आलू की फसल पर देखा गया इस रोग का प्रकोप (Potato crop disease), किसान बरतें ये सावधानी..
Potato crop disease | किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कई प्रकार की फसलों की खेती करते हैं। इसमें सब्जियों की खेती भी शामिल है। सब्जियों की खेती में आलू व प्याज का नाम पहले आता है। यह दोनों ही सब्जियों की मांग बाजार में 12 महीने बनी रहती है। ऐसे में आलू व प्याज की खेती किसानों के लिए अधिक कमाई वाली फसलें मानी जाती हैं।
इस साल कई किसानों ने आलू की खेती Potato crop disease की है ताकि उन्हें इसकी उपज से बेहतर कमाई मिल सके, लेकिन इस बार आलू की फसल में लेट ब्लाइट रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। लेट ब्लाइट रोग को आलू का पछेता झुलासा रोग भी कहते हैं।
अभी पिछले माह ही पंजाब में इस रोग का प्रकोप देखा गया जिससे किसानों की करीब 10 प्रतिशत से ज्यादा फसल को इस रोग से नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए किसानों को आलू में लगने वाले लेट ब्लाइट रोग और इससे बचाव की जानकारी होना बेहद जरूरी है। यदि पहले से ही सुरक्षा कर ली जाए तो आलू के लेट ब्लाइट रोग Potato crop disease से होने वाले संभावित नुकसान से बचा जा सकता है।
क्या है आलू का लेट ब्लाइट रोग
आलू का लेट ब्लाइट रोग एक कवक जनित रोग है। यह कवक एक अविकल्पी परजीवी होता है। इसे पनपने के लिए सर्दियों में पौधों के मलबो और कंदों या अन्य धारकों की आवयकता होती है। यह पौधे की त्वचा के घावों ओर फटे हुए भागों के जरिये पोधे में प्रवेश करता है।
वसंत ऋतु के दौरान उच्च् तापमान पर फफूंद के बीजाणु पैदा होते हैं। यह बीजाणु हवा व पानी के माध्यम Potato crop disease से एक जगह से दूसरी जगह पर फैल जाते हैं। इस तरह यदि एक खेत में इस रोग का प्रकोप है तो आसपास के खेतों में भी इसका प्रकोप हो सकता है। ऐसे में इस रोग से बचाव करना जरूरी हो जाता है।
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आलू की फसल में लेट ब्लाइट रोग के लक्षण
Potato crop disease | आलू की फसल को जब लेट ब्लाइट रोग लगता है तो इसके पौधे में कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। यदि आपको भी अपनी आलू की फसल में नीचे दिए गए लक्षण दिखाई दे तो समझ ले कि आपकी फसल में लेट ब्लाइट रोग का प्रकोप है। ऐसा होते ही आपको इसका उपचार करना चाहिए। आलू की फसल में ब्लाइट रोग के प्रकोप के कारण जो लक्षण दिखाई देते हैं, वे इस प्रकार से हैं:-
- इस रोग के प्रकोप से आलू के पौधों की पत्तियों की नोकों और किनारों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
- पत्तियों की सतह के निचले हिस्से में सफेद कवक के आवरण दिखाई देने लगते हैं। इससे पत्तियां मुरझा जाती है और मर जाती हैं।
- आलू के कंदों पर भी इसका प्रभाव दिखाई देता है। ऐसे में आलू के कंदों पर नीले व सलेटी रंग Potato crop disease के धब्बे दिखाई देने लगते है। इस कवक का प्रकोप बढ़ने पर आलू कंद सड़ने लगते है।
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लेट ब्लाइट रोग से कितना हो सकता है नुकसान
Potato crop disease | आलू के लेट ब्लाइट रोग से काफी नुकसान हो सकता है। अभी कुछ समय पहले पंजाब में लेट ब्लाइट रोग का प्रकोप देखा गया। इससे यहां के किसानों को आलू की फसल के इस रोग से करीब 10 फीसदी से ज्यादा नुकसान हुआ। वहीं आलू किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है, एक तो रोग से 10 प्रतिशत फसल बर्बाद हो कई और दूसरी ओर मंडियों में भी आलू का थोक भाव 5 से 6 रुपए प्रति किलोग्राम रह गया।
वहीं पाकिस्तान में आलू का भाव 40 रुपए प्रति किलोग्राम है। ऐसे में किसानों ने सरकार से पाकिस्तान को आलू निर्यात की अनुमति देने को कहा है, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को निर्यात करने पर रोक Potato crop disease लगा रखी है। ऐसे में यदि समय पर आलू के लेट ब्लाइट रोग के नियंत्रण के उपाय नहीं किए जाए तो आलू की फसल को 80 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।
लेट ब्लाइट रोग से आलू की फसल को बचाने के लिए क्या करें उपाय
आलू की फसल की लेट ब्लाइट रोग से रोकथाम के लिए किसानों को कुछ उपाय अपनाने जरूरी है ताकि फसल को नुकसान नहीं हो और बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सके। इसके लिए किसानों को जो उपाय अपनाने चाहिए, वे इस प्रकार से है:-
- आलू की फसल को लेट ब्लाइट रोग से बचाने के लिए बुवाई के समय रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए। आमतौर पर देखा गया है कि देर से पकने वाली किस्में, पहले पकने वाली किस्मों Potato crop disease की अपेक्षा अधिक प्रतिरोधी होती हैं।
- आलू की फसल में ऊपरी सिंचाई करने से बचना चाहिए।
- आलू की फसल में नुकसान को रोकने के लिए कंदों को तब तक नहीं खोदना चाहिए तब तक कि वे पूरी तरह से परिपक्व न हो जाएं।
- आलू की बुवाई के लिए उस खेत का उपयोग नहीं करना चाहिए जिसका उपयोग पिछले साल आलू या टमाटर की फसल के लिए किया गया हो।
- इस वर्ष के आलू बुवाई के क्षेत्र को पिछले वर्ष के क्षेत्र से कम से कम 225 से 450 गज की दूरी पर रखना चाहिए, ऐसा करने से इस रोग के लगने की संभावना कम हो जाती है।
- हवा से उड़ने वाले बीजाणुओं के प्रवेश को रोकने के लिए खेत को चारों ओर गेहूं से घेर देना चाहिए।
- लेट ब्लाइट रोग Potato crop disease के प्रकोप को कम करने के लिए पर्याप्त नाइट्रोजन स्तर और कम फास्फोरस स्तर का उपयोग करना चाहिए।
- आलू में ब्लाइट रोग के प्रकोप से बचाव के लिए रासायनिक उपाय भी किए जाते हैं। इसमें मेंडीप्रोपेमिड, कलोरोथलोनिल, फ्लुजिनम या मेंकोजेब युक्त निवारक उपचारों का उपयोग किया जाता है। मेंकोजेब जैसे कवकनाशकों का उपयोग आलू की बुवाई से पहले और बीजों के उपचार Potato crop disease के लिए भी किया जा सकता है।
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