सोयाबीन की फसल Soyabean farming की देखरेख के लिए किसानों को इस समय क्या करना चाहिए कृषि विशेषज्ञों से यह जानिए…
Soyabean farming : सोयाबीन की फसल 90 से 110 दिन तक की रहती है। इस साल सोयाबीन की बोवनी 24 जून से एक जुलाई के मध्य हुई। इस हिसाब से देखें तो सोयाबीन की फसल अब 50 से 55 दिनों के लगभग की हुई है। सोयाबीन में इस समय फलिया आ चुकी है। फलियों में दाने भरने की प्रक्रिया चल रही है। सोयाबीन की फसल के लिए यह समय अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय फसल पर पर्याप्त ध्यान दे लिया गया तो निश्चित तौर पर उपज अच्छी होगी।
सोयाबीन Soyabean farming की फसल में इस समय ध्यान देने की आवश्यकता इसलिए भी अधिक है की मौसम में उतार-चढ़ाव बना हुआ है, मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण किट व्याधियों का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे समय सोयाबीन की उचित देखरेख करने से सोयाबीन की पैदावार में वृद्धि होगी, क्योंकि यहीं वह समय है जिस समय फूल एवं फल के लिए अच्छे देखरेख की अति आवश्यकता है। चौपाल समाचार की इस खबर के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों द्वारा जानते हैं कि किसान साथी इस समय सोयाबीन के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखें…
अब सोयाबीन की खेती के लिए यह आवश्यक है..
सोयाबीन की खेती Soyabean farming से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर के कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों के लिए सलाह जारी करते हैं। सोयाबीन की वर्तमान अवधि को देखते हुए कृषि विशेषज्ञों ने सलाह जारी की है कि बारिश के पश्चात मौसम खुलते ही कीट रोग का असर सोयाबीन पर पड़ने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए किसान साथी समय-समय पर सोयाबीन फसल की निगरानी करते रहें।
सोयाबीन की फसल पर चक्र भृंग एवं पत्ती खाने वाली इल्लियां तथा पीला मोजेक वायरस रोग के संक्रमण की स्थितियां देखी जा रही हैं। फसलों की इस स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने कृषकों को Soyabean farming सलाह दी है कि जहाँ-जहाँ पर जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है, वहां पर खेत से जल निकास की उचित व्यवस्था करें। साथ ही अपनी फसल की सतत निगरानी करते रहें एवं किसी भी कीट या रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखते ही निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनायें :-
पीला मोजेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाडकर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350मिली/हे) का छिडकाव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है तथा साथ ही यह भी सलाह है कि सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु किसान अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं। Soyabean farming
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चक्र भृंग (गर्डल बीटल) के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1ली/है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425मिली/है) का छिडकाव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोडकर नष्ट कर दें।
चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30%+लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60% ZC (200 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम+लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। Soyabean farming
पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली, बिहारी हेयर केटरपिलर) हो, इनके नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें। Soyabean farming
क्विनालफॉस 25 ई.सी. (1ली/हे), या ब्रोफ्लोनिलिडे 300 एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या फ्लूबेडियामाइड 30.35 एस.सी. (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस.सी. (333 मि.ली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या नोवाल्युरोन+इन्डोक्साकार्ब 04.50% एसी.सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी.(150 मि.ली./हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 सी.एस. (425 मिली/हे) या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90 सी.एस.(300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी.(1ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी. (450 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम+लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30% लैम्बडा सायहेलाथ्रिन 04.60% ZC, (200 मिली/हे) का छिड़काव करें। Soyabean farming
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किसान साथी अब इन बातों का ध्यान रखें..
- कृषकों को सलाह हैं कि Soyabean farming अपनी फसल की सतत निगरानी करते रहे।
- सोयाबीन की फसल में तंबाखू की इल्ली एवं चने की इल्ली के प्रबंधन के लिए बाजार में उपलब्ध कीट-विषेश फिरोमोन ट्रैप्स का उपयोग करें। इन फेरोमोन ट्रैप में 5-10 पतंगे दिखने का संकेत यह दर्शाता है कि इन कीडों का प्रादुर्भाव आप की फसल हो गया है जो कि प्रारंभिक अवस्था में है। अत: शीघ्रातिशीघ्र इनके नियंत्रण के लिए उपाय अपनाने चाहिए।
- खेत के विभिन्न स्थानों पर निगरानी करते हुए यदि आपको कोई ऐसा पौधा मिले जिस पर झुण्ड में अंडे या इल्लिया हो, ऐसे पौधों को खेत से उखाडकर निष्काषित करें। Soyabean farming
- जैविक सोयाबीन उत्पादन में रुची रखने वाले कृषका गण पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तंबाखू की इल्ली) की छोटी अवस्था की रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1 ली/हे) का प्रयोग कर सकते हैं। यह भी सलाह है कि प्रकाश प्रपंच का भी उपयोग कर सकते हैं। Soyabean farming
- सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठने हेतु ”T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाये। इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
- कीट या रोग नियंत्रण के लिए केवल उन्ही रसायनों का प्रयोग करें जो सोयाबीन की फसल में अनुशंसित हो।
- कीटनाशक या फफूंदनाशक के छिडकाव के लिए पानी की अनुशंसित मात्रा का उपयोग करें (नेप्सेक स्प्रयेर से 450 लीटर/हे या पॉवर स्प्रेयर से 120 लीटर/हे न्यूनतम)
- किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय दूकानदान से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो। Soyabean farming
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