अक्टूबर माह में करें इन टॉप 5 सरसों किस्म की खेती, इस तरह होगी बंपर पैदावार और मोटी कमाई…

सरसों की खेती कर रहे है तो हम यहां आपके लिए टॉप 5 किस्मों (Mustard Varieties) की जानकारी लेकर आए है। आइए जानते है इनकी खासियत और पैदावार।

Mustard Varieties | सरसों भारत की प्रमुख रबी फसल है, जिसे मुख्य रूप से खाद्य तेल निकालने के लिए उगाया जाता है।

सरसों की उन्नत किस्मों से किसान बेहतर उपज और उच्च गुणवत्ता वाला तेल प्राप्त कर सकते हैं। इन किस्मों का सही इस्तेमाल करके खेती को अधिक फायदेमंद बनाया जा सकता है।

इस आर्टिकल में हम आज आपको भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित सरसों की 5 प्रमुख उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से बताएंगे।

जिन्हें खासकर अक्टूबर माह में बोया जा सकता है। अगर आप सरसों की खेती कर रहे है तो, आएंगे आपको बताते है सरसों की टॉप 5 किस्मों की खासियत और पैदावार…

अक्टूबर में लगाई जाने वाली टॉप 5 सरसों की किस्में | Mustard Varieties

हम इस आर्टिकल में बात करने वाले है अक्टूबर माह में बोई जाने वाली सरसों की पूसा बोल्ड, पूसा ज्वालामुखी, पूसा अग्रनी, आरएलसी-1 और पीएल-501 किस्मों के बारे में।

इन किस्मों को विभिन्न क्षेत्रों में अक्टूबर के पहले पखवाड़े में लगाया जा सकता है, लेकिन उनके लिए उपयुक्त जलवायु और मृदा की आवश्यकता होती है।

हालांकि, ध्यान रहे है की किसानों को अपने क्षेत्र के अनुसार सरसों की किस्मों का चयन करना चाहिए और उचित खेती प्रदर्शन का पालन करना चाहिए।

आइए विस्तारपूर्वक जानते है टॉप 5 किस्मों Mustard Varieties की खासियत और पैदावार की जानकारी…

1. सरसों की पूसा बोल्ड किस्म

Mustard Varieties | पूसा बोल्ड सरसों एक लोकप्रिय और उच्च उत्पादकता वाली सरसों की किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा संस्थान द्वारा विकसित किया गया है।

पूसा बोल्ड सरसों की उच्च उत्पादकता और तेल सामग्री के कारण किसानों को अधिक आय होती है। यह किस्म कम लागत में अधिक उत्पादन देती है।

पूसा बोल्ड सरसों का तेल बेहतर गुणवत्ता वाला होता है और यह किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है। किसान भाई इसकी बीजाई अक्टूबर-नवंबर में करें।

Mustard Varieties | सरसों की पूसा बोल्ड किस्म की खासियत और पैदावार :-

पूसा बोल्ड सरसों की उत्पादकता 20-25 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म 120-130 दिनों में पक जाती है।

पूसा बोल्ड सरसों में 40-42% तेल सामग्री होती है। यह किस्म विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। पूसा बोल्ड सरसों विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है। : Mustard Varieties

2. सरसों की पूसा ज्वालामुखी किस्म

पूसा ज्वालामुखी सरसों एक उच्च उत्पादकता वाली और बीमारी प्रतिरोधक सरसों की किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा संस्थान द्वारा विकसित किया गया है।

किसान भाई पूसा ज्वालामुखी सरसों की बीजाई अक्टूबर-नवंबर में करें। पूसा ज्वालामुखी सरसों की उच्च उत्पादकता और तेल सामग्री के कारण किसानों को अधिक आय होती है।

यह Mustard Varieties किस्म कम लागत में अधिक उत्पादन देती है। पूसा ज्वालामुखी सरसों का तेल बेहतर गुणवत्ता वाला होता है। यह किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है। यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में विशेष रूप से उपयुक्त है।

सरसों की पूसा ज्वालामुखी किस्म की खासियत और पैदावार :-

Mustard Varieties | पूसा ज्वालामुखी सरसों की उत्पादकता 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म 120-130 दिनों में पक जाती है।

पूसा ज्वालामुखी सरसों में 42-45% तेल सामग्री होती है। यह किस्म विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। पूसा ज्वालामुखी सरसों विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है।

