तेज बारिश नहीं होने से सोयाबीन और मक्का के पौधों की पत्तियां चट कर रहा कामलिया कीट, कैसे नियंत्रित करें जानें..

कामलिया कीट समूह में महामारी की तरह फसल को नुकसान पहुंचाता है, Kharif crop disease इसलिए नियंत्रण आवश्यक है, कैसे करें नियंत्रण जानिए..

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Kharif crop disease | सोयाबीन, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के लिए बारिश की थोड़ी सी खींच भारी पड़ रही है। क्योंकि कई क्षेत्रों में बारिश नहीं होने के कारण किसान खरपतवार नाशक दवाइयां का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। खेतों में खरपतवार उगाने के कारण एवं इनका निदान नहीं होने पर कीट, रोग फैलने लगें हैं।

खरीफ सीजन के तहत सोयाबीन की फसल खेतों में लहलहा रही है, लेकिन फसलों पर कीट का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है। कमलिया किट समूह में फसलों पर अटैक Kharif crop disease करता है, इससे नुकसान की अधिक संभावनाएं हैं, इस पर नियंत्रण कैसे करें आइए जानते हैं..

कामलिया कीट की पहचान

कामलिया कीट के शरीर पर घने बाल रहते हैं इसलिए उसे कामलिया कीट या रोमिल इल्ली कहते हैं। कमलिया कीट Kharif crop disease को कुतरा, घोघला या कंबल कीट के नाम से जाना जाता है। यह सभी फसलों को नुकसान पहुंचाता है। खासकर मक्का, सोयाबीन, कपास पर इसका असर ज्यादा होता है।

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क्यों बड़ा कमलिया किट का प्रकोप 

सोयाबीन और मक्का की फसलों पर कामलिया कीट का अटैक देखने को मिल रहा है। दरअसल कामलिया कीट सोयाबीन के पौधों पर अटैक करता है। पत्तियों से लेकर तने को खाकर पूरी तरह खत्म कर देता है। कामलिया कीट का प्रकोप पहाड़ी इलाकों में अधिक देखने को मिल रहा है। सोयाबीन पर कामलिया कीट का अटैक Kharif crop disease कई क्षेत्रों में देखने को मिला है।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश की खेंच एवं खेतों में खरपतवार बढ़ने के कारण कामलिया का प्रकोप लगातार बढ़ा है। इसकी रोकथाम के लिए किसान कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, फिलहाल पौधों पर संकट है। रुक-रुककर होने वाली बारिश के कारण खेतों में कीट का असर देखने को मिला है। किसानों का कहना है कि यदि तेज बारिश होती है, तो कीटों का प्रकोप Kharif crop disease खत्म हो जाएगा।

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कीटनाशक भी बेअसर 

बारिश रुकने के कारण अचानक कीट का प्रकोप बढ़ा है। एक दम से कामलिया की तादाद बढ़ने के कारण कीटनाशक के छिड़काव से भी रोकथाम नहीं हो पा रही है।

सोयाबीन अंकुरित होकर पौधे धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, लेकिन कामलिया Kharif crop disease इन पौधों को खाकर नष्ट कर रहे हैं। किसानों ने कहा कि यदि तेज बारिश होती है, तो कीट नष्ट हो जाएंगे। लेकिन क्षेत्र में बीते 15 दिनों से जोरदार बारिश नहीं हुई है। थोड़ी बहुत हल्की बारिश हो रही है।

किसान कीट की रोकथाम के लिए यह उपाय करें

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक तेज बारिश से यह स्वतः खत्म हो जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पहाड़ी इलाके में इन कीटों का ज्यादा असर देखने को मिलता है। कामलिया कीट Kharif crop disease की शंखी को खेत की मेड़, वृक्ष के नीचे या दीमक की बांबी के आसपास खोदकर नष्ट करें।

खेतों में मेड़ के किनारे पलाश (खांखरे) या रतनजोत की पत्तियां शाम के समय डालें। यदि सुबह इनके नीचे इल्लियां मिलें तो तत्काल नष्ट करें। खेत के चारों तरफ गहरी नाली खोदें, जिससे इल्लियां खेत में प्रवेश करने से पहले ही उसमें गिरकर मर जाए।

कामलिया कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक दवा क्विनालफॉस (एकॉलाक्स 25 ईसी) की मात्रा 3.5 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों तथा खेत की मेड़पर छिड़काव करें। कामलिया कीट कुछ समय में ही फसल के तने व डंठल को छोड़कर पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। कीट समूह में महामारी की तरह फसल को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए समय रहते इन Kharif crop disease पर नियंत्रण आवश्यक है।

बारिश की खेंच से सोयाबीन को नुकसान

अगर एक-दो दिन में बारिश हो तो फसल संभल जाएगी, नहीं हो तो इसकी पैदावार भी प्रभावित होने लगेगी। 21 से 25 जून तक सोयाबीन खेत में डालने वालों को उपज सूखती नजर आने लगी है। किसानों के अनुसार कीटनाशक दवा डाल दी गई लेकिन बारिश नहीं होने से खेतों में नमी नहीं आई, ऐसे में जो दवा डाली गई वह बेकार चली गई। अब उपज को बचाने के लिए बारिश का होना बहुत जरूरी है। : Kharif crop disease

किसानों ने बताया बारिश लंबी जाने से उपज की ग्रोथ रुक जाती है और पैदावार प्रभावित भी होती है। किसान के सपनों की खेती में सोयाबीन उपज महत्वपूर्ण स्थान रखती है। किसान दिलीप सिंह के अनुसार जैसी बारिश होना चाहिए वैसी नहीं हुई है। कहीं-कहीं ही पानी खेतों से बाहर आया। अधिकांश स्थानों पर खेतों में पानी जैसा रहना चाहिए वैसा नहीं रहा। ऐसे में खेतों की नमी समाप्त होने लगी है। जानकार वर्ग का मानना है कि एक-दो दिन में बारिश शुरू होने लगेगी।

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