किसानों के लिए खरा सोना साबित हई NRC 150 सोयाबीन वैरायटी, फूल आने लगे, यह उपज रहेगी..

मध्य प्रदेश में सोयाबीन NRC 150 Soybean‌ की फसल 1 महीने से अधिक की हो चुकी है। किसान अब इन बातों का ध्यान रखें..

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NRC 150 Soybean | कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की ऐसी किस्म तैयार की है जो JS 9560 का स्थान लेती हुई नजर आ रही है। सोयाबीन की यह नवीनतम किस्म एनआरसी 150 है। इस वर्ष इस वैरायटी की बुवाई अधिक हुई है क्योंकि पिछले वर्ष प्रतिकूल मौसम के बावजूद इस वैरायटी से अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ था।

किसानों के लिए सोयाबीन की यह वैरायटी खरा सोना साबित हो रही है सबसे खास बात यह है कि अर्ली वैरायटी होने के कारण किसानों को अगली फसल के लिए जल्दी तैयारी करने का समय मिल जाएगा। सोयाबीन NRC 150 Soybean की उपज सवा माह की हो गई है, फूल आ गए हैं। सोयाबीन की स्थिति वर्तमान की बारिश से बहुत अच्छी हो गईं हैं। किसान बताते हैं कि सोयाबीन की नवीन वैरायटी रोग प्रतिरोधी होने के कारण अच्छी स्थिति में है।

किसानों ने बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए इस वर्ष सोयाबीन की आरवीएस 1135 एवं जेएस 2172 वैरायटी अधिक बोई है, वहीं इसके अलावा आलू एवं मटर की खेती करने वाले किसानों ने सोयाबीन की नवीनतम वैरायटी एनआरसी 150 NRC 150 Soybean को बोया है। एनआरसी सोयाबीन की विशेषताएं क्या है एवं आगे किसानों को क्या करना चाहिए, आईए जानते हैं..

अर्ली वैरायटियों में बेहतरीन एनआरसी 150

गौरतलब है कि पिछले वर्ष अनियमित मानसून के कारण किसानों को सोयाबीन की फसल से काफी नुकसान हुआ था।

खरीफ की फसल के दौरान पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की जेएस 9560 सोयाबीन की किस्म कम अवधि की होने के साथ-साथ पैदावार में के मामले में भी किसानों की कसौटी पर खरी उतरी है। सोयाबीन की यह NRC 150 Soybean किस्म जल्दी पक जाती है। जिसके कारण अनियमित मानसून के दौरान उपज प्रभावित नहीं होती है। लेकिन समय के साथ-साथ सोयाबीन की इस वैरायटी में रोग प्रतिरोधी क्षमता कम होती जा रही है।

खासतौर पर पिछले कुछ वर्षों में 9560 वैरायटी पर पीला मोजक रोग का अधिक अटैक देखने को मिल रहा था। सोयाबीन का सोयाबीन की इस वैरायटी का विकल्प अब नर्क 150 सोयाबीन NRC 150 Soybean बनती दिखाई दे रही है। पिछले वर्ष एनआरसी 150 सोयाबीन का उत्पादन 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा था।

इन क्षेत्रों के लिए अनुचित है NRC 150 वैरायटी

सोयाबीन की NRC 150 किस्म आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर (मध्य प्रदेश) द्वारा विकसित की गई है। सोयाबीन की यह किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र का विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र के लिए अनुशंसित की गई है।

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NRC 150 सोयाबीन की विशेषताएं

NRC 150 Soybean | सोयाबीन का सबसे अधिक उपयोग सोया तेल में हो रहा है सोयाबीन में गंध होने के कारण इससे बने खाद्य पदार्थों को कम पसंद किया जाता है। सोयाबीन की प्राकृतिक गंध पसंद नहीं आने के कारण कई लोग इससे बने खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं, सोयाबीन की यह वैरायटी गंध मुक्त है।

