बारिश में वैज्ञानिक तरीके से इस प्रकार करें मूली की खेती, बंपर पैदावार, तगड़ा मुनाफा होगा

Muli ki kheti kaise karen : मूली की खेती वैज्ञानिक तरीके से किस प्रकार की जाती है, जानिए..

Muli ki kheti kaise karen | मूली एक ऐसी जड़ वाली सब्जी है जो पुरे वर्ष सभी जगह सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जाती है। मूली की जड़ें सलाद बनाने तथा इसकी पत्तियां साग बनाने के काम आती हैं। यानि मूली की जड़ें तथा पत्तियाँ दोनों भोजन में खाने के लिए उपयोग किये जाते हैं।

मूली का इस्तेमाल ज्यादातर सलाद के रूप में किया जाता है। मौसम के मुताबिक इस की मांग बनी रहती है। इसी मांग को पूरा करने के लिए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से मूली की खेती करनी चाहिए, ताकि उन्हें ज्यादा उत्पादन मिल सके।

अगर किसान मूली की खेती से कमाई करना चाहते हैं तो, बरसात में यानि जुलाई में मूली की खेती करके बहुत ही कम समय में हाइब्रिड मूली की खेती Muli ki kheti kaise karen करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आज चौपाल समाचार के इस लेख में हम आपको बरसात में मूली की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।

मूली से 60 दिन में अच्छी पैदावार होती है

मूली की खेती Muli ki kheti kaise karen पूरे साल की जाती है और यह बीज बोने के एक माह में तैयार भी हो जाती है। मूली की बोई गई फसल से 2 महीने बाद खेत खाली हो जाता है। मूली की खेती ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों से ले कर के अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है, लेकिन अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में मूली की फसल कठोर और चरपरी होती है।

मूली की खेती के लिए जलवायु / मिट्टी

मूली की खेती Muli ki kheti kaise karen के लिए उत्तम मिट्टी रेतीली दोमट और दोमट मानी गई है, जबकि मटियार भूमि में इस की खेती करना लाभदायी नहीं होता है, क्योंकि इस में मूली की जड़ों का समुचित विकास नहीं हो पाता है।

मूली के लिए ऐसी भूमि का चयन करना चाहिए जो हलकी भुरभुरी हो और उस में जैविक पदार्थों की मात्रा अधिक हो। मूली के खेत में खरपतवार नहीं होने चाहिए, क्योंकि इस से जड़ों का विकास रुक जाता है।

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मूली की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करें?

मूली की फसल Muli ki kheti kaise karen लेने के लिए खेत की 5-6 जुताई कर देनी चाहिए। इस के लिए 2 बार कल्टीवेटर से जुताई कर के पाटा लगा दें। उस के बाद गहरी जुताई करने वाले हल से जुताई करनी चाहिए, क्योंकि मूली की जड़ें भूमि में काफी गहरे तक जाती हैं। ऐसे में गहरी जुताई न करने से जड़ों का विकास सही से नहीं हो पाता है।

मूली की उन्नत किस्में यह..

मूली की फसल Muli ki kheti kaise karen लेने के लिए ऐसी किस्मों का चयन करना चाहिए, जो देखने में सुंदर व खाने में स्वादिष्ठ हो। इस के लिए प्रमुख रूप से रैपिड रैड, पूसा चेतकी, पूसा रेशमी, पूसा हिमानी, हिसार मूली नंबर 1, पंजाब सफेद, ह्वाइट टिप को उत्तम माना जाता है।

मूली की खेती मैदानी क्षेत्रों में सितंबर से जनवरी तक और पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अगस्त तक आसानी से की जा सकती है, फिर भी मूली की तमाम ऐसी किस्में विकसित की गई हैं, जो मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में पूरे साल उगाई जा सकती हैं। इस में पूसा चेतकी, पूसा देसी, जापानी सफेद इत्यादि किस्मों को साल भर उगाया जा सकता है।

मूली की खेती में बीज दर

मूली की एक हेक्टेयर खेती Muli ki kheti kaise karen के लिए तकरीबन 5-10 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है। वर्षा ऋतु में की जाने वाली खेती के लिए मेंड़ बना कर इस की बोआई की जाती है, जबकि अन्य मौसम में इसे समतल भूमि में भी उगाया जा सकता है। अगर मूली की फसल मेंड़ों पर ली जा रही है तो मेड़ों की दूरी 45 सैंटीमीटर व ऊंचाई 22-25 सैंटीमीटर रखा जाना उपयुक्त होता है।

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मूली की खेती में खाद व उर्वरक

मूली तेजी Muli ki kheti kaise karen से बढ़ने वाली फसल है। चूंकि इस की जड़ें सीधे तौर पर प्रयोग की जाती हैं, इसलिए इस में कम से कम रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाना बहुत उपयुक्त माना जाता है।

मूली की बोआई के पहले ही मिट्टी में 120 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर और 20 किलोग्राम नीम की खली मिला देनी चाहिए। इसके अलावा 75 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश की मात्रा अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

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मूली की खेती में सिंचाई

वर्षा ऋतु में मूली की फसल को सिंचाई की कोई जरूरत नहीं होती है, लेकिन गरमी में 4-5 दिनों के अंतराल पर फसल की सिंचाई करते रहना चाहिए। सर्दी वाली फसलों के लिए यह अंतराल 10-15 दिनों का उपयुक्त होता है। Muli ki kheti kaise karen

मूली की खेती में खरपतवार व कीट नियंत्रण

मूली की फसल Muli ki kheti kaise karen में खरपतवारों की निकासी समय समय पर करते रहना चाहिए, क्योंकि खरपतवारों से फसल उत्पादन प्रभावित होता है। ऐसे में हर 15 दिन पर खेतों में उगने वाले खरपतवार को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए। मूली की फसल में सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाले कीड़ों में पत्ता काटने वाली सूंडी, सरसों की मक्खी व एफिड का प्रकोप होता है।

ऐसे में इन कीटों के नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग उचित नहीं होता है। इसलिए इन कीटों की रोकथाम के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इस के लिए 5 लिटर गोमूत्र व 15 ग्राम हींग को आपस में मिला कर फसल के क्षेत्रफल के अनुसार छिड़काव करते रहना चाहिए।

आमतौर पर मूली की फसल Muli ki kheti kaise karen में कोई खास रोग नहीं लगता है, फिर भी कभी कभी इस की फसल में रतुआ रोग का प्रकोप देखा गया है। इस की रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा, गोमूत्र व तंबाकू मिला कर फसल को पूरी तरह से तरबतर करते हुए छिड़काव करना चाहिए।

मूली की खेती से उपज व लाभ

मूली की फसल Muli ki kheti kaise karen जब कोमल हो, तभी इस की खुदाई कर लेनी चाहिए, क्योंकि ऐसी अवस्था में इस का बाजार मूल्य बहुत अच्छा मिलता है। बोआई के 30-35 दिनों में मूली की फसल उखाड़ देनी चाहिए।

मूली की एक हेक्टेयर क्षेत्रफल से अलग अलग प्रजातियों के अनुसार 100-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिलती है, जो आमतौर पर 1,000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजार में आसानी से बिक जाती है। इस हिसाब से किसान को एक हेक्टेयर खेत से लगभग 3 लाख रुपए की आमदनी होती है। अगर फसल Muli ki kheti kaise karen की लागत को निकाल दिया जाए, तो भी किसान 2-3 माह में आसानी से 2 लाख रुपए की आमदनी आसानी से हासिल कर सकता है।

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