फसलों के लिए मौसम नुकसानदेह, पाले की संभावना बढ़ी, फसलों को पाले से बचाव के उपाय जानिए..

ज्यादा ठंड में रबी फसलों (Frost in Rabi crops) की देखभाल आवश्यक होता है, फसलों को किस तरह पाला नुकसान पहुंचता है, जानें बचाव के उपाय.

Frost in Rabi crops | पिछले कई दिनों से मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में मावठे की बारिश एवं घना कोहरा छा रहा है। मनुष्य हो या फसल ज्यादा ठंड नुकसानदेह हो जाती है। सर्दियों का मौसम शुरू होते ही हर किसी को ठंडक का अहसास शुरू होने लगता है।

ऐसे में जिस समय ज्यादा ठंड पड़ती है, उस समय किसानों को अपनी फसल की चिंता सताने लगती है। क्योंकि कड़ाके की सर्दी में रबी फसलों पर पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में पाले से अपनी फसल (Frost in Rabi crops) को बचाने के लिए निम्नलिखित रसायनिक एवं प्राकृतिक उपाय करने चाहिए। तो आइए चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से पाले से बचाव के उपाय जानें…

पाले से फसल की पैदावार पर पड़ता है असर

Frost in Rabi crops | पाला किसी प्रकार की बीमारी न होते हुए भी विभिन्न फसलों, सब्जी, फूल एवं फल उत्पादन पर बुरा असर डालता है, जिस के कारण सब्जियों में 80-90 दलहनी फसलों पर 60-70 फीसदी और अनाज वाली फसलों (गेहूं व जौ) में 10-15 फीसदी तक नुकसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त फलदार पौधे जैसे पपीता व केला आदि में भी 80-90 फीसदी तक का नुकसान पाले के कारण देखा गया है।

पाले का प्रकोप इतना गंभीर होता है कि किसान को पाले से बचाव Frost in Rabi crops के लिए कुछ भी उपाय करने का वक्त नहीं मिल पाता है, जिसके कारण हमें काफी नुकसान उठाना पड़ता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे देश की बढ़ती आबादी के लिए उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है। लिहाजा, उत्पादन वृद्धि के लिए जरूरी है सिंचाई सुविधाओं का विस्तार और बेहतर फसल प्रबंध में रबी फसलों के लिए पाले से होने वाले नुकसान को रोकने या कम करने के उपाय प्रमुख हैं।

सबसे पहले यह जानें.. पाला क्या होता है ?

Frost in Rabi crops | पाला पड़ने की संभावना 1 जनवरी से 10 जनवरी तक अधिक रहती है, जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान कम हो जाए, तब पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। दिन के समय सूरज की गरमी से पृथ्वी गरम हो जाती है और जमीन से यह गरमी विकिरण द्वारा वातावरण में बदल जाती है, इसलिए रात में जमीन का तापमान गिर जाता है, क्योंकि, जमीन को गरमी तो मिलती है नहीं और इसमें मौजूद गरमी विकिरण द्वारा नष्ट हो जाती है।

जब रात का तापमान 32 डिगरी फारेनहाइट अथवा 0 डिगरी सैंटीग्रेड से कम हो जाता है, तो ऐसी अवस्था में ओस की बूंदें जम जाती हैं, यानी वायु में निहित वाष्प जल कणों में बदल कर सीधे हिम कणों में बदल जाती हैं, इस प्रकार हिम के रूप में बनी ओस को पाला Frost in Rabi crops कहते हैं।

दो प्रकार का होता है पाला

1. काला पाला :– काला पाला उस अवस्था को कहते हैं, जब जमीन के पास हवा का तापमान बिना पानी के जमे 0 डिग्री सैल्सियस से कम हो जाता है। वायुमंडल में नमी इतनी कम हो जाती है कि ओस Frost in Rabi crops का बनना रुक जाता है, जो पानी के जमने को रोकता है।

2. सफेद पाला :– सफेद पाले में वायुमंडल में तापमान 0 डिग्री सैल्सियस से कम हो जाता है और साथ ही वायुमंडल में नमी ज्यादा होने की वजह से ओस बर्फ के रूप में बदल जाती है। पाले Frost in Rabi crops की यह अवस्था सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। यदि पाला अधिक देर तक रहे, तो पौधे मर भी सकते हैं।

