अक्टूबर में किसानों के लिए वरदान साबित होगी यह दो फसलें, रबी सीजन में मिलेगा दुगना लाभ

खेती किसानी से अतिरिक्त आमदनी के लिए अक्टूबर माह (October Crops) में किसान यह करें..

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October Crops | खेती किसानी के लियाज से अक्टूबर का महीना खास होता है। इस महीने खरीफ फसलों की कटाई की जाती है, वहीं रबी फसलें बोई जाती है।

रबी सीजन में अतिरिक्त आमदनी के लिए किसान साथी खरीफ फसलों की कटाई के तत्काल बाद दो फसलों को बोकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

खास बात यह है कि यह दोनों फसलें 60 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी, इसके पश्चात एक और फसल ली जा सकती है। कई किसान साथी ऐसा करते भी हैं।

खरीफ सीजन के तत्काल बाद (October Crops) खेत को तैयार करके इन दोनों फसलों को बोना चाहिए। इन दोनों फसलों के बारे में आइए जानते हैं

इन दो फसलों से मिलेगा अच्छा मुनाफा

खरीफ फसलों की कटाई के पश्चात किसान आलू एवं मटर की फसल को बो सकते हैं। इन दोनों फसलों की खास बात यह है कि यह कम अवधि में पककर तैयार हो जाती है।‌ 60 से 65 दिनों की अवधि में पकाने के बाद किसान कम अवधि वाली पछेती गेहूं की फसल कर सकते हैं। (October Crops)

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कब तक करें आलू एवं मटर की बुवाई

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार खरीफ फसल की कटाई के बाद किसान यदि आलू मटर की जल्दी पकने वाली किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो 15 अक्टूबर तक बुवाई कर दें। (October Crops)

कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली आलू की किस्में

आलू की अगेती फसल की बुआई मध्य सितम्बर से अक्टूबर के द्वितीय सप्ताह तक करें। आगे की आलू की जल्दी पकने वाली अगेती किस्में..

  1. कु. पुखराज – 60-75
  2. कु. सूर्या – 60-75
  3. कु. ख्याति – 60-75
  4. कु. अलंकार – 65-70
  5. कु. अशोका पी. 376जे. – 60-75 (October Crops)

आलू की खेती के लिए खेत की तैयारी

आलू की फसल विभिन्न प्रकार की भूमि, जिसका पी. एच. मान 6 से 8 के मध्य हो, उगाई जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट तथा दोमट उचित जल निकास की भूमि उपयुक्त होती है। 3-4 जुताई डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से करें।

प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाने से ढेले टूट जाते हैं तथा नमी सुरक्षित रहती है। वर्तमान में रोटावेटर से भी खेत की तैयारी शीघ्र व अच्छी हो जाती है। आलू की अच्छी फसल के लिए बोने से पहले पलेवा करें। (October Crops)

यदि हरी खाद का प्रयोग न किया हो तो 15- 30 टन प्रति हे. सड़ी गोबर की खाद प्रयोग करने से जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जो कन्दों की पैदावार बढ़ाने में सहायक होती है।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक आलू की खेती के लिए सामान्य तौर पर 180 किग्रा नत्रजन, 80 किग्रा फास्फोरस तथा 100 किग्रा पोटाश की संस्तुति की जाती है। मिट्टी विश्लेषण के आधार पर यह मात्रा घट-बढ़ सकती है। (October Crops)

मिट्टी परीक्षण की संस्तुति के अनुसार अथवा 25 किग्रा जिंक सल्फेट एवं 50 किग्रा फेरस सल्फेट प्रति हे. की दर से बुआई से पहले कम वाले क्षेत्रों में प्रयोग करें तथा आवश्यक जिंक सल्फेट का छिड़काव भी किया जा सकता है।

