देशभर की मंडियों में सरसों के भाव Sarson Mandi Bhav क्या चल रहे हैं आईए जानते हैं..
Sarson Mandi Bhav | रबी की प्रमुख फसल सरसों की फसल तैयार हो चुकी है। मंडियों में सरसों की बंपर आवक शुरू हो गई है। मंडियों में सरसों की आवक बढ़ने के कारण भाव में गिरावट हुई है। सरसों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गए हैं। किसानों को मजबूरन न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर सरसों बेचना पड़ रही है। देशभर की मंडियों में आज सरसों के ताजा भाव क्या रहे, आइए जानते हैं..
इस वर्ष सरसों का रकबा बढ़ा
Sarson Mandi Bhav पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सरसों की फसल का रकबा बढ़ा है। सरसों की आगे की बुवाई वाली किस्में पककर तैयार हो गई है। देशभर की मंडियों में जल्द बोई गई रबी फसलों की आवक शुरू हो गई है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस वर्ष सरसों की पैदावार बढ़ाने के आसार हैं। यही कारण है कि सरसों के दाम मंडी में कम बोले जा रहे हैं, इससे किसानों में निराशा है।
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 2022-23 में सरसों का उत्पादन 12.64 मिलियन टन था और सरकार ने इस वर्ष के लिए लक्ष्य 13.1 मिलियन टन निर्धारित किया है। जबकि, इस बार सरसों की बुवाई 100.44 लाख हेक्टेयर (एलएच) में हुई है. जो पिछले साल 97.97 लाख हेक्टेयर था।
रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान
देशभर की मंडियों में सरसों Sarson Mandi Bhav की आवक शुरू हो गई है। शुरुआती रुझान इस ओर इशारा करते हैं की इस साल सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया जाएगा। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा फसल स्थितियों के आधार पर, यह माना जा सकता है कि फसल का आकार 14 मिलियन टन से कम नहीं होगा।
कृषि विशेषज्ञ इस वृद्धि के लिए विदर्भ और मराठवाड़ा के साथ-साथ झारखंड, असम, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्रों में सरसों के बढ़े हुए रकबे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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MSP से कम दाम पर बिक रही सरसों
सरसों की खेती Sarson Mandi Bhav करने वाले किसानों के लिए बुरी खबर है। दरअसल, इस बार सरसों की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है। जिसके चलते देशभर की मंडियों में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रही हैं। कम कीमत मिलने के चलते किसान निराश नजर आ रहे हैं।
किसानों का कहना है की उन्हें घाटा हो रहा है। इस बार सरसों का उत्पादन 14 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच सकता है। वहीं, व्यापारियों का कहना है की सस्ते खाद्य तेलों के आयात के चलते देश में सरसों तेल की खपत कम हुई है। जिस वजह से तिलहन फसलों की कीमतों में सुस्ती देखी जा रही है।
सरसों की एमएसपी पर खरीदी की मांग
Sarson Mandi Bhavकिसानों को सरसों बेचने में 1,200 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। ऐसे में किसानों की मांग है कि सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीदी जल्द से जल्द हो ताकि किसानों को सरसों का उचित दाम मिल सके। किसान नेताओं का कहना है कि एमएसपी पर खरीद के सभी वादे केवल कागजों पर ही नजर आ रहे हैं। किसान नेताओं ने केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत करवाया है।
सरसों के भाव कम क्यों है, जानिए
व्यापारियों और प्रसंस्करण कर्ताओं की मानें तो पिछले वर्ष के उत्पादन का कम से कम 15-20 प्रतिशत बाजार तक नहीं पहुंचा। क्योंकि किसान बेहतर कीमतों की उम्मीद में फसल को रोके हुए थे। उन्होंने सरसों की कम कीमतों के लिए दूसरे देशों से सस्ते खाद्य तेलों के अनियंत्रित आयात को जिम्मेदार ठहराया है।
Sarson Mandi Bhav तेल उद्योग और व्यापार के लिए केंद्रीय संगठन के एक पूर्व निदेशक ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि सरसों के तेल की खपत नहीं बढ़ाई जा सकती, जब इसका उपयोग देश के उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व और पश्चिमी क्षेत्रों में खाद्य प्रयोजनों के लिए किया जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को सरसों के एमएसपी को ध्यान में रखते हुए सरसों तेल की दर के आधार पर खाद्य तेलों पर आयात शुल्क तय करना चाहिए।
मंडियों में सरसों का ताजा भाव
सरसों की सबसे अधिक आवक Sarson Mandi Bhav राजस्थान में हो रही है दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में एवं इसके पश्चात अन्य राज्यों में भी सरसों की आवक मंडियों में अच्छी हो रही है। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के एग मार्कनेट पोर्टल के अनुसार, 18-25 फरवरी के दौरान देश भर की मंडियों (कृषि बाजार यार्ड) में पहुंची 1 लीटर सरसों में से 40,000 टन सबसे बड़े उत्पादक राजस्थान से आई है। इसके बाद मध्य प्रदेश में 23,000 टन और 19,000 टन सरसों मंडियों में पहुंची है।
Sarson Mandi Bhav राजस्थान में सरसों का भाव 4,820 रुपये/क्विंटल, मध्य प्रदेश में 4,520 रुपये/क्विंटल, उत्तर प्रदेश में 4,800 रुपये/क्विंटल, पश्चिम बंगाल में 5,000 रुपये/क्विंटल और गुजरात में 4,858 रुपये/क्विंटल चल रहा है, जो इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 रुपये/क्विंटल से कम है।
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