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पौधों को कैसे नुकसान पहुंचाता है पाला

Frost in Rabi crops | पाले से प्रभावित पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित पानी सर्वप्रथम अंतरकोशिकीय स्थान पर इकट्ठा हो जाता है। इस तरह कोशिकाओं में निजलकरण की अवस्था बन जाती है और दूसरी ओर अंतरकोशिकीय स्थान में एकत्र जल जम कर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है। इस वजह से इस के आयतन में वृद्धि होती है और वृद्धि होने के कारण उस का दबाव चारों ओर से कोशिकाओं की दीवार पर पड़ता है।

साथ ही, आसपास की कोशिकाओं पर भी दबाव पड़ता है। यह दबाव अधिक होने पर कोशिका फट जाती है और अंत में पौधा धीरे–धीरे सूखने लगता है। इस प्रकार कोमल टहनियां पाले से नष्ट हो जाती हैं। पाले का अधिकतम दुष्प्रभाव पत्तियों व फूलों पर पड़ता है। अधपके फल सिकुड़ जाते हैं, पत्तियों व बालियों में दाने नहीं बनते, जिससे उनके भार में कमी आ जाती है।

पाले का फसलों पर यह प्रभाव पड़ेगा (Frost in Rabi crops)

  • जब तापमान एकदम पानी के जमाव बिंदु व इस से भी कम हो जाता है, तो कोशिकाओं के अंदर व बाहर का पानी जमने लगता है, जिस से कोशिकाएं फट जाती हैं।
  • पाला पड़ने से पौधों में परोलिन नामक अमीनो अम्ल हार्मोन की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, जिस से पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
  • कम तापमान के कारण एंजाइम्स की क्रियाएं प्रभावित हो जाती हैं।
  • प्रकाश संश्लेषण की क्रियाएं मंद पड़ जाती हैं और श्वसन क्रिया मंद होने के कारण एटीपी कम बन पाते हैं।
  • कोशिकाओं की झिल्लियों में जो फोस्फोलिपिड होते हैं, वे ठोस कण बन जाते हैं। इस के कारण झिल्लियों में बहाव Frost in Rabi crops रुक जाता है।
  • कोशिकाओं के मर जाने से पौधों पर रोगाणुओं और कीटाणुओं का हमला अधिक होता है।

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पाले से नुकसान के लक्षण

Frost in Rabi crops | पाले से प्रभावित फसलों का हरा रंग समाप्त हो जाता है और पौधों का रंग सफेद सा दिखाई देने लगता है। पौधों में लगी पत्तियां, फूल एवं फल सब सूख जाते हैं। फलों एवं दानों के ऊपर धब्बे नजर आने लगते हैं और फसलों का स्वाद भी खराब हो जाता है। सब्जियों में इसका दुष्परिणाम उस समय अधिक पड़ता है, जिन पर सब्जियां जमीन के काफी नजदीक लगती हैं।

फसलों को पाले से बचाव के तरीके

जब वायुमंडल का तापमान 4 डिगरी सैल्सियस से कम और 0 डिगरी सैल्सियस तक पहुंच जाता है, तो पाला पड़ता है। इसलिए पाले से बचाने Frost in Rabi crops के लिए किसी भी तरह से वायुमंडल के तापमान को 0 डिगरी सैल्सियस से ऊपर बनाए रखना जरूरी हो जाता है। ऐसा करने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए हैं, जिन्हें अपना कर हमारे किसान ज्यादा फायदा उठा सकेंगे।

पौधों के बचाव के 2 तरीके हैं :–

  1. परंपरागत तरीके.
  2. रासायनिक तरीके.

अब आइए जानते है, इनकी विस्तारपूर्वक जानकारी..

