कृषि विभाग ने किसानों को बताया.. सोयाबीन की जगह इस फसल की खेती करें, मात्र 70 दिनों में पकेगी

सोयाबीन की जगह मिलेट्स की खेती (Sorghum Cultivation) से अच्छा मुनाफा, कृषि विभाग किसानों को कर रहा जागरूक, जानें डिटेल।

Sorghum Cultivation | खरीफ सीजन आने वाला है। हमारे देश में खरीफ के सीजन में सबसे ज्यादा सोयाबीन की खेती की जाती है। लेकिन कृषि विभाग ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया की, सोयाबीन की जगह किसान भाई मिलेट्स की खेती कर सकते है। यह फसल मात्र 70 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

बता दें की, मिलेट्स की खेती से बढ़िया पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा कमा सकते है। हम जिस मिलेट्स की बात कर रहे है वह है ” बाजरा की खेती “। बता दें की, मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग किसानों के लगातार प्रोत्साहित कर रहा है। आइए जानते है बाजरा की खेती Sorghum Cultivation से किसान किस तरह मोटा मुनाफा कमा सकते है।

बाजरा की फसल से होगी मोटी कमाई

भारत में बाजरा Sorghum Cultivation सर्दियों के दिनों में खाए जाने वाला खाद्यान्न हैं। गेहूं की तरह ही बाजरे की रोटी, चूरमा आदि बनाकर खाया जाता है। भारत में इसकी खेती प्राचीन समय से होती आ रही है। इसकी खेती से दो लाभ हैं। इसकी खेती करने से एक ओर खाने के लिए बाजरा दाना प्राप्त हो जाता है। वहीं पशुओं के लिए भी सूखा चारा मिल जाता है। इस प्रकार किसानों के लिए बाजारा की फसल उगाना काफी फायदेमंद है।

बाजरा की उन्नत किस्म का चयन करें

Sorghum Cultivation भारत में किसान विभिन्न प्रकार की बाजरा की किस्में उगाता है। जिनमें फॉक्सटेल बाजरा, छोटा बाजरा, फिंगर बाजरा (रागी), और मोती बाजरा (बाजरा) शामिल हैं। ऐसी किस्म का चयन करें जो आपके विशेष क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु के लिए उपयुक्त हो। तापमान, आर्द्रता और कीट प्रतिरोध जैसे तत्वों को ध्यान में रखें।

हालांकि, किसान बाजरा की नई एचएचबी-311 किस्म को बो सकते है। बाजरा एचएचबी-311 किस्म जोगिया रोगरोधी है व अन्य किस्मों की तुलना में सूखा चारा व उपज अधिक देने की क्षमता है। यह 75 से 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। अच्छा रखरखाव करने पर एचएचबी 311 किस्म 18.0 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार Sorghum Cultivation देने की क्षमता रखती है।

बाजरा की खेती की जानकारी

भूमि का चुनाव :- बाजरे की फसल Sorghum Cultivation अच्छे जल निकास वाली सभी भूमियों में उगाई जा सकती है। इसकी खेती हल्की बलुई दोमट एवं दोमट भूमि इसके लिये अच्छी होती है। अम्लीय भूमि इसकी खेती के लिये उपयुक्त नहीं होती है।

भूमि की तैयारी :- सर्व प्रथम मिट्टी पलटने वाले हल एक गहरी जुताई करने के बाद 2 से 3 जुताई हैरो या कल्टीवेटर से करके मिट्टी को भुरभुरी बना लें और बुवाई से पहले पाटा चलाकर खेत को समतल अवश्य कर लेना चाहिए।

बीज की मात्रा :- एक हेक्टेयर खेत की बुवाई के लिये 4 से 5 किग्रा. बीज पर्याप्त होता है। किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि सदैव प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें।

बीज शोधन :- बुवाई से पूर्व बीज को किसी Sorghum Cultivation आर्गेनो मरक्यूरियल यौगिक जैसे थीरम एग्रोसन जी. एन., कैप्टान या सेरेसान मे से किसी एक दवा की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर लेना चाहिए । अर्गट के दानों को अलग करने के लिये बीज को 20 प्रतिशत नमक के घोल में डुबोकर अलग कर लेना चाहिए।

बुवाई का समय :- बाजरे की बुवाई के लिये 15 जुलाई से 15 अगस्त तक का समय उपयुक्त होता है।

बुवाई की विधि :- बुवाई हमेशा कॅड में हल के पीछे या सीड ड्रिल द्वारा करनी चाहिए। लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी., पौध से पौध की दूरी 10 से 15 सेमी. तथा गहराई 3-4 सेमी. सुनिश्चित करें। इस तरह से प्रति हे. पौधे की संख्या 1,75,000 से 2,00,000 तक होती है। Sorghum Cultivation

बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक देश भारत

Sorghum Cultivation 2024 तक, भारत अब तक दुनिया का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक है, जो प्रति वर्ष लगभग 13,210 किलोटन पैदा करता है। कई देशों में से भारत में बाजरा एक महत्वपूर्ण मुख्य अनाज और नकदी फसल है। भारत अपने बड़े आकार और बढ़ते वातावरण की विविधता के कारण विभिन्न प्रकार की बाजरा किस्मों को उगाने और बड़ी मात्रा में अनाज का उत्पादन करने में सक्षम है। ज्वार, बाजरा और फिंगर बाजरा इसके कुछ उदाहरण हैं।

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