इस समय धान की फसल (Paddy Crop Details) 25 से 30 दिनों की हो गई है। ऐसे में किसान साथियों को क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए, जानिए पूरी डिटेल…
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Paddy Crop Details | खरीफ फसलों में अधिकतर किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते है।
अगस्त का महीना धान की फसल के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस समय 25 से 30 दिनों की धान की फसल में पौधे की बढ़वार एवं पौधे में कल्ले बनने लग जाते है।
ऐसे में जो किसान भाई धान की खेती Paddy Crop Details कर रहे है, उन्हें विशेष रूप से पोषक प्रबंधनों का ध्यान दिया जाना चाहिए।
पौधे की अच्छी पैदावार के लिए धान की फसल में कल्ले बढाने एवं फसल में खाद उर्वरक कब व कितना डालना चाहिए, आइए आपको बताते है पूरी जानकारी…
इस महीने सिंचाई प्रबंधन पर अवश्य ध्यान दें
Paddy Crop Details | अगस्त माह, जिसे आप श्रावण-भाद्रपद भी कहते हैं, खरीफ फसलों की अच्छी पैदावार के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
धान की फसल के लिए सिंचाई की पर्याप्त सुविधा का होना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इस फसल को खाद्यान्न फसलों में सबसे अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
धान की फसल की कुछ विशेष अवस्थाओं में जैसे- रोपाई के बाद एक सप्ताह तक कल्ले फूटते समय, फूल निकलते समय, बाली निकलते समय तथा दाना भरते समय खेत में 5-6 सें.मी. पानी खड़ा रहना अति लाभकारी होता है।
Paddy Crop Details फूल खिलने की अवस्था पानी के लिए अति संवेदनशील है। अनुसंधान के आधार पर यह पाया गया है कि धान की अधिक उपज लेने के लिए लगातार पानी भरा रहना आवश्यक नहीं है।
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इसके लिए खेत की सतह से पानी अदृश्य होने के एक दिन बाद 5-7 सें.मी. सिंचाई करना उपयुक्त होता है। यदि वर्षा के अभाव के कारण पानी की कमी दिखाई दे तो सिंचाई अवश्य करें।
खेत में पानी रहने से फॉस्फोरस, मैंगनीज तथा लोहा पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है और खरपतवार भी कम निकलते हैं। : Paddy Crop Details
यह भी ध्यान देने योग्य है कि कल्ले निकलते समय 5 सें.मी. से ज्यादा पानी अधिक समय तक धान के खेत में भरा रहना भी हानिकारक होता है।
अतः जिन क्षेत्रों में पानी भरा रहता हो वहां जल निकासी का प्रबंध करना बहुत आवश्यक है।
अगस्त में कर रहे है धान की रोपाई, यह ध्यान रखें
Paddy Crop Details | कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण धान की रोपाई देर से की जा सकती है। कई बार ऐसा देखा गया है कि वर्षा बहुत अधिक हो जाती है या वर्षा का आगमन देर से होता है।
ऐसी परिस्थितियों में जलभराव के कारण समय पर रोपाई सम्भव नहीं हो पाती है। उपरोक्त दशा में कुछ विशेष सस्य क्रियाओं को अपनाया जाये तो पुरानी पौध के प्रयोग से धान की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
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रोपाई की दूरी घटा देनी चाहिए, जिससे प्रति इकाई पौधों की संख्या बढ़ जाये। : Paddy Crop Details
ऐसी दशा में धान की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे को 20X10 एवं 15X10 सेंमी की दूरी पर लगायें और प्रति स्थान पर 3-5 पौधों की रोपाई करें। धान की देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई इस माह बंद कर दें।
खेतों की मजबूत मेड़बन्दी करें, ताकि वर्षा का पानी खेत से बाहर न निकलने पाए। पछेती प्रजाति के रोपाई वाले खेतों में जिस जगहों पर पौधे मर गये हों, वहां उसी प्रजाति के नये पौधे की दोबारा रोपाई करें और Paddy Crop Details खेत में पानी का लेवल 3-4 सें.मी. बनाएं रखें।
फसल में 25-30 दिनों बाद यूरिया व जिंक कितना दें
धान में इस समय उर्वरक प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। धान की फसल में रोपाई के 25-30 दिनों बाद, अधिक उपज वाली उन्नत प्रजातियों में 65 कि.ग्रा. यूरिया (30 कि.ग्रा. नाइट्रोजन) प्रति हैक्टर कल्ले निकलते समय तथा नाइट्रोजन की इतनी ही मात्रा की दूसरी व अन्तिम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 50-55 दिनों बाद पुष्पावस्था पर करनी चाहिए।
सुगंधित प्रजातियों में 33 कि.ग्रा. यूरिया ( 15 कि.ग्रा. नाइट्रोजन) प्रति हैक्टर की दर से टॉप ड्रेसिंग कर दें। : Paddy Crop Details
यदि खेत में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दें, तो 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का 0.25 प्रतिशत बुझे हुए चूने के घोल के साथ 2-3 छिड़काव 15-20 दिनों के अन्तराल पर करें।
जिन क्षेत्रों में धान की सीधी बुआई की जाती है, वहां यदि पौधों में लौह तत्व की कमी दिखाई दे तो 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट का घोल बनाकर 15 दिनों के अन्तराल पर दो से तीन छिड़काव करें।
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