सोयाबीन की खेती के बाद आलू की अग्रिम खेती Potato cultivation के लिए उन्नतिशील किस्मों के बारे में जानिए…
Potato cultivation : मध्य प्रदेश का मालवा क्षेत्र आलू उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर हैं एवं अन्य गौण क्षेत्र छिंदवाडा, सीधी, सतना, रीवा, सरगुजा, राजगढ, सागर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, मुरेना, छतरपुर, विदिसा, रतलाम, बैतूल एवं टीकमगढ हैं।
इंदौर जिला अकेले ही आलू के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत योगदान देता है। सोयाबीन की खेती के तुरंत बाद आलू की अगेती खेती की जाती है। Potato cultivation आलू की पैदावार अच्छी लेने के लिए उन्नत तकनीक से किस प्रकार खेती करें, यह विस्तार पूर्वक जानिए…
आलू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
Potato cultivation आलू के लिये कृषि जलवायवीय क्षेत्र पश्चिमी मध्य मैदानी क्षेत्रों से उत्तरी-पूर्वी मैदानों तक भारत के आलू क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। मध्य प्रदेश में आलू शीत ऋतु के दौरान कम तापक्रम एवं लघु दिवस अवधि में अक्टूबर से फरवरी/ मार्च तक लगाया जा सकता है।
इस क्षेत्र में आलू फसल की वृद्धि हेतु अनुकूल परिस्थितियां शीत ऋतु के दौरान मिलती हैं जैसे कि प्रचुर सूर्य प्रकाश, अनुकूल तापक्रम एवं पाला व पछेती झुलसा की आशंका में कमी। एमपी में सर्दी मंद होती है जबकि आलू के पूर्व व उपरांत मौसम उत्तर-पश्चिमी मैदानों के समान होता है।
म.प्र. के कुछ क्षेत्रों में फसल वृद्धि के अंतिम 30 दिनों के दौरान रात का न्यूनतम तापमान 10°C से अधिक होता है जिसके कारण उत्पादित कंद उच्च शुष्क पदार्थ(>20%) एवं निम्न अपचयित शर्करा वाले होते हैं जो कि प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त होते है।
बीज चयन एवं बुवाई
आलू की खेती Potato cultivation के लिए उन्नत किस्मों का चयन एवं बुवाई तिथि में परिवर्तन से एक उच्च परास तक उत्पादकता में गिरावट को रोका जा सकता है। अत: आलू की ऐसी किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है जो कि उच्च तापक्रम के लिए अनुकूल होने के साथ-साथ उच्च कंद उत्पादन दर वाले हों। (दुआ एवं अन्य 2018)
अच्छी पैदावार हेतु उन्नत किस्मों का चयन करें
केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला कृषकों की आवश्यकतानुरूप जैसे फसल तंत्र में उपयुक्त लघु एवं मध्यम अवधि किस्में एवं बाजार मांग के अनुसार आलू चिप्स, फ्रेंच फ्राई एवं अन्य शुष्कीकृत व डिब्बाबंद उत्पादों के निर्माण हेतु प्रसंस्करण आलू एवं एंटीऑक्सीडेंट (एंथोसाइनिन एवं कैरोटिनोइड) में वृद्धि कर पोषकों से भरपूर आलू, तथा लोहा एवं जस्ता अवयवों का जैव सुदृढ़ीकरण द्वारा समावेश वाली किस्मों को विकसित करता है।
Potato cultivation आलू किस्म जो कि चिप्स बनाने हेतु उगायी जा रही हैं उसके कन्द एक समान गोल/अण्डाकार, उथली आंखें होना चाहिये जबकि आयताकार एवम् उथली आंखों वाले कन्द की किस्में फ्रैंच फ्राई के लिये उपयुक्त मानी जाती हैं।
आलू की यह किस्में अधिक पैदावार देगी
