सोयाबीन की फसल में फल एवं फूल बढ़ाने के लिए यह करें किसान साथी

सोयाबीन की फसल (Soybean Crop) में फल एवं फूल बढ़ाने के लिए किसानों को क्या करना चाहिए, आइए जानते है..

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Soybean Crop | मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना आदि राज्यों में खरीद सीजन के दौरान सोयाबीन की खेती की जाती है।

इनमें से मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र में सोयाबीन की फसल सबसे ज्यादा ली जाती है।

मध्यप्रदेश को सोया स्टेट का दर्ज प्राप्त है। एमपी एवं महाराष्ट्र में सोयाबीन की 35 से 40 दिन की हो गई है।

इस समय एमपी सहित महाराष्ट्र के कई इलाकों में सोयाबीन की फसल Soybean Crop में फूल भी आने लगे है।

किसानों को फूल आने की अवस्था के दौरान  सोयाबीन की फसल में विशेष ध्यान दिया जाना है।

क्योंकि इस समय किट एवं रोग सहित कई बीमारियों का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाता है और ध्यान न दिया जाए तो फल फूल सही से नही बन पाते है।

सोयाबीन में फूलों का फलन और आकार जितना बड़ा होता है, फसल भी उतनी ही अच्छी होती है।

यहां हम आपको बताने वाले है की, किसान भाई सोयाबीन की फसल Soybean Crop में फल फूल बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए या कौन सी दवाई छिड़कनी चाहिए…

किट रोग से हो रहा ज्यादा नुकसान

किसान साथी 30 से 40 दिनों की सोयाबीन फसल के लिए सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

किसानों को पत्तियों को खाने वाले कीड़ों का शिकार करने वाले पक्षियों के बैठने की व्यवस्था के लिए विभिन्न स्थानों ”T“ आकार के बर्ड-परचेस लगाये। : Soybean Crop

इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।

बता दें की, जहां खरपतवार की आबादी ज्यादा होती है वहां किट सफेद मक्खी सहित अन्य किट रोग का प्रकोप बढ़ जाता है।

इसके नियंत्रण करने से पौधे की बढ़वार अच्छी होगी और फूल अच्छे बनेंगे।

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सफेद मक्खी के लिए यह दवाई डालें

सोयाबीन की फसल Soybean Crop में यह मक्खी फसल पर विषाणु जनित पीला मोजेक रोग फैलाती है। रोग के लक्षण पौधे के पत्ते पर दिखाई देते हैं।

इसके नियंत्रण के लिए मौसम साफ होते ही थायोमिथोक्सम 25 डब्लूजी 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इथोफेनप्राक्स 10 ईसी 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर या एसिटामाप्रीड 20 एसपी 200-250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

(नैपसैक/ट्रैक्टर द्वारा खींचे गए स्प्रेयर के लिए 450 लीटर/हेक्टेयर या पावर स्प्रेयर के लिए 120 लीटर/हेक्टेयर)। : Soybean Crop

लगातार बारिश होने पर लग सकती है ये बीमारी

लगातार बारिश होने वाले क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल में एंथ्राक्नोज रोग की संभावना अधिक होती हैं।

अतः इसके प्रारंभिक लक्षण देखे जाने पर कृषकों को सलाह हैं की, नियंत्रण हेतु शीघ्रतापूर्वक टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे)

या टेबूकोनाजोल 38.39 एस.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1.25 ककग्रा./हे) या कार्बेंडाजिम 12%+मेन्कोजेब 63% डबल्यू.पी. (1.25 किग्रा/हे) से फसल पर छिड़काव करें।

फूल वाली अवस्था में यह दवाई डालें

सोयाबीन Soybean Crop के फूलों को झड़ने से बचाने के लिए किसानों को दवा का स्प्रे करना होता है। आज हम आपको एक ऐसी ही दवा के बारे में बताएंगे जो सोयाबीन का फूल बढ़ा देगी।

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सोयाबीन का फूल बढ़ाने की इस दवा का नाम दैनिक है। इसमें अमीनों और पेप्टिक एसिड होते हैं। इसमें कार्बनिक और गैर कार्बनिक कंटेंट हैं जो फसल की गुणवत्ता बेहतर करते हैं।

यह दवा Soybean Crop फसल में फल और फूलों में वृद्धि के लिए सहायक होती है। इतना ही नहीं ये दवाई सोयाबीन के फूलों को झड़ने से भी बचाती है।

बाजार में यह दवा सीओ 1010 एल के नाम से आती है। इसका उपयोग अन्य दलहनी फसलों में भी कर सकते हैं।

इफको नैनो डीएपी का भी कर सकते है छिड़काव

सोयाबीन Soybean Crop की अच्छी उपज के लिए किस साथी में व डीएपी का छिड़काव कर सकते हैं। नैनो डीएपी का छिड़काव इस प्रकार करें :–

1. पहला छिड़काव – 25 से 35 दिनों पर फूल आने के पहले 4 ml नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर एक एकड़ में छिड़काव करें। अधिक लाभ के लिए सागरिका तरल साथ में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।

2. दूसरा छिड़काव – 45 से 55 दिनों की अवस्था पर 4 ml नैनो डीएपी प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर एक एकड़ में छिड़काव करें। अधिक लाभ के लिए इस अवस्था पर साथ में नैनो यूरिया को मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है। : Soybean Crop

कृषि विभाग की सलाह

कृषि विभाग ने किसानों को सलाह देते हुए बताया की, ऐसे रसायनों (कीटनाशक/शाकनाशी/फफूंदनाशी) का उपयोग न करें जिनके पास भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा अनुमोदित सोयाबीन के लिए लेबल दावा नहीं है। : Soybean Crop

किसानों को सुझाव दिया जाता है कि वे ऐसे किसी भी कीट/शाकनाशी का मिश्रण इस्तेमाल न करें, जिसकी सिफारिश/परीक्षण ICAR-IISR द्वारा न किया गया हो। इससे फसल को नुकसान हो सकता है।

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