार्मूला होता है। यदि आपको अपने खेत के हिसाब से यूरिया का उपयोग करना है तो आप इसको अपना सकते हैं (उर्वरक की मात्रा किग्रा/हेक्टेयर = किग्रा/हेक्टेयर पोषक तत्व ÷ उर्वरक में% पोषक तत्व x 100). वहीं एक अनुमान के मुताबिक यूरिया का प्रति एकड़ 200 पाउंड ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

नीम लेपित यूरिया का इस्तेमाल ऐसे करें :– नाइट्रिफिकेशन और अवरोध गुणों के लिए नीम के तेल के साथ यूरिया का छिड़काव किया जाता है। नीम के लेप से यूरिया से नाइट्रोजन निकलने की प्रक्रिया का पता चलता है और नाइट्रोजन की उपयोग क्षमता में वृद्धि होती है। नीम कोटेट यूरिया Fertilizers से धान, गन्ना, मक्का, सोयाबीन, अरहर/लाल चने की उपज में वृद्धि होती है। यूरिया में 46% और 60% की उच्च एन और के सामग्री होती है जो मिट्टी के स्वास्थ्य और फसलों के विकास में सुधार करने में मदद करती है।

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2. नैनो तरल यूरिया का उपयोग (use of nano liquid Urea)

नैनो यूरिया Fertilizers एक छोटी बोतल है, जो की इस यूरिया की बोरी के बराबर काम करता है। नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है, यह प्रभावी रूप से फसल की नाइट्रोजन आवश्यकता को पूरा करता है, पत्ती प्रकाश संश्लेषण, जड़ के विकास, प्रभावी कल्ले और शाखाओं को बढ़ाता है। यह फसल की उपज की पोषक गुणवत्ता को बढ़ाता है। फसल उत्पादकता में वृद्धि और लागत में कमी करके किसानों की आय में वृद्धि करता है। इसका इस्तेमाल कैसे होगा, आगे जानें..

नैनो तरल यूरिया का इस्तेमाल कैसे करें :– नैनो यूरिया Fertilizers को फसल के सक्रिय विकास के चरणों दो बार उपयोग किया जा सकता है। पहला छिडक़ाव फसल के अंकुरण के 30 दिन बाद (कल्ले निकलते समय/शाखाएं बनते समय) और दूसरा छिडक़ाव पहले छिड़काव के 20 से 25 दिन बाद या फसल में फूल आने से पहले करना चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार, नैनो यूरिया का 2-4 एमएल प्रति लीटर पानी (या 250 मिली / एकड़ 125 लीटर पानी में) के घोल का खड़ी फसल में छिड़काव करना चाहिए। नैनो यूरिया Fertilizers का उपयोग या छिड़काव सभी फसलों पर किया जा सकता है जिसमें अनाज, दालें, सब्जियां, फल, फूल, औषधीय और अन्य शामिल हैं।

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3. डीएपी का उपयोग (Use of DAP)

डीएपी Fertilizers भारत में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है। इन उर्वरकों को बुवाई के ठीक पहले या समय पर लगाया जाता है, क्योंकि इनमें फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है, जो जड़ की स्थापना और विकास को निर्धारित करता है।

यदि आप इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो पौधे अपने सामान्य आकार तक नहीं बढ़ सकते हैं क्योंकि प्रकृतिक रूप में बहुत अधिक समय लगता है। डीएपी में 46% फास्फोरस (P) और 18% नाइट्रोजन (N) होता है. हाल ही में सरकार ने डीएपी पर सब्सिडी में 137 फीसदी की वृद्धि की घोषणा की है। डीएपी Fertilizers पर दी जाने वाली सब्सिडी पोषक तत्व आधारित सब्सिडी है जिसकी दरें पोषक तत्वों में भिन्न होती हैं।

डीएपी का इस्तेमाल ऐसे करें : – आप हेक्टेयर के हिसाब से पौधों की संख्या के बराबर DAP उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए 1 हेक्टेयर के लिए 100 किग्रा डीएपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

4. नैनो तरल डीएपी का उपयोग (use of Nano liquid DAP)

नैनो तरल डीएपी एक छोटी बोतल होती है। यह 1 बोरी डीएपी Fertilizers का काम करेगी। यानी अब खेतो में किसान भाइयों को बोरी ले जाने की जरूरत नहीं है। 500 मिली. की बोतल से सारा काम होगा। नैनो डीएपी लिक्विड (तरल) जब पौधो पर डाला जाता हैं तो यह तत्काल पौधों की आवश्यकता अनुसार नाइट्रोजन एंव फास्फोरस की कमी को पूरा करता हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल हैं। रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी आती हैं। साथ ही साथ नैनो डीएपी से गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त होती हैं।

नैनो तरल डीएपी का इस्तेमाल कैसे करें :– प्रति छिड़काव के लिए नैनो डीएपी (तरल) @ 250 मिली-500 मिली प्रति एकड़ Fertilizers का छिड़काव करें। छिड़काव के लिए पानी की आवश्यक मात्रा में स्प्रेयर के प्रकार पर निर्भर करती हैं।

नैपसैक स्प्रेयर में हर 15-16 लीटर टैंक में नैनो डीएपी लिक्विड के 2-3 ढक्कन (50-70 मिली); 8-10 टैंक सामान्य रूप से 1 एकड़ फसल को कवर करते हैं। वही बूम पावर स्प्रेयर में हर 20-25 लीटर टैंक में नैनो डीएपी लिक्विड Fertilizers के 3-4 ढक्कन (75-100 एमएल); 4-6 टैंक सामान्य रूप से 1 एकड़ फसल को कवर करते हैं।

5. एनपीके का उपयोग (use of NPK)

वैज्ञानिकों का दावा है कि एनपीके उर्वरक डीएपी Fertilizers से बेहतर है, क्योंकि यह मिट्टी को अम्लीकृत नहीं करता है। फसलों के संतुलित विकास के लिए 6 मैक्रो पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिसमें नाइट्रोजन (एन),फास्फोरस (पी), पोटेशियम (के), कैल्शियम (ए), मैग्नीशियम (एमजी), सल्फर (एस) शामिल हैं। वहीं नाइट्रोजन उर्वरकों में अमोनियम नाइट्रेट और अमोनियम सल्फेट शामिल हैं।

पोटासिक उर्वरकों में पोटेशियम नाइट्रेट और चिली सल्फेट शामिल हैं। फॉस्फेटिक उर्वरकों Fertilizers में सुपर फॉस्फेट, ट्रिपल फॉस्फेट शामिल हैं. 4:2:1 का एनपीके अनुपात मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करता है और फसलों की उपज में वृद्धि करता है। जिसके परिणामस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि होती है।

एनपीके का इस्तेमाल ऐसे करें : – पौधों को 1 टन अनाज पैदा करने के लिए प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन लेने की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि एक टन अनाज पैदा करने के लिए दोगुना उर्वरक या 30 से 40 किलो एन प्रति हेक्टेयर डालना होता है।

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