सोयाबीन की फसल में भूलकर भी यह गलती कर दी तो फसल चौपट हो जाएगी…

Soybean crop management : सोयाबीन की फसल में अफलन की स्थिति क्यों उत्पन्न होती है आईए जानते हैं कृषि वैज्ञानिकों से…

Soybean crop management : सोयाबीन की फसल R-3 की स्टेज में है। इस समय फसल में फूलों के साथ-साथ फलिया आने लगी है। इसी दौरान प्रदेश के कई हिस्सों में फिर से मानसून की बारिश का क्रम शुरू हो चुका है। ऐसे समय में कई किसान अधिक पैदावार लेने के चक्कर में एक बड़ी भूल कर बैठते हैं, जिसके कारण फसल चौपट होने तक की नौबत आ सकती है। फसल में अफलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसके कारण एवं बचाव के उपाय क्या-क्या है यह जानने की जिज्ञासा सभी की रहती है।

दरअसल, सोयाबीन की फसल Soybean crop management में अफलन की स्थिति क्यों होती है एवं अगर सोयाबीन की फसल में फूल एवं फल नहीं आ रहे हैं तो क्या करना चाहिए। यह सब कुछ भाकृअसं भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर के प्रधान वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) डॉ. बी. यू. दुपारे एवं आरएके कृषि महाविद्यालय, सीहोर के पूर्व कीट विज्ञानी डॉ. कृष्ण कुमार नेमा से जानते हैं…

यह गलती कर दी तो नष्ट हो जाएगी फसल

सोयाबीन की फसल Soybean crop management अच्छी होने के बावजूद अफलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, इसके कई कारण है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं की छोटी-छोटी गलतियों के चलते अफलन की स्थिति होती है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. नेमा ने कहा कि अफलन का कारण अनुशंसित मात्रा से अधिक बीज दर अधिक उर्वरक आदि का इस्तेमाल और अर्धकुण्डलक इल्ली का आक्रमण भी हो सकता है। इससे अफलन की समस्या भी हो सकती है।

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अफलन की समस्या से बचने के लिए यह करना चाहिए

कृषि वैज्ञानिक डॉ. दुधारे के मुताबिक सामान्यतः सोयाबीन फसल Soybean crop management में खाद/ उर्वरक बोवनी के समय ही दिए जाने की अनुशंसा की गई है। इस साल कई किसानों ने सोयाबीन फसल की वृद्धि नहीं होने की शिकायत की है। 19:19:19 या 2% डीएपी का दाने भरने की दशा में प्रयोग करने की अनुशंसा की गई है, इस विशेष परिस्थिति में इसका प्रयोग किया जा सकता है, अन्यथा सोयाबीन की खड़ी फसल में कोई भी उर्वरक का प्रयोग वर्जित है।

सोयाबीन की खड़ी फसल Soybean crop management में उर्वरक देने की वजह से ही अफलन की स्थिति होती है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को चेताते हुए कहा कि इस समय किसी भी स्थिति में कोई भी खाद सोयाबीन की फसल को नहीं डालना चाहिए।

ग्रोथ रेगुलेटर का प्रयोग करना कितना उचित जानें

सोयाबीन फसल Soybean crop management की बढ़ती लम्बाई को रोकने के लिए ग्रोथ रेगुलेटर के इस्तेमाल कई किसानों ने इस वर्ष किया है। विशेषकर 1135 आरवीएसएम की 1135 वैरायटी में इसका प्रयोग किसानों ने किया। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. दुपारे ने कहा कि आरवीएस 1135 की ऊंचाई अधिक होने का कारण बीज दर अधिक होना है। अच्छा अंकुरण होने से फसल घनी और ऊँची हो जाती है। ग्रोथ रेगुलेटर के लिए किसान स्वयं अपने विवेक से काम लें। डॉ. बिल्लौरे ने तो किसानों को किसी भी स्थिति में ग्रोथ रेगुलेटर का प्रयोग नहीं करने की सलाह दी।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. नेमा एवं डॉ. बिल्लोरे के मुताबिक किसान उर्वरक का डोज़ निर्धारित मात्रा में डालें, वही पर्याप्त है। ग्रोथ रेगुलेटर की जरूरत नहीं है। अलग-अलग फसल के लिए उर्वरक मात्रा निर्धारित है। बीज दर ज्यादा होने या नाइट्रोजन फर्टिलाइजर अधिक होने से भी समस्या आती है। वही डॉ. दुपारे ने कहा कि फूल आने की स्थिति में 2% डीएपी डाल सकते हैं।

