गर्मी में किन सब्जियों की खेती (Vegetable Cultivation) से किसानों का अच्छा लाभ होगा एवं बेहतर मुनाफे के लिए किसानों को क्या करना चाहिए…
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Vegetable Cultivation | पूरे देशभर में रबी फसलें पीक पर है। इसके बाद खेत खाली पड़ी रहते है। लेकिन जिनके पास पानी की उपलब्धता है ऐसे किसान सब्जियों की खेती करते है।
मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने कहा है कि ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक है।
इस दौरान किसान कई सब्जियों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उपयुक्त मिट्टी और सही खाद प्रबंधन से इन फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है। Vegetable Cultivation
गर्मी में लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा और टिण्डा जैसी फसलों की बुवाई से अच्छा मुनाफा कमा सकते है। सब्जियों की खेती से बेहतर मुनाफे के लिए क्या करना चाहिए, आइए जानते है…
गर्मी में बोई जाने वाली सब्जियों की उन्नत किस्में
लौकी : पूसा समर प्रोलिफिक लोंग, पूसा समर प्रोलिफिक राउण्ड, पूसा मंजरी, पूसा नवीन, पूसा मेघदूत, अर्का बहार।
कद्दू : पूसा विश्वास, पूसा अलंकार, अर्का चंदन।
तरबूज : शुगर बेबी, असीहो आमेटो, दुर्गापुरा मीठा, दुर्गापुरा केसर, अर्का ज्योति, मधु, आर डब्ल्यू 187-2, एन एस-295, सुरभि, मधु, सुगंध। Vegetable Cultivation
खरबूजा : दुर्गापुरा मधु, पंजाब सुनहरी, पंजाब हाईब्रिड, अर्का जीत, हरा मधु, पूसा मधुरस, आर एम. 43, आर.एम. 50, एमएचवाई 5, एमएचवाई 3, एनएस 455।
चिकनी तुरई : पूसा चिकनी, सलेक्शन 90
धारीदार तुरई : पूसा नसदार
खीरा : बालम खीरा, पॉइनसेट, पूसा संयोग, स्ट्रेट एवं जापानीज लॉग।
करेला : कोयम्बटूर, पूसा दो मौसमी प्रिया, अर्का हरित, पूसा विशेष, ग्रीन लॉग।
ककड़ी : लखनऊ अगेती, अर्का शीतल।
टिंडा : बीकानेरी ग्रीन, दिल पसंद, टिण्डा लुधियाना एस-48, हिसार,सलेक्शन -1, अर्का टिण्डा। Vegetable Cultivation
मृदा परीक्षण और खेत की तैयारी
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। Vegetable Cultivation
खेत की तैयारी से पहले मृदा परीक्षण कराना आवश्यक है, ताकि आवश्यक उर्वरकों की सटीक मात्रा निर्धारित की जा सके। खेत में बुवाई से पहले 15-20 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और आवश्यकतानुसार जैविक या रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें।
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गर्मियों में सब्जियों की बुवाई
तरबूज, खरबुजा व ककड़ी फरवरी-मार्च में तथा तुरई, खीरा लौकी, कद्दू, करेला तथा टिण्डे की बुवाई ग्रीष्म कालीन फसल के लिए फरवरी मार्च व वर्षाकालीन फसल की जून- जुलाई में करना उचित है। Vegetable Cultivation
बीमारियों की रोकथाम के लिए बीजों को बोने से पूर्व बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलों बीज के हिसाब से उपचारित कर बोना चाहिए। बुवाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि इन सब्जियों की बुवाई नदी के पेटे में की जाती रही है या समतल भूमि पर।
अगेती फसल लेने के लिए बीजों को सीधे खेत में न बोकर प्लास्टिक की थैलियों में बोया जा सकता है। थैलियों में 1/3 भाग चिकनी मिट्टी, 1/3 भाग बालू व 1/3 भाग मीगनी या गोबर की खाद मिलाकर एक थैली में दो बीज को बोया जाता है।
थैलियों में रखे बीजों की झारे से सिंचाई करे, वातावरण गर्म बनाये रखने के लिए रात के समय थैलियों को पॉलीथिन से ढक दें। उपयुक्त तापमान होने पर तेयार खेत में स्थानान्तरण करें। Vegetable Cultivation
सीधे खेत में बोने के लिए बीजों को बुवाई से पूर्व 24 घण्टे पानी में भिगोने के बाद टाट में बांध कर 24 घण्टे रखें। उपयुक्त तापक्रम पर रखने से बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है। इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है, इससे अंकुरण प्रतिशत बढ़ जाता है।
कुष्माण्ड कुल की सब्जियों की बुवाई नालियों में करते है और एक स्थान पर दो-तीन बीज बोये जाते हैं। अंकुरण के कुछ दिन बाद 1-2 पौधों को रखकर शेष को हटा देते है। Vegetable Cultivation
खाद एवं उर्वरक का कितना इस्तेमाल करें
देशी खाद : 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
नत्रजन : 80 से 100 किलो प्रति हेक्टेयर
फास्फोरस : 40 किलो प्रति हेक्टेयर
पोटाश : 40 किलो प्रति हेक्टेयर. Vegetable Cultivation
सिंचाई एवं निराई गुड़ाई
ग्रीष्म ऋतु की फसल में प्रारम्भिक दिनों में लगभग 10-12 दिन के अंतर से तथा बाद में तापमान बढऩे पर 5-6 दिन के अंतर से सिंचाई करनी चाहिए। खरीफ की फसल में प्राय: सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
यदि लम्बे समय तक वर्षा न हो तो आवश्यकता सिंचाई अवश्य कर देनी चाहिए। पोधों की प्रारम्भिक बढ़ावार में खरपतवारों से काफी हानि होती है। अत: पौधों की छोटी अवस्थाओं में निराई-गुड़ाई करना आवश्यक है। Vegetable Cultivation
गर्मी की फसल में दो-तीन बार तथा बरसात की फसल में 3-4 बार निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ सकती है। कुष्मांड कुल की सब्जियों की सफल खेती के लिए कुछ विशेष बातें:- द्य इन सब्जियों की बुवाई नालियां बनाकर करनी चाहिए।
इसके लिए 20-25 सेमी गहरी व 40-50 सेमी चौड़ी पूर्व से पश्चिम की ओर बना लें तथा नाली के एक तरफ बिजाई की जानी चाहिए। अगर नालियों की चौड़ाई बढ़ा दी जाय तो दोनों तरफ बीजाई की जा सकती हैं।
• तालाब व नदियों के किनारे अगैती फसल उगाई जा सकती है। Vegetable Cultivation
• इस कुल की बहुत सी सब्जियां गंधक चूर्ण से प्रभावित हो कर नष्ट हो जाती है। अत: इन दवाइयों को सोच समझ कर या विशेषज्ञों के सुझाव अनुसार ही उपयोग करें।
• कीटनाशी दवाइयों का छिड़काव फसल पर सुबह के समय न करें क्योंकि इन सब्जियों में परागकण करने वाले लाभदायक कीट भी दवाई के प्रभाव से मर जाते हैं
• कच्चे फल खाने वाली उन सब्जियों के फलों की तुड़ाई कोमल अवस्था में करते रहने से अच्छी व अधिक पैदावार मिलती है। Vegetable Cultivation
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