1. परंपरागत तरीके

खेतों की सिंचाई करके :– जब भी पाला Frost in Rabi crops पड़ने की संभावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो, तो फसल में हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए, जिस से तापमान 0 डिगरी सैल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

जहां पर सिंचाई फव्वारा Frost in Rabi crops विधि द्वारा की जाती है, वहां यह ध्यान रखने की बात है कि सुबह 4 बजे तक अगर फव्वारे चला कर बंद कर देते हैं, तो सूर्योदय से पहले फसल पर बूंदों के रूप में उपस्थित पानी जम जाता है और फायदे की अपेक्षा नुकसान अधिक हो जाता है। अतः स्प्रिंकलर को जल्दी प्रातःकाल से सूर्योदय तक लगातार चला कर पाले से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

पौधों को ढक कर :– पाले से सब से अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिगरी सैल्सियस बढ़ जाता है, जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। लेकिन यह कुछ महंगी तकनीक है। गांव में पुआल का इस्तेमाल पौधों को ढकने के लिए किया जा सकता है।

पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिणपूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे। पुआल का प्रयोग दिसंबर से फरवरी महीने तक करें। मार्च का महीना आते ही इसे हटा दें। नर्सरी Frost in Rabi crops पर छप्पर डाल कर भी पौधों को फील्ड में ट्रांसप्लांट करने पर पौधों के थावलों के चारों ओर कड़बी या मूंज की टाटी बांध कर भी पाले से बचाया जा सकता है।

खेत के पास धुआं करके :– गांवों में खेत और खलिहानों में कृषि पैदावार के अपशिष्ट पदार्थ के रूप में पुआल, गोबर, पौधे की जड़ें, बाजरे की तुड़ी आदि कई चीजें बची रहती हैं। जब भी पाला Frost in Rabi crops पड़ने की संभावना नजर आए, तो रात को इन अपशिष्ट पदार्थों को जला कर धुआं कर दें। यह धुआं जमीन की गरमी, जो विकिरण द्वारा नष्ट हो जाती है, को रोकता है, जिस से तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

वायुरोधक द्वारा :– पाले से बचाव के लिए खेत के चारों ओर मेंड़ पर पेड़-झाड़ियों की बाढ़ लगा दी जाती है, जिस से शीतलहर द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। अगर खेत के चारों ओर मेंड़ के पेड़ों की कतार लगाना संभव न हो, तो कम से कम उत्तरपश्चिम दिशा में जरूर पेड़ की कतार लगानी चाहिए, जो अधिकतर इसी दिशा में आने वाली शीत लहर को रोकने का काम करेगी।

पेड़ों की कतार की ऊंचाई जितनी अधिक होगी, शीत लहर से सुरक्षा उसी के अनुपात में बढ़ती जाती है। पेड़ की ऊंचाई के 4 गुना दूरी तक जिधर से शीत लहर आ रही है और पेड़ की ऊंचाई के 25-30 गुना दूरी तक जिधर शीत लहर की हवा Frost in Rabi crops जा रही है, पौधे लगाए जाएंगे, तो फसल सुरक्षित रहती है.।

प्लास्टिक की क्लोच का प्रयोग :– पपीता व आम के छोटे पेड़ को प्लास्टिक से बनी क्लोच से बचाया जा सकता है। इस तरह का प्रयोग हमारे देश में प्रचलित नहीं है, परंतु हम खुद ही प्लास्टिक की क्लोच बना कर इस का प्रयोग पौधों को पाले से बचाने के लिए कर सकते हैं। क्लोच से पौधों को ढकने Frost in Rabi crops पर अंदर का तापमान तो बढ़ता ही है, साथ में पौधे की बढ़वार में भी मदद करता है।

पाला अवरोधी फसलें उगाना :– जिन क्षेत्रों में पाला पड़ने की संभावना अधिक हो, वहां चुकंदर, गाजर, गेहूं, मूली, जौ इत्यादि फसलें बोने से पाले का प्रभाव कम पड़ेगा। पाले से प्रभावित होने वाली फसलों Frost in Rabi crops की अवरोधी किस्मों की बोआई करने से पाले से बचायाा जा सकता है जैसे आलू की कुफरी शीतमान, सिंदूरी व कुफरी देवा, मटर की बीएल-1, बीएल-3 आदि प्रजातियों की बोआई करने से पाले से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

खेत में बालू मिलाकर :– कुछ वर्ष के अंतराल पर खेत में बालू मिला कर भी फसल को पाले से बचा सकते हैं, क्योंकि बलुई मिट्टीयुक्त सतह शीघ्र गरम होती है और गरमी लंबी अवधि तक बनी रहती है। अपने इसी गुण के कारण बालू पाले Frost in Rabi crops से कुछ हद तक लड़ने में सहायक होता है।

