मिट्टी में 90 प्रतिशत घटा नाइट्रोजन, अन्य पोषक तत्वों की भी हुई कमी, आसानी से कैसे होगी भरपाई यहां जानें..

कृषि पर गंभीर असर पड़ने वाला है मिट्टी में कई पोषक तत्वों की कमी हो गई है आईए जानते हैं इसका Soil health उपचार..

Soil health : खेती में अत्यधिक रासायनिक खाद और कीटनाशक के प्रयोग से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा सबसे तेजी घट रही है। इसका खुलासा अलग-अलग जगह पर की गई मिट्टी की जांच के दौरान हुआ है। हाल ही में हुई मिट्टी जांच में पाया गया है कि जमीन से नाइट्रोजन 90 प्रतिशत तक घट गया है। जमीन में नाइट्रोजन के साथ-साथ अन्य पोषक तत्वों की भी कमी हो गई है।

पोषक तत्वों की कमी के कारण एक और पैदावार कम होने लगी है वहीं दूसरी ओर लागत बढ़ गई है। इन पोषक तत्वों Soil health  की कमी को कैसे दूर किया जा सकता है आईए जानते हैं..

मिट्टी में पोषक तत्वों की कितनी है कमी

  • नाइट्रोजन : 90 प्रतिशत
  • जिंक : 27 प्रतिशत
  • जैविक कार्बन : 40 प्रतिशत
  • पोटाश : 30-35 प्रतिशत
  • फास्फोरस : 30-35 प्रतिशत,
  • बोरान : 20 प्रतिशत
  • सल्फर : 22 प्रतिशत

जैविक कार्बन एकमात्र उपचार

Soil health कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर मिट्टी में जैविक कार्बन नहीं बढ़ा तो जमीन बंजर हो जाएगी क्योंकि मिट्टी में नाइट्रोजन मोबाइल नेचर का होता है। इसके कारण यह मिट्टी में नहीं टिकता है। मिट्टी में नाइट्रोजन टिकने के लिए किसानों को जैविक खाद, ढैचा के साथ दलहनी फसलों की खेती बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसको देखते हुए इस साल कृषि विभाग ने दलहन और तिलहन का रकबा 20 प्रतिशत बढ़ा दिया है। किसानों ने गेहूं को छोड़ मसूर, मूंग, चना, सरसों, राई और तीसी की खेती पर जोर दे रहे हैं।

क्या है जैविक कार्बन

जैविक कार्बन मिट्टी में पाए जाने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं का भोजन होता है। Soil health मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता सही तरीके हो, इसके लिए जैविक कार्बन का होना बहुत जरूरी है। जैविक कार्बन की कमी से मिट्टी में जलधारण की क्षमता कम हो जाती है। इससे मिट्टी में सिंचाई की जरूरत अधिक पड़ती है और हवा का संचार भी नहीं हो पाता है। इससे मिट्टी की जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। ऐसे में तेज हवा आते ही फसल टूटकर गिर जाती है।

नैनो यूरिया स्थायी विकल्प

Soil health नीति आयोग के आकांक्षी जिला परियोजना अंतर्गत आईटीसी मिशन सुनहरा कल व सीपा संस्था ने कृषि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक दिनी नैनो यूरिया प्रशिक्षण कार्यक्रम किया। इसमें प्रभारी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी भरत पटेल ने किसानों को नैनो यूरिया के विषय में जानकारी दी।

नैनो यूरिया एक नैनोटेक्नोलॉजी आधारित क्रांतिकारी कृषि- इनपुट है। जो पौधों को नाइट्रोजन देता है। स्मार्ट कृषि व जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में नैनो यूरिया किसानों के लिए एक स्थायी विकल्प है। ये उर्वरक के रूप में पौधों की पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करते हैं क्योंकि नैनो यूरिया पौधों के लिए जैव उपलब्ध है।