आलू उत्पादन Potato cultivation की प्रमुख समस्याओं में स्वस्थ बीज की कमी, पिछेता झुलसा का प्रकोप, सिंचाई जल का अभाव, प्रसंस्कृति उत्पादों की बढ़ती मांग, उत्पादन की बढ़ती लागतें आदि हैं। आलू की अच्छी पैदावार लेने के लिए उन्नत किस्म के शुद्ध बीज का प्रयोग करना चाहिए ।
ऐसा करने पर पौधों का विकास तथा परिपक्वता समान रुप से होती है एवं कन्दों का आकार आदि समान होगें । अंकुरित कन्दों की बुआई करने से बृद्धि एकसार होने के साथ – साथ फसल जल्दी तैयार होती है।
केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने विगत 4-5 वर्षों में कृषकों, उद्योगों एवं उपभोक्ताओं की वर्तमान आवश्यकता के अनुसार कुछ नई किस्मों का विकास किया है जिनका विवरण यहां दिया गया है।
अल्प अवधि वाली किस्में – Potato cultivation
कुफरी ख्याति :- यह एक शीघ्र परिपक्वता वाली (70-80 दिन) किस्म है। यह किस्म पछेती झुलसा के प्रति अल्प प्रतिरोधी है। यह किस्म अन्य अगेती किस्मों की तुलना में बुवाई के 60 एवम् 75 दिन के पश्चात् अधिक उत्पादन देती है। इस किस्म की उपज 40 टन प्रति हैक्टेयर होती है। Potato cultivation
कुफरी लीमा : – इस किस्म का विकास केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने अंर्तराष्ट्रीय आलू केंद्र के सहयोग से किया है। यह शीघ्र परिपक्वता वाली (75-90 दिन) ताप सहनशील किस्म हैं और इसे गर्म क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। यह अगेती मौसम वाली उत्तर भारतीय मैदानी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त किस्म हैं। इस किस्म की उपज ताप तनाव के अन्तर्गत 15-20 दिवस अगेती बुवाई किये जाने पर 30-35 टन/है0 आती है।
मध्यम अवधि किस्में – Potato cultivation
कुफरी नीलकंठ :– यह एक भोज्य उपयोग हेतु मध्यम परिपक्वता अवधि वाली नवीन किस्म है। यह किस्म एंटीऑक्सीडेंट (एंथोसाईनिन 100 माइक्रोग्राम एवं केरोटीनॉइड्स 200 माइक्रोग्राम/100 ग्राम ताजे भार के अनुसार) से भरपूर एवं औसत उपज 35-38 टन/है0 है।
कुफरी मोहन :- यह एक मध्यम परिपक्वता, उच्च उपजशील भोज्य उपयोग हेतु उपयुक्त आलू की किस्म हैं जो कि सिंधु गंगा के मैदानी क्षेत्रों (उत्तरी एवं पूर्वी) में उत्पादन हेतु अनुकूल है। पिछेती झुलसा के प्रति मंद प्रतिरोधी इस किस्म के कंद अंडाकार, उथली आंखों वाले एवं सफेद गूदे वाले होते हैं। इस किस्म की उपज 35-40 टन प्रति हैक्टेयर होती है। Potato cultivation
कुफरी हिमालिनी :- यह मध्यम परिपक्वता वाली किस्म भारतीय पहाडी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त हैं। यह किस्म उत्तर मध्य मैदानी क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती हैं। यह किस्म पछेती झुलसा के प्रति पत्तियों में उच्च स्तरीय प्रतिरोधकता एवं कंदों में मध्यम प्रतिरोधकता वाली है। इस किस्म के कंद मध्यम आकार वाले, अंडाकार, सफेद, हल्के पीले गूदे वाले तथा उत्तम गुणवत्ता वाले होते हैं। यह किस्म अनुकूलतम सस्य क्रियाओं के साथ 30-35 टन/है0 उपज देने में सक्षम हैं।