हीटर द्वारा :– फसल, सब्जी या फलदार पौधों के 2 पंक्तियों के बीच या आवश्यकतानुसार मेंड़ों के आसपास हीटर लगाकर भी पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है। हीटर से मिट्टी व पौधों के आसपास का तापमान बढ़ जाता है। हीटर से निकलने वाली गरमी के कारण भूमि की ऊपरी सतह पर धुएं की दीवार सी बन जाती है, जो भूमि की गरमी को देर तक बनाए रखती है। नतीजतन, पाले से फसल बच Frost in Rabi crops जाती है। इस विधि में भी यह आवश्यक है कि समय पर बिजली की समुचित व्यवस्था हो।

समय से बोआई करें :– पाले से फसलों को बचाने का सब से उपयुक्त तरीका शस्य क्रियाओं में हेरफेर करना है। पाला अधिकतर फसलों में फूल आने की अवस्था पर पड़ता है। अतः प्रभावित क्षेत्रों में फसल की बोआई समय से पूर्व कर देनी चाहिए, जिस से फसलों को पाले से बचाया जा सके। इसके अतिरिक्त फलदार पेड़ों के निकट तालाब व जलाशयों के बनाने से फलदार पेड़ों पर पाले का असर कम पड़ता है।

2. रासायनिक तरीके

गंधक के तेजाब का छिड़काव :– बारानी फसलों में जब पाला Frost in Rabi crops पड़ने की संभावना हो, तो पाले की संभावना वाले दिन फसल पर व्यापारिक गंधक के तेजाब का 0.1 फीसदी (10 मिलीलिटर रसायन 100 लिटर पानी में) घोल कर इस प्रकार छिड़काव करें, जिस से पौधे पूरी तरह भीग जाएं।

पाले से बचाव के अतिरिक्त इस में पौधों में रोग से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है और फसल शीघ्र पकती है। इसके प्रयोग द्वारा गेहूं, चना, सरसों, आलू व मटर आदि को भी बचाया जा सकता है। इस प्रकार तेजाब के स्प्रे से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है और तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है।

डाईमिथाइल सल्फोऔक्साइड का छिड़काव :– डीएमएसओ पौधों से पानी बाहर निकालने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है, जिस से कोशिकाओं में पानी जमने नहीं पाता और इस तरह उन की दीवार नहीं फटती और आखिर में पौधा Frost in Rabi crops नहीं सूखता है। इस रसायन का छिड़काव पाले की अधिक आशंका होने पर 75-100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1,000 लिटर पानी में घोल कर करना चाहिए। यदि आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिलते, तो 10-15 दिन बाद दोबारा छिड़काव में सावधानियां अवश्य बरती जाएं।

ग्लूकोज का छिड़काव :– इसके प्रयोग से पौधों की कोशिकाओं में घुलनशील पदार्थ की मात्रा में वृद्धि हो जाती है, फलतः तापमान कम होने पर भी कोशिकाओं के सामान्य कार्य पद्धति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव Frost in Rabi crops नहीं पड़ता, जिस से फसल पाले के प्रकोप से बच जाती है। साधारणतया एक किलोग्राम ग्लूकोज प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1,000 लिटर पानी में मिला कर फूल आने की अवस्था में छिड़काव करते हैं। आवश्यकतानुसार 10-15 दिन बाद इस का पुनः छिड़काव किया जा सकता है।

साइकोसिल का छिड़काव करें :– साइकोसिल के छिड़काव से पौधों की बढ़वार रुक जाती है, जिस के कारण फसलों में पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए फसलों एवं सब्जियों Frost in Rabi crops में फूल आने की अवस्था पर 0.03 फीसदी साइकोसिल रसायन का छिड़काव करना चाहिए।

इस प्रकार हम फसल, नर्सरी और छोटे फलदार पेड़ों को पाले से होने वाले नुकसान से बहुत ही आसान एवं कम खर्चीले तरीकों द्वारा बचा सकते हैं। विदेशों में महंगे पौधों को बचाने के लिए हीटर का प्रयोग भी किया जाता है, लेकिन हमारे देश में अभी यह संभव नहीं है।

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