Soil health इसके वांछनीय कण आकार लगभग 20-50 एनएम और अधिक सतह क्षेत्र (1 मिमी यूरिया प्रिल से 10,000 गुना अधिक) और कणों की संख्या (55,000 नाइट्रोजन कण अधिक) हैं। 1 मिमी यूरिया प्रिल)।

इसके लिए नैनो यूरिया फसल के लिए अपनी उपलब्धता को 80 प्रतिशत से अधिक बढ़ा देता है। जिसके परिणामस्वरूप उच्च पोषक तत्व उपयोग दक्षता होती है। इसके अलावा, नैनो यूरिया लीचिंग और गैसीय उत्सर्जन के रूप में कृषि क्षेत्रों से पोषक तत्वों नुकसान को कम करके पर्यावरणीय पदचिह्न को कम करने में मदद करता है।

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नेनो यूरिया से मिट्टी में सुधार के साथ बढ़ेगी उपज

किसानों को अब नेनो यूरिया इफको संस्था के द्वारा उपलब्ध करा दिया गया। इफको नेनो यूरिया फसलों को आवश्यक नाइट्रोजन प्रदान कर मिट्टी को अधिक उपजाऊ व फसल Soil health को गुणवत्तापूर्ण बनाने से सहायक है। इफको नेनो यूरिया तरल का प्रयोग पर्यावरण के अनुकूल, सस्ता व अधिक लाभ प्रदान करने वाला है। नेनो तकनीक से उत्पादित यूरिया में एक दाना यूरिया को 55000 नेनो यूरिया के दानों में विभाजित कर दिया जाता है।

अपने अति-सूक्ष्म आकार और सतही विशेषताओं के कारण नेनो यूरिया को पत्तियों पर छिड़के जाने से पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। पौधों के जिन भागों को नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है Soil health ये कण वहाँ पहुंचकर संतुलित मात्रा में उपयोगी पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

किस प्रकार काम करता है नैनो यूरिया

फसलों को नाइट्रोजन की आपूर्ति के लिए यूरिया की जरूरत होती है, लेकिन फसल में दिये गये पारंम्परिक यूरिया के माध्यम से नाइट्रोजन का केवल 30-40 प्रतिशत ही फसलों को मिल पाता है, जबकि 60-70 प्रतिशत नाइट्रोजन वाष्पीकरण, रिसाव व मिट्टी स्थिरीकरण द्वारा बर्बाद हो जाता है। मिट्टी, वायु एवं जल को प्रदूषित करता है। इफको नेनो यूरिया किसानों को तरल पदार्थ के रूप में उपलब्ध होगा जिसे पत्तियों पर छिड़काव के द्वारा उपयोग किया जाता है।

Soil health नेनो यूरिया तरल जो कि आधा लीटर की बोतल में होगा, आधा लीटर बोतल में 40000 पीपीएम नाइट्रोजन है। खास बात यह है कि इसकी क्षमता एक 45 किलो के पारंपरिक यूरिया के बराबर या इससे अधिक ही होगी।

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नैनो यूरिया का स्प्रे इस प्रकार करें..

Soil health एक आधा लीटर (500 मिली) बोतल एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है। इसका पहला छिड़काव बोआई या रोपाई के 25-35 दिन पर और दूसरा छिड़काव फूल आने के एक सप्ताह पहले कर सकते हैं। नाइट्रोजन की कम जरूरत वाली फसलों में दो एम.एल ओर अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता वाली फसलों में चार एम.एल प्रति लीटर पानी की दर से नेनो यूरिया का उपयोग करना है।

Soil health पांरपरिक यूरिया के अंधाधुध उपयोग के दुष्परिणाम खेती, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ पर अब स्पष्ट दिख रहें है, देश के किसानों को स्वदेशी उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी आधारित तरल नेनो यूरिया के रूप में अदभूत विकल्प मिला है जो की बहुत लाभकारी है। अधिक जानकारी के लिए आपके क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय या संबंधित क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क करें।

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