उपज प्राप्त करने के लिए 7-10 सिंचाई की आवश्यकता होती है। यदि आलू की बुआई से पूर्व पलेवा नहीं किया गया है तो बुआई के 2-3 दिन के अन्दर हल्की सिंचाई करना अनिवार्य है।

भूमि में नमी 15-30 प्रतिशत तक कम हो जाने पर सिंचाई करें। अच्छी फसल के लिए अंकुरण से पूर्व बलुई दोमट व दोमट मृदाओं में बुआई के 8-10 दिन बाद तथ भारी मृदाओं में 10-12 दिन बाद पहली सिंचाई करें।

अगर तापमान के अत्यधिक कम होने और पाला पड़ने की संभावना हो तो फसल में सिंचाई अवश्य करें। आधुनिक सिंचाई पद्धति जैसे स्प्रिंकलर और ड्रिप से पानी के उपयोग की क्षमता में वृद्धि होती है। (October Crops)

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कम समय में अधिक उत्पादन देने वाली मटर की किस्में

मटर की खेती के लिए अच्छे जल विकास वाली भुरभुरी दोमट मिट्टी वाली जमीन उत्तम मानी जाती है।

अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह से लेकर दूसरे सप्ताह तक शीघ्र पकने वाली किस्मों के लिए 100-120 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।

मटर के बीज को थायरम 3 ग्राम प्रति किलो या बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित कर लें एवं इसके बाद 3 ग्राम प्रति किलोग्राम राइजोबियम से भी उपचारित करें।

शीघ्र तैयार होने वाली किस्मों के लिये पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 5-6 सेमी रखें। जल्दी पकने वाली मटर की प्रमुख किस्में यह है :–

पूसा प्रगति किस्म : फलियों की लंबाई 9-10 सेमी एवं प्रति फली 8-10 दाने पाये जाते है। पहली तुड़ाई 60-65 दिन में हो जाती है एवं पाउडरी मिल्डयु प्रतिरोधी किस्म है। इसकी उपज 70 क्विंटल हरी फलिया प्रति हेक्टेयर है। (October Crops)

पीएलएम – 3 किस्म : फलियों की लम्बाई 8-10 सेमी एवं फलियों में 8 – 10 दाने पाये जाते है। पहली तुड़ाई 60-65 दिन में हो जाती है। इसकी उपज 90 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फलियां है।

जवाहर मटर 3 किस्म : यह किस्म टी – 19 एवं अर्लीबेजर के क्रास से विकसित की गई है। इसमें फलियों की लम्बाई 6-7 सेमी एवं फली में दाने 7 तक होते है। इसकी उपज 75 क्विंटल प्रति हे. हरी फलियां है। (October Crops)

अर्किल किस्म : इस प्रजाति की फलियां तलवार नुमा 8-10 सेमी लम्बी एवं औसतन 5-6 दाने युक्त होती है। फसल बुवाई के 60-65 दिन में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू के लिए सहनशील है। इसकी औसत उपज 70-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फलियां है।

मटर अगेती किस्म : इस किस्म में फलियां बुवाई के 45-50 दिन में तुड़ाई योग्य हो जाती है। फली में दाने 5-6 एवं इसकी उपज 45-55 क्विंटल प्रति हे. है। मटर के बाद गेहूं की फसल लेने के लिए अच्छी किस्म है। (October Crops)

मटर की खेती के लिए खेत की तैयारी

मटर की अच्छी पैदावार के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करें। इसके लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन प्रति हे. की दर से खेत की तैयारी के समय में अच्छी तरह से मिला दें। 40 किग्रा यूरिया, 375 सिंग सुपर फास्फेट किग्रा एवं 50 म्यूरेट ऑफ पोटाश बुवाई के समय दें। (October Crops)

खेतों में पलेवा करके खेत को तैयार करने में काफी संख्या में खरपतवार खत्म हो जाते हैं। रसायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 48 घंटे के भीतर पेंडीमिथालीन नामक दवा 3.3 किग्रा / हे. की दर से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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