सोयाबीन की उन्नत किस्म ‘एनआरसी 150’ की खेती किसानों को अच्छा फायदा देगी यह किस्म सोयाबीन की जेएस 9560 किस्म के अनुसार ही जल्दी पकेगी एवं गंध मुक्त रहेगी। आईआईएसआर वैज्ञानिकों वर्षों की मेहनत के बाद अनुसंधान में विकसित यह किस्म सोयाबीन NRC 150 Soybean की प्राकृतिक गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज-2 एंजाइम से मुक्त है।

सोयाबीन की इस किस्म से बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन की ‘एनआरसी 150’ किस्म प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है और कुपोषण दूर करने के लक्ष्य के साथ विकसित की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनचाही गंध से मुक्त होने के कारण सोयाबीन की इस किस्म NRC 150 Soybean से बने खाद्य पदार्थों का आम लोगों में इस्तेमाल बढ़ेगा।

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एनआरसी 150 के पकने की अवधि (उम्र)

सोयाबीन की सबसे अधिक पॉपुलर किस्म जेएस 9560 है, यह किस्म 95 दिन की अवधि में पक जाती है। सोयाबीन की इस किस्म को अब NRC 150 वैरायटी टक्कर देगी। इंदौर से ही विकसित एक अन्य NRC 150 Soybean / सोयाबीन किस्म एनआरसी 150 जो केवल 91 दिन में परिपक्व होती है, सोया गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज -2 एंजाइम से मुक्त है तथा चारकोल सड़ांध रोग के लिए प्रतिरोधी है।

एनआरसी 150 की पैदावार (उपज)

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई इस किस्म को ट्रायल के तौर पर पिछले वर्ष कई क्षेत्रों में बोया गया। जहां पर इस किस्म की पैदावार अच्छी हुई। सोयाबीन की यह किस्म 7 क्विंटल प्रति बीघा की पैदावार देगी। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन की इस किस्म से 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार होगी।

सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए अब यह करें

NRC 150 Soybean | मध्य प्रदेश में फिलहाल रिमझिम बारिश हो रही है। रिमझिम बारिश होने से इल्ली का प्रकोप अधिक तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही सोयाबीन की बढ़वार प्रभावित हो रही है। रुक-रुक कर हो रही बारिश से खेतों में खरपतवार भी बढ़ रहा है। जिससे किसानों को चिंताएं सताने लगी हैं।

किसानों ने बताया कि हरी, तंबाखू और सफेद मक्खी का ब्लॉक देखा जा रहा है। इस बारे में कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्पानिल दुबे ने बताया कि फसलों में इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसे में किसान कृषि विभाग के सलाह पर दवाओं का छिड़काव करें। यदि तेज बारिश होती है, तो स्वयं ही इल्ली का प्रकोप कम हो जाएगा। : NRC 150 Soybean

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फसलों को सफेद मक्खी से बचाएं

फसल में कटर इल्ली अधिक हो रही है, जो पौधे को काट रही है। साथ ही हरी इल्ली मक्का के पत्ते चट कर रही है। किसानों को वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि सोयाबीन सहित अन्य फसलों पर सफेद मक्खी का प्रकोप होता है। : NRC 150 Soybean

यह मक्खी फसल पर विषाणु जनित पीला मोजेक रोग फैलाती है। रोग के लक्षण पौधे के पत्ते पर दिखाई देते हैं। नियंत्रण के लिए मौसम साफ होते ही थायोमिथोक्सम 25 डब्लूजी 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इथोफेनप्राक्स 10 ईसी 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर या एसिटामाप्रीड 20 एसपी 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

इफको नैनो डीएपी का छिड़काव करें

NRC 150 Soybean सोयाबीन की अच्छी उपज के लिए किस साथी में व डीएपी का छिड़काव कर सकते हैं। नैनो डीएपी का छिड़काव इस प्रकार करें :–

1- पहला छिड़काव – 25 से 35 दिनों पर फूल आने के पहले 4 ml नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर एक एकड़ में छिड़काव करें। अधिक लाभ के लिए सागरिका तरल साथ में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।

2- दूसरा छिड़काव – 45 से 55 दिनों की अवस्था पर 4 ml नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर एक एकड़ में छिड़काव करें। अधिक लाभ के लिए इस अवस्था पर साथ में नैनो यूरिया को मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।

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