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3. सरसों की अग्रनी किस्म

पूसा अग्रणी सरसों एक उच्च उत्पादकता वाली और बीमारी प्रतिरोधक सरसों की किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा संस्थान द्वारा विकसित किया गया है। : Mustard Varieties

पूसा अग्रणी सरसों की उच्च उत्पादकता और तेल सामग्री के कारण किसानों को अधिक आय होती है। यह किस्म कम लागत में अधिक उत्पादन देती है। पूसा अग्रणी सरसों का तेल बेहतर गुणवत्ता वाला होता है।

यह किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है। पूसा अग्रणी सरसों की बीजाई अक्टूबर-नवंबर में करें। यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में विशेष रूप से उपयुक्त है।

Mustard Varieties | सरसों की पूसा अग्रनी किस्म की खासियत और पैदावार :-

पूसा अग्रणी सरसों की उत्पादकता 22-25 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है।

पूसा अग्रणी सरसों में 40-42% तेल सामग्री होती है। यह किस्म विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। पूसा अग्रणी सरसों विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है।

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4. सरसों की आरएलसी-1 किस्म

Mustard Varieties | आरएलसी 1 सरसों एक उच्च उत्पादकता वाली और बीमारी प्रतिरोधक सरसों की किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के द्वारा विकसित किया गया है।

आरएलसी 1 सरसों की उच्च उत्पादकता और तेल सामग्री के कारण किसानों को अधिक आय होती है। यह किस्म कम लागत में अधिक उत्पादन देती है। आरएलसी 1 सरसों का तेल बेहतर गुणवत्ता वाला होता है।

यह किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है। आरएलसी 1 सरसों की बीजाई अक्टूबर-नवंबर में करें। यह किस्म उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में विशेष रूप से उपयुक्त है। : Mustard Varieties

सरसों की आरएलसी-1 किस्म की खासियत और पैदावार :-

आरएलसी 1 सरसों की उत्पादकता 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है।

आरएलसी 1 सरसों में 42-45% तेल सामग्री होती है। यह किस्म विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। आरएलसी 1 सरसों विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है।

5. सरसों की पीएल 501 किस्म

पीएल 501 सरसों एक उच्च उत्पादकता वाली और बीमारी प्रतिरोधक सरसों की किस्म है, जिसे पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। : Mustard Varieties

पीएल 501 सरसों की उच्च उत्पादकता और तेल सामग्री के कारण किसानों को अधिक आय होती है। यह किस्म कम लागत में अधिक उत्पादन देती है। पीएल 501 सरसों का तेल बेहतर गुणवत्ता वाला होता है।

यह किस्म जलवायु परिवर्तन के प्रति सहनशील है। पीएल 501 सरसों की बीजाई अक्टूबर-नवंबर में करें। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, और राजस्थान में विशेष रूप से उपयुक्त है।

सरसों की पीएल 501 किस्म की खासियत और पैदावार :-

पीएल 501 सरसों की उत्पादकता 25-30 क्विंटल प्रति एकड़ है। यह किस्म 120-125 दिनों में पक जाती है। : Mustard Varieties

पीएल 501 सरसों में 42-45% तेल सामग्री होती है। यह किस्म विभिन्न बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। पीएल 501 सरसों विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में उगाई जा सकती है।

सरसों की खेती के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा द्वारा विकसित सरसों की इन उन्नत किस्मों से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए सही समय पर बुवाई, उर्वरक का सही मात्रा में उपयोग, और सिंचाई का उचित प्रबंधन बेहद जरूरी है :-

बीज दर : सरसों की बुवाई के दौरान एक हेक्टेयर में 3-4 किलो बीज का इस्तेमाल करना चाहिए।

बुवाई की दूरी : बीजों की बुवाई के दौरान पंक्ति से पंक्ति 30-45 सेमी, पौधे से पौधा 10-15 सेमी की दूरी अवश्य रखें।

बीज की गहराई : बीजों को मिट्टी में कम से कम 2.5-3.0 सेमी गहराई में बोएं।

बुवाई का समय : सरसों की इन उन्नत किस्मों की बुवाई 15-20 अक्टूबर (समय पर बुवाई), 1-20 नवंबर (देर से बुवाई) होती है।

उर्वरक का उपयोग : अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक का सही मात्रा में उपयोग करें।

सिंचाई : सिंचाई की संख्या फसल की जरूरत और जल उपलब्धता के अनुसार तय करें। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 1 से 3 सिंचाई पर्याप्त होती हैं।

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