एमपी के 11.50 लाख हेक्टेयर रकबे में होगी मूंग की खेती, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए जारी की जरूरी एडवाइस…

जायद अर्थात ग्रीष्मकाल में मूंग की खेती के लिए किसानों को क्या करना होगा, आइए कृषि वैज्ञानिकों से Moong Farming Advice जानते हैं..

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Moong Farming Advice | मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से ग्रीष्मकालीन ( जायद) फसलों की खेती का प्रचलन बढ़ा है।

जिन किसानों के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन हैं वे किसान गर्मी के दिनों में मूंग, उड़द, मक्का, तिल एवं मूंगफली की खेती कर रहे हैं।

रबी फसलों की कटाई के पश्चात किसान भाई खाली पड़े खेतों में जायद फसलें लगाकर अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं।

जायद की फसलों में सबसे अधिक रकबा मूंग का है। प्रदेश में लगभग 13.50 लाख हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन फसलें बोयी जाती हैं जिसमें 85 प्रतिशत रकबा मूंग (Moong Farming Advice) का होता है।

आइए जानते है मुंग की फसल से अधिक पैदावार के लिए किसानों को क्या करना चाहिए एवं क्या नहीं करना चाहिए…

मुंग की फसल से किसानों को हो रहा फायदा | Moong Farming Advice

बता दें की, पिछले साल की तरह इस साल भी 11.50 लाख हेक्टेयर में जायद मूंग की बुवाई प्रस्तावित है। 2 लाख हेक्टेयर में अन्य जायद की फसलें बोयी जायेंगी।

जायद मूंग किसानों के लिये वरदान और अभिशाप दोनों साबित हो रही है। दो महीने की फसल में कम लागत खर्च से किसानों को अच्छी आमदनी हो रही है।

मूंग का बाजार भाव 8 से 9 हजार रुपये प्रति क्विंटल मिलने से किसानों को 15 से 20 हजार रुपये प्रति एकड़ का फायदा मिल रहा है। : Moong Farming Advice

अगली फसल के लिए लाभदायक होती है मुंग की खेती

किसान भाईयों को ये समझने वाली बात है कि अत्यधिक फायदे के लिये पर्यावरण एवं मिट्टी को दूषित करना कहां तक उचित है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मूंग की खेती जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये अत्यधिक उपयोगी है।

इसकी जड़ों में नत्रजन की ग्रंथियां होने से अगली फसल के लिये बहुत ही उपयोगी साबित होती है। किसानों को इस बात की समझाईश दिये जाने की अत्यधिक आवश्यकता है। कृषक प्रशिक्षण एवं कृषक संगोष्ठियों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाना चाहिये। : Moong Farming Advice

जायद मूंग की कटाई के पश्चात अवशेष को रसायनों से कतई न जलायें बल्कि उसे खेत की मिट्टी में गहरी जुताई के माध्यम से मिलायें। जो किसान रसायनों के प्रयोग से खेतों को साफ करें उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जानी चाहिये।

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मुंग की फसल में नींदानाशक का उपयोग ना करें

Moong Farming Advice | कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, जो किसान भाई जायद मूंग में अधिकाधिक उर्वरक एवं कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं उनके लिये मूंग अभिशाप साबित हो रही है।

मूंग की फसल पकने के पश्चात पौधों को सुखाने के लिये जिस का प्रयोग किया जाता है वह अत्यधिक जहरीला एवं खतरनाक है।

इसके दुष्प्रभाव से मिट्टी एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हवा, पानी इत्यादि को खतरनाक रसायन दूषित कर रहा है जो मनुष्य, पशु, पक्षी इत्यादि के लिये नुकसानदायक है। मूंग, ग्रीष्म और खरीफ में कम समय में पकने वाली मुख्य दलहनी फसल है।

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जिसका उपयोग मुख्य रूप से आहार ने किया दलहनी फसल है। मूंग का उपयोग मुख्य रूप से आहार में किया जाता है, जिसमें 24 से 26 प्रतिशत प्रोटीन, 55 से 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और 1.3 प्रतिशत वसा होती है। : Moong Farming Advice

यह दलहनी फसल होने के कारण इसके तने में नाइट्रोजन की गाठे पाई जाती है। जिसे इस फसल के खेत को 35 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टयर प्राप्त होती है। ग्रीष्म मूंग की खेती चना, मटर, गेहूं, सरसों, आलू, जौ, अलसी आदि फसलों की कटाई के बाद खाली हुए खेतों में की जा सकती है।

मुंग की खेती के लिए भूमि और उन्नत किस्में…

भूमि :- दोमट, मटियार और बलुई दोमट भूमिगत कोट और दीमक की रोकथाम हेतु बुवाई से पूर्व क्यूनॉलफॉस 15 प्रतिशत चूर्ण 25 किलो प्रति हैक्टयर की दर से भूमि में मिलायें। : Moong Farming Advice

उन्नत किस्म :- टाइप 44, पूसा बैसाखी, पंत मूंग 1, पन्त मूंग 2, नरेन्द्र मूंग 2, गंगा-8, एसएमएल 668 आरएमजी-344, आईपीएम 2-3, सम्राट, आईपीएम 2-14, पूसा विशाल,

मेहा, सत्या (एमएच-2-15), के-851, एस.-8, एस. 9, एमएसजे 118, आरएमजी. 62, आरएमजी.-268, आरएमजी. 344 (धनु), आरएमजी. – 492, पीडीएम. 11. गंगा-1 (जमनोत्री), गंगा-8 (गंगोत्री) एमयूएम-21 ।

बुवाई का समय एवं बुवाई की विधि

Moong Farming Advice | मुंग की बुवाई 10 मार्च से 10 अप्रैल तक कतार की दूरी 30 सेमी 2 पौधों की दूरी 4 सेमी बीज दर 20-25 किग्रा एकल फसल 8-10 किग्रा. मिश्रित फसल।

बीज उपचार 3 ग्राम थाईरम अथा कैप्टान प्रति किग्राम बीज इसके बाद राइजोबियम और पीएसबी कल्चर से उपचार 600 मिलीलीटर पानी में 40 ग्राम गुड़ उबालकर घोल लें और ठण्डा होने पर घोल में एक पैकिट राइजोबियम और पीएसबी कल्चर को प्रति बीघा के हिसाब से बीज में डालकर उस समय तक मिलायें, जब तक सभी बीजों पर घोल की परत नहीं जम जायें। फिर या में सुखाकर बोया जाये।

खाद- उर्वरक का उपयोग

बुवाई से पूर्व 250 किलो जिप्सम और बुवाई के समय 25 किलो जिंक सल्फेट को ऊरकर खेत में डालें 90 किलो डीएपी और 10 किलो यूरिया अथवा 250 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट और 45 किलो यूरिया बुवाई समय ऊरकर देवें। : Moong Farming Advice

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