मक्का की ये उन्नत किस्में किसानों के लिए वरदान, प्रति हेक्टेयर 95 क्विंटल तक पैदावार, जानें डिटेल..

मक्का किसानों के लिए 95 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने वाली वैरायटी (Maize Variety) के बारे में जानें.

Maize Variety | खरीफ सीजन में सोयाबीन, धान की खेती के बाद मक्का का नाम लिया जाता है। सभी किसान भाई मक्का की खेती के लिए खाद बीज की व्यवस्था में जुट गए है। अच्छी फसल के लिए सबसे जरूरी होता है, उन्नत बीजों का चयन होना। ऐसे में मक्का किसानों के लिए आज हम उन्नत किस्मों की जानकारी लेकर आए हैं। दरअसल, ICAR लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित की गई है, जो कि प्रति हेक्टेयर करीब 95 क्विंटल तक उपज देती है। आइए जानते है कौन सी है मक्का की उन्नत किस्में….

1. मक्का की IMH-224 किस्म

Maize Variety मक्का की IMH-224 किस्म की बात करें तो, मक्के की यह किस्म साल 2002 में भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के द्वारा विकसित की गई है। ICAR ने इस किस्म को IMH-224 किस्म बिहार, ओडिशा, झारखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए काफी लाभकारी है।

मक्के की इस किस्म से किसान लगभग 70 क्विंटल तक प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। यह उन्नत किस्म खेत में 80-90 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है। इसके अलावा इस Maize Variety की खास बात ये है की, इसमें चारकोल रोट, मैडिस लीफ ब्लाइट और फुसैरियम डंठल सड़न जैसे रोगों के लिए रोग प्रतिरोधी है।

2. मक्का की PMH-1 LP किस्म

मक्का की यह PMH-1 LP उन्नत किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तराखंड के किसानों के लिए अनुशंसित की गई है। इन क्षेत्रों के किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर करीब 95 क्विटंल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। वही, यह किस्म मक्का की फसल में लगने वाले कीट और रोग रोधी के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।

3. मक्का की IQMH 203 किस्म

Maize Variety मक्का की IQMH 203 किस्म को साल 2021 में विकसित किया गया है। मक्के की यह किस्म बायो फोर्टिफाइड किस्म (Biofortified Variety) भी मानी जाती है। इस किसान को खासतौर पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के किसानों के लिए तैयार किया गया है। यह किस्म करीब 90 दिनों में पक जाती है। इसके साथ ही IQMH 203 किस्म कोमल फफूंदी, चिलोपार्टेलस और फ्युजेरियम डंठल सड़न जैसे रोगों को फसल में नुकसान पहुंचाने से रोकती है।

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मक्का की खेती के लिए खेत तैयार

मक्का की खेती Maize Variety के लिए पर्याप्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है। भली-भांति समतल और अच्छी जल धारण शक्ति वाली भूमि मक्का की खेती के लिए बेहतर होती है। पलेवा करने के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से 10-12 सेमी. गहरी एक जुताई तथा उसके बाद कल्टीवेटर या देशी हल से दो-तीन जुताइयां करके पाटा लगाकर खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए।

मक्का की बुवाई का समय

Maize Variety जिस क्षेत्र में कम बारिश होती है, वहां के किसानों के लिए यह वरदान से कम नहीं है. क्योंकि किसान ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसलें नहीं लगा पाते हैं। वहां धान की रोपाई और कटाई देर से होती है। इस कारण रबी मौसम में गेहूं लगाने में देर होता है और उत्पादन कम मिलता है।

मक्के की खेती Maize Variety कर जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल चक्र सुधारने में मदद मिलेगी और किसानों को अधिक मुनाफा मिलेगा। मक्का की बुवाई के लिए साल में कभी भी खरीफ, रबी और जायद मौसम कर सकते हैं। खरीफ में बुवाई का समय मध्य जून से मध्य जुलाई है। पहाड़ी और कम तापमान वाले क्षेत्रों में मई के अंत से जून के शुरुआत में मक्का की बुवाई की जा सकती है।

मक्का की खेती किसानों के लिए फायदेमंद

मक्का को दुनिया में खाद्यान्न फसलों की रानी कहा जाता है, क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता खाद्यान्न फसलों में सबसे ज्यादा है। मक्का (Maize Variety) को खाने के साथ कुक्कुट आहार, पशु आहार, शराब और स्टार्च के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारत में इससे 1000 से ज्यादा उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इसलिए मक्के की खेती अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा फायदेमंद है। मक्के की खेती जायद में भी की जाती है। जायद में मक्का की खेती भुट्टो और चारे दोनों के लिए की जाती है।

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