गेंहू एवं अन्य रबी फसलों में जिप्सम के प्रयोग से उत्पादन बढ़ेगा, जानें उपयोगिता एवं खेत में कितना डालें

रबी फसल में जिप्सम Gypsum in Rabi Crop का उपयोग कब-कब करें इसकी उपयोगिता क्या है, जानें आर्टिकल में..

Gypsum in Rabi Crop | पौधों के लिए नाईट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश के बाद गंधक चौथा पोषक तत्व है। एक अनुमान के अनुसार तिलहनी फसलों में फास्फोरस के बराबर मात्रा में गंधक की आवश्यकता होती है। सामान्यत: कृषकों द्वारा गंधक रहित उर्वरक जैसे डीएपी (कालिया खाद) एवं यूरिया का अधिक उपयोग किया जा रहा है और गंधक युक्त सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग कम कर रहा है।

साथ ही अधिक उपज देने वाली संकर किस्मों द्वारा जमीन से गंधक (Gypsum in Rabi Crop) का अधिक उपयोग किया जा रहा है। एक ही खेत में हर वर्ष दलहन व तिलहन फसलों की खेती करने से किसान की जमीन में गंधक की कमी हो जाती है। ऐसे में यदि किसान गंधक युक्त जिप्सम का प्रयोग करें तो उनकी फसल में गंधक की कमी नहीं होगी। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की, जिप्सम के उपयोग से दलहनी, तिलहनी व अनाज वाली सभी फसलों (Gypsum in Rabi Crop) के उत्पादन व गुणवत्ता में बढ़ोतरी के साथ-साथ भूमि का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। जिप्सम गंधक का सर्वोत्तम व सस्ता स्त्रोत है एवं राज्य में आसानी से उपलब्ध है। गेंहू एवं अन्य रबी फसलों में जिप्सम का प्रयोग कब-कब करें एवं इसकी उपयोगिता जानने के लिए चौपाल समाचार के इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें..

गेंहू में जिप्सम खाद की उपयोगिता

Gypsum in Rabi Crop | खाद्यान्न फसलों में जिप्सम के उपयोग से गंधक पोषक तत्व की आपूर्ति होती है, इससे पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। गंधक से दाने मोटे व चमकदार बनते है। दाने में प्रोटीन की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार प्रति हेक्टर 250 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग करने से गुणवत्ता युक्त उपज में बढ़ोतरी होती है।

दलहनी फसलों में जिप्सम खाद की उपयोगिता

दलहनी फसलों (Gypsum in Rabi Crop) में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है। प्रोटीन के निर्माण के लिए गंधक अति आवश्यक पौषक तत्व है। इसमें दलहनी फसलों में भी दानें सुडोल व चमकदार बनते हैं व फसल की पैदावार बढ़ती है। ये पौधों की जड़ों की गाँठो में स्थित राईजोबियम जीवाणु की क्रियाशीलता को बढ़ाती है, जिससे पौधे वातावरण में उपस्थित नाईट्रोजन का अधिक से अधिक उपयोग कर सकते है ।

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तिलहनी फसलों में जिप्सम खाद का प्रयोग

Gypsum in Rabi Crop | राज्य में बोई जाने वाली रबी की मुख्य फसलें सरसों, तारामीरा, कुसुम आदि फसलों में गंधक के उपयोग से दानों में तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है, साथ ही साथ दाने सुडौल एवं चमकीले बनते है। जिसके कारण तिलहनी फसलों की पैदावार में 10 से 15त्न की बढ़ोतरी होती है।

फसलों को पाले से बचाने में भी सहायक

जिप्सम में 13.5 प्रतिशत गंधक Gypsum in Rabi Crop पाया जाता है, जिसके कारण जिन फसलों में जिप्सम प्रयोग किया जाता है। उन फसलों में पाले से नुकसान होने की सम्भावना कम रहती है। राज्य सरकार किसानों को जिप्सम 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करा रही है। जिप्सम एक, काम अनेक।

जिप्सम खाद को खेत में कब एवं कितना डालें

गंधक की कमी Gypsum in Rabi Crop को दूर करने एवं फसल की अच्छी गुणवत्ता व अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने बुवाई से पहले 250 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टर की दर से खेत में मिलाने की सिफारिश की है। जिप्सम में 13.5 प्रतिशत गंधक तथा 19 प्रतिशत कैल्शियम पौषक तत्व पाये जाते हैं। भूमि सुधार हेतू मिट्टी परीक्षण जाँच रिपोर्ट के आधार पर जिप्सम का प्रयोग कर मिट्टी की दशा सुधारनी चाहिए।

इस प्रकार करें जिप्सम का प्रयोग

फसलों में जिप्सम Gypsum in Rabi Crop डालने से पहले यह जानना जरूरी हो जाता है की जिप्सम का प्रयोग किस प्रकार किया जाए। जिप्सम को खेत में डालने से पूर्व या खाद डालते जो सावधानियां रखनी चाहिए वे इस प्रकार से है :-

  1. प्रयोग किये जाने वाला जिप्सम पूर्ण रूप से महीन हो।
  2. उत्तम परिणामों हेतु जिप्सम को मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला लें ताकि यह भली प्रकार घुलकर मिट्टी के घोल को संतृप्त कर दें।
  3. वैसे जिप्सम को फसल की बुआई से पहले खेत में डालें। यदि खड़ी फसल में डालने की आवश्यकता पड़े तो इसके लिए खेत में पर्याप्त नमी हो और खेत में डालने के बाद इसे गुड़ाई करके अच्छी प्रकार मिला दें।
  4. जिप्सम Gypsum in Rabi Crop की दक्षता बढ़ाने के लिए हरी खाद या गोबर की खाद का प्रयोग लाभप्रद पाया गया है।
  5. तिलहनी विशेषकर मूंगफली की उपज पर कैल्शियम का भी प्रभाव पड़ता है इसलिए जिप्सम के प्रयोग से इसकी उपज और गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
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