गेंहू की फसल में बढ़ा पीलापन, पीलेपन को दूर करने के लिए अपनाए यह उपाय

जानें, गेंहू की फसल में किस वजह से आता है पीलापन (Prevention of yellowing in Wheat) एवं इसके बचाव के लिए कौन से तरीके अपना सकते है किसान..

Prevention of yellowing in Wheat | गेंहू की फसल इस समय 50 से 70 दिनों की हो गई है। गेंहू में बाली आने से पहले किसानों को फसल की खास देखभाल करनी रहती है। लेकिन देखा जा रहा है की, गेंहू के पौधे की पत्तियां पीले पड़ने लग रही है।

यदि इसका बचाव नही किया जाए तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है, उनकी उपज पर असर पड़ सकता है। यदि आपने गेंहू की पत्तियां पीली Prevention of yellowing in Wheat पड़ गई है तो, चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। यहां आर्टिकल में आपको इसके कारण एवं बचाव के तरीके बताये जायेंगे। जानें कैसे कर सकेंगे पीलेपन की रोकथाम..

यूरिया के अधिक उपयोग से आता है पीलापन (Prevention of yellowing in Wheat)

Prevention of yellowing in Wheat | पोषक तत्वों की कमी के कारण गेहूं में पीलापन का प्रकोप बढ़ रहा है। इससे बढ़वार भी प्रभावित हुई है। किसानों की चिंता की बढ़ती जा रही है। पीलापन दूर करने के लिए किसान यूरिया का भी अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं। इससे फसलों को और नुकसान हो सकता है। इस संबंध में कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी कर किसानों से ज्यादा मात्रा में यूरिया का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। इसके साथ पीलापन बढ़ने के कारण, नुकसान और बचाव के भी उपाय बताए हैं।

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गेंहू में पीलेपन को लेकर कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

विभाग की एडवाइजरी के अनुसार कई जगह खेतों में खड़ी गेहूं की फसलों में पीलापन Prevention of yellowing in Wheat दिखाई दे रहा है। किसानों से पीलापन दूर करने को बनाए गेहूं की फसल में अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन एवं रोग नियंत्रण के सुझाव दिए गए हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जिंक को कमी के करण पौधों में वृद्धि एक जाती है। पत्तियां बीच की नम के पास से समानान्तर में पीली पढ़नी प्रारंभ हो जाती है।

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इस प्रकार के पौधे छोटे-छोटे सीमित क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यह कमी पौधों में फुटान के समय शुरू की तीसरी अथवा चौथी पत्ती से प्रारंभ होती है। जन उर्वरक देने के बावजूद भी जिंक की कमी वाले पौधों में हम नहीं जाता। कृषि विभाग (Prevention of yellowing in Wheat) की ओर से जारी एडवाइजरी में किसानों से पीलापन दूर करने के लिए अंधारिया का नहीं करने की अपील की गई है। इसके साथ ही कई योग उपाय भी बताए गए हैं।

जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर यह करे

Prevention of yellowing in Wheat | कृषि विभाग की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया है कि गेहूं की फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर 500 ग्राम जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत अथवा 350 ग्राम जिंक सल्फेट 33 प्रतिशत के साथ 1.5 किलो यूरिया 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यूरिया अवश्य मिलायें अन्यथा पौधों के पत्ते जल सकते हैं।

इसके अलावा EDTA 12 प्रतिशत चिलेटेड जिंक सल्फेट की 100 ग्राम मात्रा के साथ 2 किलो यूरिया 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें दूसरा स्प्रे फसल की फ्लेग अवस्था पर सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों (Prevention of yellowing in Wheat) की अत्यधिक आवश्यकता होती है। ऐसे में 6 सूक्ष्म पोषक तत्वों वाला मिस्बर 500 ग्राम मात्रा 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें ताकि फसलों को फायदा हो।

गेंहू में पीलेपन के लिए अपना सकते है यह उपाय

बंगाल की खाड़ी में उठे तूफान एवं स्ट्रॉन्ग पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से मध्यप्रदेश सहित कई इलाकों के मौसम में परिवर्तन आया है। लगातार बारिश एवं कोहरे के कारण गेंहू की फसल को धूप नहीं लग पा रही है। इसी के चलते पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित हो रही है और जिससे पौधे को जरूरी पौषक तत्व प्रदान नही हो रहे है।

यही कारण है, की गेंहू के पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है और पत्तियां में पीलापन आने लगता है। इसके साथ ही मावठे को बारिश के बाद भी गेंहू में पानी छोड़ देने से खेत में जलभराव की स्थिति होती है, इसी कारण भी गेंहू में पीलापन देखने को मिल सकता है। इसके बचाव के लिए किसान भाई 25 किलोग्राम प्रति एकड़ यूरिया का छिड़काव कर सकते है या फिर धूप के लिए इंतजार कर सकते है।

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