दलहनी फसलों में चने के बाद अरहर का एक प्रमुख स्थान है। जानें जल्दी पकने वाली अरहर की 2 नई हाइब्रिड किस्में (Pigeon Pea Varieties)।
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Pigeon Pea Varieties | भारत में दलहनी फसलों में चने के बाद अरहर का एक प्रमुख स्थान है। बारिश के बाद यानी जुलाई के महीने में अरहर की बुवाई शुरू की जाती है। अरहर की फसल के साथ किसान कई बार दूसरी फसलों की भी बुवाई करते हैं, लेकिन कभी-कभी सही बीज न बोने के कारण कई प्रकार के रोग लग जाते हैं। ऐसे में किसानों को अरहर की उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए, ताकि फसल को रोगों से बचाया जा सके और कम समय में ज़्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सके।
अरहर की खेती करने वाले किसानों के सामने फसल में उकठा जैसी बीमारियां लगने की समस्या आती थी, साथ ही अरहर की फसल तैयार होने में ज्यादा समय लेती है, जिससे किसान दूसरी फसल नहीं ले पाते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने अरहर की 2 ऐसी किस्में Pigeon Pea Varieties विकसित की हैं, जो जल्दी जो कम समय में तैयार हो जाती है और उकठा जैसी बीमारियां भी नहीं लगती है। आइए आपको बताते है अरहर की 2 उन्नत हाइब्रिड किस्मों के बारे में..
ये है वह 2 नई हाइब्रिड किस्में
Pigeon Pea Varieties | भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान ने अरहर की ऐसी दो नई हाइब्रिड किस्मों (आईपीएच-15-03 और आईपीएच-09-05) को तैयार किया है, जो न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि उकठा जैसे रोगों से भी खुद को बचाती हैं।
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संस्थान के निदेशक डॉ एनपी सिंह अरहर की नई किस्मों के बारे में बताते हैं, “अभी तक अरहर की हाईब्रिड किस्में नहीं होती थी, ये दोनों अरहर की संकर किस्में हैं। इसमें दूसरी किस्मों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन मिलता है, साथ ही खास बात है कि ये जल्दी तैयार होने वाली किस्म Pigeon Pea Varieties है।
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अरहर की नई हाइब्रिड किस्मों की ख़ासियत
अरहर की ये नई किस्में दूसरी किस्मों के मुकाबले कम समय में तैयार होकर ज्यादा उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं। अरहर Pigeon Pea Varieties की बुवाई अमूमन जुलाई महीने में की जाती है और कटाई अप्रैल के महीने में होती है, लेकिन आईपीएच-15-03 और आईपीएच-09-05 नवम्बर महीने तक ही पक कर तैयार हो जाती है। अरहर की दूसरी किस्मों में बांझपन मोजेक रोग और फ्यूजेरियम विल्ट या उकठा रोग जैसी समस्याएं आती हैं, लेकिन ये दोनों किस्में इन दोनों रोगों की प्रतिरोधी हैं।
20 क्विंटल तक मिलता है उत्पादन
अरहर की दूसरी किस्मों से अमूमन औसत उपज 8 से 10 क्विंटल ही मिलती है, लेकिन अगर आईपीएच-15-03 और आईपीएच-09-05 की बात करें, तो इनसे लगभग 20 से 25 क्विंटल तक की उपज मिलती है।
अरहर की नई किस्मों Pigeon Pea Varieties में दूसरी किस्मों की तुलना में ज्यादा उत्पादन भी मिलता है, इस बारे में डॉ एनपी सिंह बताते हैं, दूसरी किस्मों में औसत उपज आठ-दस कुंतल ही मिलती है। अरहर की खेती में खास बात होती है, जैसे किसान फसल की देख रेख करेंगे वैसी ही उपज मिलेगी। कई किसान अरहर में अच्छा उत्पादन लेते हैं। इसमें और ज्यादा भी उत्पादन ले सकते हैं।”
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