कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह, इस तरह होगी बंपर पैदावार..

आइए जानते है कृषि वैज्ञानिकों ने कपास के बंपर उत्पादन (Good Cotton Yield) के लिए कपास की खेती करने वाले किसानों को क्या सलाह दी.

Good Cotton Yield | भारत में इस समय मानसून की एंट्री होने के साथ साथ खरीफ सीजन का भी आगमन हो चुका है। कई किसान खरीफ सीजन में कपास की खेती करना पसंद करते है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने कपास की खेती करने वाले किसानों के जरूरी एडवाइजरी जारी की हैं। एडवाइजरी में किसानों को बताया गया है की, वह किस तरह कपास की खेती से बंपर Good Cotton Yield पैदावार ले सकते है। तो आइए आपको बताते है कपास की बंपर पैदावार के लिए बुवाई से लेकर कटाई तक की पूरी जानकारी…

कपास की शाखाओं को करें कैंचीनुमा छंटाई

कपास अत्यधिक व असामयिक वर्षा के कारण सामान्यतः पौधों की ऊंचाई 1.5 मीटर से अधिक हो जाती है, जिससे उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतएव 1.5 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली मुख्य तने की ऊपर वाली सभी शाखाओं की छंटाई सिकेटियर (कैंची) से कर देनी चाहिए। इस छंटाई से कीटनाशक रसायनों के छिड़काव में आसानी होती है। Good Cotton Yield

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

कपास में फूल आने पर यह दवाई छिड़के

देसी कपास में अगस्त के पहले पखवाड़े में कपास से निकल रहे फुटाव को काट दें। इससे पैदावार बढ़ जाती है। फूल आने पर नेफ्थलीन एसीटिक एसिड 70 सी.सी. का छिड़काव अगस्त के अंत या सितम्बर के शुरू में करें। इस छिड़काव से फूल व टिण्डे सड़ते नहीं व पैदावार ज्यादा मिलती है। Good Cotton Yield

यह भी पढ़िए…👉किसानों को मालामाल करेगी कपास की ये टॉप 5 किस्में, प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उत्पादन

कपास में फूल आने पर खाद कितना दे?

Good Cotton Yield कपास में फूल आने के समय नाइट्रोजन की बाकी आधी मात्रा दें, जो कि संकर कपास में 1/2 बैग, अमेरिकन कपास में 2/3 बैग होती है। नाइट्रोजन देने से पहले खेत में नमी होनी चाहिए, परंतु पानी खड़ा नहीं होना चाहिए।

वर्षा के बाद अतिरिक्त जल का निकास तुरंत होना चाहिए। यदि फूल आने पर खेत में नमी नहीं होगी, तो फूल और फल झड़ जाएंगे तथा पैदावार कम हो जायेगी। एक तिहाई टिण्डे खुलने पर आखिरी सिंचाई कर दें। इसके बाद कोई सिंचाई न करें तथा खेत में वर्षा का पानी खड़ा न होने दें। Good Cotton Yield 

मूल-विगलन रोग के लिए यह दवाई डालें

मूल-विगलन रोग में पौधों की जड़ सड़ जाती है और छाल के नीचे पीला सा पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग से बचने के लिए अगेती बुआई करनी चाहिए। वीटावैक्स 0.1 प्रतिशत और ब्लाइटॉक्स 0.3 प्रतिशत प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीज को उपचारित करना चाहिए। Good Cotton Yield

इल्लीयो से बचाव के लिए यह अपनाए

Good Cotton Yield कपास के पत्ती लपेटने वाले कीट की इल्लियां पत्तियों को लपेटकर एक खोल सा बना लेती हैं और अन्दर पत्तियों को खाती हैं। इनकी रोकथाम के लिए (1) गर्मियों में गहरी जुताई करें, ताकि प्यूपा धूप से नष्ट हो जाएं, (2) इसके लार्वा को एकत्रित करके नष्ट कर देना चाहिए, (3) फसल पर पत्ती लपेटने वाले कीट दिखाई देने पर अण्डा पैरासिटोइड ट्राइकोग्रामा 1.5 लाख प्रति हैक्टर की दर से खेत में प्रयोग करना चाहिए।

जुलाई-अगस्त में किट रोग का ज्यादा प्रभाव

हरा तैला कीट के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही कपास को नुकसान पहुंचाते हैं। ये हरे रंग के होते हैं, जो कि पत्तियों की निचली सतह पर रहते हैं। ये टेढ़े चलते दिखाई देते हैं। इनके आक्रमण से पत्ते किनारों से पीले पड़ जाते हैं। नीचे की ओर मुड़ने लगते हैं, बाद में कपनुमा हो जाते हैं। पत्तियां पीली व लाल होकर सूख जाती है और जमीन पर गिर जाती हैं। Good Cotton Yield

पौधों की बढ़वार रुक जाती है व कलियां, फूल गिरने लगते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है। हरा तैला जुलाई-अगस्त में सर्वाधिक हानि पहुंचाता है। रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कीटों के आर्थिक कगार पर पहुंचने के बाद ही करें। अगस्त में कपास की फसल पर हरा तैला, रोयेंदार सूंडी, चित्तीदार सूंडी, कुबड़ा कीट तथा अन्य पत्ती खाने वाले कीट का प्रकोप बढ़ जाता है।

बीते कुछ सालों में सफेद मक्खी चट कर रही कपास की फसल

सफेद मक्खी कीट का पिछले कुछ वर्षों से कपास में प्रकोप काफी बढ़ रहा है। यह एक बहुभक्षी कीट है, जो कपास की प्रारंभिक अवस्था से लेकर चुनाई व कटाई तक फसल में रहता है। इस कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों की निचली सतह पर रहकर रस चूसते हैं। प्रौढ़ 1-1.5 मि.मी. लम्बे, सफेद पंखों व पीले शरीर वाले होते हैं। जबकि शिशु हल्के पीले, चपटे होते हैं। ये फसल को दो तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। एक तो रस चूसने की वजह से, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।

दूसरा पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ने की वजह से, जिस पर काली फफूंद उग जाती है और पौधे के आहार बनाने की प्रक्रिया में बाधा डालती है। यदि अगस्त-सितम्बर माह में सफेद मक्खी कीट का आक्रमण हो जाए तो, सफेद मक्खी के आर्थिक कगार पर पहुंचने पर मैटासिस्टाक्स 25 ईसी व एक लीटर नीम आधारित कीटनाशक या 300 मि.ली. डाइमेथोएट 30 ईसी का बारी-बारी से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। Good Cotton Yield 

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

यह भी पढ़िए….👉कपास की सबसे लोकप्रिय किस्म रासी 659 के बारे में कृषि विभाग ने की किसानों से अपील, जानिए डिटेल..

👉 कपास की बंपर पैदावार के लिए बीज खरीदने एवं बुवाई के दौरान इन बातों का ध्यान रखना होगा, पढ़िए जानकारी..

👉 सबसे अधिक उत्पादन देने वाली सोयाबीन की यह 3 वैरायटियां इस वर्ष डिमांड में, जानिए वजह..

👉जेएस 9560 एवं NRC 150 को टक्कर देने वाली सोयाबीन की नई वैरायटी अंकुर अग्रसर के बारे में जानिए..

👉 इस वर्ष जोरदार वर्षा होने की संभावना, खरीफ सीजन में सोयाबीन की यह किस्में करेगी किसानों को मालामाल..

👉रबी में आलू प्याज, लहसुन की खेती करने वाले किसान सोयाबीन की यह टॉप 5 वैरायटी बोए, जल्दी पकेगी एवं बंपर पैदावार होगी

प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.

Leave a Comment