सोयाबीन फसल Soybean crop management में अधिकांश किसान बोवनी के समय बेसल डोज़ पूरा नहीं डालते हैं। बाद में समस्या आने पर किसान कई कीटनाशकों व उर्वरकों का प्रयोग करते है। जिसके अवाछित परिणाम मिलते है। सिंथेटिक पायरेथाइड के उपयोग की अनुशंसा नहीं की गई है। शुरूआती अवस्था में कीट समस्या की पहचान होने पर सस्ती दवा से भी नियंत्रण पाया जा सकता है।

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दवाइयां का इस्तेमाल इस प्रकार करें

कृषि वैज्ञानिक डॉ. नेमा ने कहा बाज़ार से सही कीटनाशक नहीं मिलने या डोज़ कम होने से सोयाबीन की फसल Soybean crop management में इल्लियों का सफाया नहीं हो पता है। डॉ. दुपारे ने कहा कि किसानों में आज कल 3-4 दवाइयों का प्रयोग करने का चलन बढ़ गया है। कम ज्यादा मात्रा डालने से भी ऐसा होता है।

अनुशासित दवाइयों का ही प्रयोग करें। पर्ण भक्षी कीटों के लिए क्लोरइंट्रानिलिप्रोल बेहतर है। इसके अलावा मेड़ के किनारे गेंदे या बीबीएफ तरीके से बोई फसल के बीच में निश्चित अंतराल से सुआ फसल भी लगा सकते हैं। इससे इल्लियां सोयाबीन को छोड़कर सुआ फसल के पौधों को ही खाएगी।

केवल एक कतार पर स्प्रे से दवाई का खर्च बचेगा गेंदे के फूल दशहरे तक आते हैं, तो अतिरिक्त कमाई भी हो जाएगी। Soybean crop management कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक 15 दिन से बारिश नहीं हुई है। पत्ते मुरझा रहे हैं। सेमीलूपर और तम्बाकू की इल्ली दिख रही है फूल आ गए हैं और कीट है, तो स्प्रे अवश्य करें कई किसान फूल आने पर स्प्रे नहीं करते हैं।

पीला मोजेक की समस्या आने पर यह करें

सोयाबीन में पीला मोजेक Soybean crop management आने की समस्या गंभीर समस्या है। इस बीमारी के संबंध में सतर्क रहना चाहिए। कृषि वैज्ञानिक डॉ. नेमा ने कहा कि पीला मोजेक के संबंध में जागरुकता जरूरी है, फिर भी यदि समस्या शुरूआती अवस्था में है, तो पौधों को उखाड़कर ज़मीन में गाड़ दें। थायो मिथोक्सम+इमिडाक्लोप्रिड का स्प्रे करें। इससे रस चूसक कीट और सफेद मक्खी का नियंत्रण हो जाएगा।

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गर्डल बीटल, सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली के नियंत्रण के लिए यह करें

चक्र भृंग (गर्डल बीटल) के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था से ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एससी (250-300 मिली/हे) या थायोक्लोप्रिड 21.7 एससी (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी (1ली/हे) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/हे) का छिडकाव करें। किसानों को Soybean crop management यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव को रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।

चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक क्लोरएन्ट्रानिलप्रोल 9.30 प्रतिशत+लैम्डा सायहेलीथिन 4.60 प्रतिशत ZC (200 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्‍सम+लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मिली/हे का छिड़काव करें। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है।

Soybean crop management पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली बिहारी हेयर कैटरपिलर) हो, इनके नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें। क्विनालफॉस 25 ईसी (1ली/हे) या ब्रोफलोनिलिडे 300 एससी (42.62 ग्राम/हे) या फ्लूबेडियामाइड 30.35 एससी (150 मिली) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एससी (333 मिली/हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एससी (250-300 मिली) या नोवाल्युरोन इन्डोक्साकार्ब 4.50+प्रतिशत एससी (825-875 मिली/हे)

क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी (150 मिली/हे) या इमामेक्टिन बेंजोएट 1.90 सीएस (425 मिली/हे) या फ्लूबेडियामाइड 20 डब्ल्यूजी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बडा सायहेलोथिम 4.90 सीएस (300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी (1ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एससी (450 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित बीटासायफलुथिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या पूर्वमिश्रित थायमियोक्सम+लैम्बडा सायलोथ्रिम (125 मिली) या क्‍लोरइन्‍ट्रानिलिप्रोल 9.30 प्रतिशत लेम्‍डा सायलोथ्रिन 4.60 प्रतिशत ZC (200 मिली/हे) का छिडकाव करें।

Soybean crop management अधिक जानकारी के लिए किसान भाई अपने नजदीकी कार्यालय वरिष्‍ठ कृषि विकास अधिकारी/ग्रामीण कृषि विस्‍तार अधिकारी/कृषि विज्ञान केन्‍द्र से संपर्क कर सकते हैं।

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