कुफरी गंगा :- यह मध्यम परिपक्वता वाली मुख्य मौसम की फसल के रूप में ली जाने वाली भोज्य आलू की किस्म हैं। यह किस्म उच्च कंद उत्पादन, पछेती झुलसा के प्रति प्रतिरोधकता, उत्तम भंडारण क्षमता एवं उत्तर मैदानी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है। यह किस्म अनुकूलतम सस्य क्रियाओं के साथ 30-35 टन/है0 उपज देने में सक्षम हैं। Potato cultivation
कुफरी करण :- यह एक मध्यम परिपक्वता वाली पछेती झुलसा प्रतिरोधी किस्म है यह किस्म विभिन्न रोगों जैसे पछेती झुलसा, शीर्ष पर्ण कुंचन विषाणु, आलू विषाणु बाई, एस, ए, एम, एवं आलू पर्ण मोड़क विषाणु के प्रतिरोधी होने के साथ-साथ आलू सूत्रकृमि के लिए मंद प्रतिरोधी है। यह किस्म लगभग 30 टन/हेक्ट. उत्पादन देती है व भारतीय पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और मध्यप्रदेश में भी उगाई जा सकती है।
कुफरी फ्रायोम :– यह एक मध्यम परिपक्वता वाली प्रमुख उच्च उत्पादकता युक्त प्रसंस्करण आलू की किस्म है जो कि उत्तर पश्चिमी एवं मध्य मैदानी क्षेत्रों एवं समरूप सस्य पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म का पौधा लंबा, ओजपूर्ण एवं अर्द्ध-सघन आच्धादन एवं पिछेती झुलसा के लिए प्रतिरोधी है इसके कंद सफेद, हल्के पीले, लंबाकार होते हैं। जिसका गूदा सफेद एवं आंखे उथली होती है इस किस्म की उपज 30-35 टन/हेक्टेयर एवं प्रसंस्करण हेतु उपयुक्त कंदों का प्रतिशत अधिक (>80%) होता है। Potato cultivation
कुफरी संगम :– यह एक मध्यम परिपक्वता वाली प्रमुख उच्च उत्पादकता युक्त बहू उद्देशीय (सब्जी एवं प्रसंस्करण) आलू की किस्म है जो कि उत्तर पश्चिमी एवं मध्य मैदानी क्षेत्रों एवं समरूप सस्य पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म का पौधा मध्यम लंबा, ओजपूर्ण एवं पूर्ण-सघन आच्छादन एवं पिछेती झुलसा के लिए प्रतिरोधी है। इस किस्म की उपज 35-40 टन/हेक्टेयर एवं प्रसंस्करण हेतु उपयुक्त कंदों का प्रतिशत अधिक (>80%) होता है। Potato cultivation
किसान इन बातों का भी ध्यान रखे
मध्यप्रदेश के कृषक अपनी पसन्द जैसे मालवा क्षेत्र के लिये प्रसंस्करण किस्म, लघु एवम् मध्यम अवधि किस्में आदि के आधार पर किस्मों का चुनाव कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त कृषक मध्य प्रदेश के चम्बल, परिक्षेत्र एवम् इसके समीपस्थ क्षेत्रों में बीज उत्पादन के लिये इन किस्मों का चुनाव कर सकते हैं क्योंकि यह क्षेत्र अक्टूबर मध्य से जनवरी मध्य तक निम्न माहू संख्या एवम् कन्द व मृदाजनित बीमारियां कम होने (पारिस्थितिकी वश) के कारण बीज उत्पादन हेतु देश में सर्वोत्तम है। Potato cultivation
👉 WhatsApp से जुड़े।
यह भी पढ़िए…. 👉300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने वाली प्याज की सबसे अच्छी टॉप 8 किस्में
👉 जुताई, कल्टीवेटर सहित कई काम एक साथ करेगा पावर टिलर, देखें टॉप 10 पावर टिलर की कीमत व फीचर
👉मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए बनाई नई योजना, 2025 तक 50 करोड़ का प्रावधान किया
Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.