सौ साल पहले न उपकरण थे, न कोई मौसम वैज्ञानिक, ग्रामीण फिर भी मौसम का कैसे सटीक अनुमान लगा लेते थे, जानिए..

मानसून एवं मौसम के अनुमान Monsoon forecast को लेकर गांवों में अब भी पुरानी मान्यताएं प्रचलित है, आइए इनके बारे में जानते हैं..

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Monsoon forecast | भारतीय अर्थव्यवस्था मानसून पर निर्भर है। मानसून एवं मौसम संबंधी अनुमान के लिए अब भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक सटीक अनुमान लगाते है, किंतु कुछ वर्षों पहले ही ऐसी व्यवस्था नहीं थी उसे समय मौसम की सटीक जानकारी लगाना टेढ़ी खीर था, पहले न तो कोई उपकरण थे न हीं मौसम वैज्ञानिक। इसके बावजूद ग्रामीण मौसम का सटीक अनुमान लगाते थे। मौसम एवं मानसून का सटीक अनुमान Monsoon forecast लगाने के पश्चात इसी अनुसार किसान तैयारी करते थे।

आजकल के अत्याधुनिक दौर में पलक झपकते ही जलवायु, हवा, तूफान, गर्मी, सर्दी, दिन और रात के समय का आकलन बहुत ही आसानी से कर लेते हैं, लेकिन सौ साल पहले जब न उपकरण हुआ करते थे, न कोई मौसम वैज्ञानिक थे, उस दौर में हमारे किसान उनके आसपास रहने वाले जीव-जंतु, पशु, पक्षियों की हरकतों के आधार पर मानसून, सर्दी व गर्मी का पता लगा लेते थे। मौसम के यह अनुमान Monsoon forecast आज भी सटीक बैठते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इनकी महत्वता कम नहीं हुई है। ऐसे ही कुछ अनुमानों के विषय में आईए जानते हैं..

टिटौड़ी के अंडे देने से मानसून का अनुमान

Monsoon forecast ; प्राचीन काल से लेकर अब तक टिटौड़ी मानसून की सबसे अच्छी संदेश वाहक मानी गई है। माना जाता है कि टिटौड़ी चार अंडे दे, चारों खड़े रहे, तो मानसून के चारों महीनों में अच्छी बारिश होती है। इस संबंध में कहावत है कि “टिटौड़ी ऐ खेत में, अन्डा दीदा चार, बरखा होवेगी घणी, मौसम में अबकी बार”

आसमान में यहां-वहां टिटर-टिटर करती उड़ने वाली टिटौड़ी की आवाज तथा उसके चार अंडों से हमारे किसान यह अनुमान Monsoon forecast लगा लिया करते थे, कि इस साल बारिश कैसी होगी। किसान बताते हैं कि बारिश का अनुमान टिटौड़ी के अंडे देने की जगह और उनकी संख्या पर निर्भर होता था। अमूमन टिटौड़ी तीन ही अंडे देती है, लेकिन जब टिटौड़ी चार अंडे दे, तो इसका संकेत है कि बारिश अच्छी होगी और फसल की पैदावार भी अच्छी मात्रा में होगी।

गिलहरी और चींटी से यह लगाते हैं अनुमान

प्राचीन काल से लेकर अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसान मौसम की भविष्यवाणियों Monsoon forecast के साथ-साथ अपने आसपास के जीव जंतुओं पर भी विशेष निगाह रखते हैं। किसानों का कहना है कि अगर गिलहरी अपने अंडों को सहेजकर छुपाए रखती है, तो तय है कि बारिश बहुत अच्छी होगी। चिडिया रेत में नहाए या चीटियां अपने अंडे लेकर सुरक्षित जगह पहुंचे तो समझ लेते हैं कि कुछ ही दिनों में अच्छी बारिश होगी। आसमान में सफेद बादल तेजी से चलते हुए दिखें, तो समझ लेते हैं उसम बढ़ेगी और 15 दिन में काले बादल छाएंगे, इसके बाद तेजी से बारिश होगी।

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कुल्हड़ से लगाते है वर्षा का अनुमान

बारिश के मौसम का अनुमान Monsoon forecast लगाने के लिए एक अनूठा तरीका पहले अपनाया जाता था। आज भी ये तरीका ग्रामीण अंचलों में अनाया जाता है। इसमें कुम्हार से मिट्टी की चार कुल्हड़ बनवाई जाती। जिसे बगैर पकाए धूप में रखकर सूखाया जाता था। सूखने के बाद गाय की बछिया के गोबर से एक स्थान की लिपाई की जाती थी।

इसके बाद अनाज के चार दाने अलग-अलग रखे जाते और प्रत्येक दाने पर कच्ची कुल्हड़ को रखा जाता था। इसके बाद इन चारों कुल्हड़ में पानी भर दिया जाता था। बाद में अगरबत्ती लगाकर सभी लोग वहां से चले जाते। कुछ घंटे बाद मौके पर जाकर देखते थे। इसमें से जितनी कुल्हड़ टूट जाती और पानी बह जाता उतने माह की बारिश मानी जाती थी। ये तरीका अधिकांश बार कारगर साबित होता रहा है।

बहुत कारगर साबित होती है प्राचीन पद्धतियां

इस संबंध में मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले उपकरणों की कमी हुआ करती थी। जिनके घरों में रेडियो, साइकिल या किसी के पास घड़ी भी होती थी, तो उसे बहुत बड़ा माना जाता था। किसान तब भी अपने अनुमान के आधार पर मौसम, मानसून, हवा, सर्दी, गर्मी आदि का पता लगा लेते थे तथा आज भी लगा लेते हैं। प्राचीन वैज्ञानिक कहे जाने वाले वराह मिहिर की तो भविष्यवाणी और खगोलीय घटनाओं की जानकारी Monsoon forecast एकदम सटीक हुआ करती थी।

आज भी किसान अपनी पुरानी पद्धतियों और जुमलेबाजी से ही मौसम Monsoon forecast तथा तापमान का सही-सही अनुमान लगा लेते हैं। आधुनिक विज्ञान गणना के आधार पर मौसम को लेकर संकेत करता है, लेकिन विज्ञान तो सौ, डेढ़ सौ साल पहले अभी पनपा है, उससे पहले भी किसानों को हर चीज का आभास होता था। यह भी सही है कि पशु, पक्षी व जीव-जंतु की एक्टिविटी के आधार पर मानसून, सर्दी और गर्मी की गणना लोग अब भी करते हैं। हम उस गणना को साइंटिफिक रूप से कंफर्म नहीं कर सकते लेकिन कुछ तो है जिससे किसानों को पता लग जाता है।

अब जानिए एमपी में इस वर्ष कब सक्रिय होगा मानसून

Monsoon forecast ; मुंबई में दक्षिणी पश्चिमी मानसून ने समय से दो दिन पहले ही दस्तक दे दी है। जल्द ही पूरे महाराष्ट्र में बारिश का दौर शुरू हो जाएगा। जबकि उज्जैन सहित मध्य प्रदेश में मानसून के लिए कुछ और दिन का इंतजार करना होगा हालांकि विशेषज्ञों कहना है कि मध्य प्रदेश में भी मानसून समय से पहले पहुंच जाएगा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मध्य प्रदेश में मानसून 17 से 18 जून तक इंटर हो सकता है। हालांकि इसके पहले मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में प्री मानसून की गतिविधि बढ़ गई है। 

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