गेहूं की फसल कटते ही खरीफ सीजन में सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें, जानिए सिलसिलेवार ..

सोयाबीन की बंपर पैदावार (Soybean cultivation) के लिए किसानों को खेत तैयारी कैसे करनी होगी। जानें आर्टिकल में पूरी जानकारी..

Soybean cultivation | लगभग 50 से 70% तक गेहूं की गेहूं एवं अन्य रबी फसलों की कटाई हो चुकी है। किसान साथी रबी फसलों की कटाई के बाद खरीफ सीजन की तैयारी में जुट जाते हैं। खरीफ सीजन में धान के साथ-साथ सोयाबीन की खेती अधिक होती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र में सोयाबीन की अधिक खेती होती है वही देश के अन्य भागों में धान की खेती होती है। सोयाबीन को प्रमुख नगदी फसल कहा जाता है। इसलिए इसकी खेती के प्रति किसानों का अधिक आकर्षक है।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन Soybean cultivation के भाव कम होने के कारण किसानों को पर्याप्त फायदा नहीं मिल पा रहा है। किसानों को किसानों का अधिक फायदा हो इसके लिए अब एक ही प्रयास बाकी है वह यह है की लागत में कमी करें एवं पैदावार बढ़ाएं। चौपाल समाचार समय-समय पर किसानों के लिए अलग-अलग जानकारी देता है।

इस खबर में प्रमुख रूप से यही जानकारी दी जाएगी कि रबी फसलों की कटाई के बाद अभी से यदि सोयाबीन एवं अन्य खरीफ फसलों की तैयारी की जाए तो अधिक फायदा होगा। रबी फसलों की कटाई के बाद किसानों के पास खरीफ सीजन Soybean cultivation की तैयारी के लिए पर्याप्त समय रहता है ऐसी स्थिति में किसान इसका अधिक फायदा उठा सकते हैं। आईए जानते हैं वह कौन-कौन से तरीके हैं जिससे सोयाबीन की खेती में अच्छी पैदावार होगी..

सोयाबीन की खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी

Soybean cultivation | सोयाबीन की खेती के लिए मिट्टी का चयन करना अति आवश्यक है। सोयाबीन की खेती अधिक हल्की, हल्की व रेतीली भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है। परंतु पानी के निकास वाली चिकनी दोमट भूमि सोयाबीन के लिए अधिक उपयुक्त होती है। जिन खेतों में पानी रुकता हो, उनमें सोयाबीन न लें।

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मिट्टी परीक्षण करवा ले

Soybean cultivation | अपने देश में आधुनिक खेती की तुलना में परंपरागत खेती अधिक होती है। खेती की परंपरागत पद्धति किसानों को पर्याप्त फायदा नहीं दे रही है। परंपरागत खेती से हटकर किसानों को आधुनिक खेती की ओर मुड़ना होगा इसके लिए समय-समय पर अपने खेत की मिट्टी परीक्षण करके पोषक तत्वों की कमी के बारे में जानकारी लेना आवश्यक है। इसी के अनुसार खाद एवं उर्वरक खेत में डाला जाए तो निश्चित तौर पर पैदावार में बढ़ोतरी होगी।

ग्रीष्मकल में गहरी जुताई करें

ग्रीष्मकालीन जुताई 3 वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य करनी चाहिए। वर्षा प्रारम्भ होने पर 2 या 3 बार बखर तथा पाटा चलाकर Soybean cultivation खेत का तैयार कर लेना चाहिए। इससे हानि पहुंचाने वाले कीटों की सभी अवस्थाएं नष्ट होगी।

ढेला रहित और भुरभुरी मिट्टी वाले खेत सोयाबीन के लिए उत्तम होते हैं। खेत में पानी भरने से सोयाबीन की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अत: अधिक उत्पादन के लिए खेत में जल निकास की व्यवस्था करना आवश्यक होता है। जहां तक सम्भव हो आखरी बखरनी एवं पाटा समय से करें जिससे अंकुरित खरपतवार नष्ट हो सकें।

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खेत की जानकारी के साथ खाद डालें

Soybean cultivation | किसान साथी खेत की हकाई जुताई के साथ अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (कम्पोस्ट) 2 टन प्रति एकड़ अंतिम बखरनी के समय खेत में अच्छी तरह मिला देवें तथा बोते समय 8 किलो नत्रजन 32 किलो स्फुर 8 किलो पोटाश एवं 8 किलो गंधक प्रति एकड़ देवें। यह मात्रा मिट्टी परीक्षण के आधार पर घटाई बढ़ाई जा सकती है।

यथा सम्भव नाडेप, फास्फो कम्पोस्ट के उपयोग को प्राथमिकता दें। रासायनिक उर्वरकों को कूड़ों में लगभग 5 से 6 से.मी. की गहराई पर डालना चाहिये। गहरी काली मिट्टी में जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति एकड़ एवं उथली मिट्टियों में 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 5 से 6 फसलें Soybean cultivation लेने के बाद उपयोग करना चाहिये।

बीज की व्यवस्था जल्दी करना जरूरी

खरीफ सीजन की सोयाबीन के लिए किसान गेंहू की कटाई के बाद से ही अपनी खेत तैयारी शुरू कर दे। खेत की हकाई जुताई के अलावा Soybean cultivation बीज की व्यवस्था अभी से कर लें, क्योंकि ऐन मौके पर प्रमाणित एवं शुद्ध बीज कम मिल पाता है, जिसके कारण पैदावार पर बड़ा असर पड़ता है। किसान साथी सोयाबीन की बीज दर इस अनुसार रखें :–

  • छोटे दाने वाली किस्में – 28 किलोग्राम प्रति एकड़
  • मध्यम दाने वाली किस्में – 32 किलोग्राम प्रति एकड़
  • बड़े दाने वाली किस्में – 40 किलोग्राम प्रति एकड़

यह उपाय करना ना भूले

Soybean cultivation | सोयाबीन के अंकुरण को बीज तथा मृदा जनित रोग प्रभावित करते हैं। इसकी रोकथाम हेतु बीज को थायरम या केप्टान 2 ग्राम, कार्बेडाजिम या थायोफिनेट मिथाइल 1 ग्राम मिश्रण प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिये अथवा ट्राइकोडरमा 4 ग्राम / कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलों ग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोयें।

फफूंदनाशक दवाओं से बीजोपचार के प्श्चात् बीज को 5 ग्राम रायजोबियम एवं 5 ग्राम पीएसबी कल्चर प्रति किलोग्राम बीज Soybean cultivation की दर से उपचारित करें। उपचारित बीज को छाया में रखना चाहिये एवं शीघ्र बोनी करना चाहिये। घ्यान रहे कि फफूंद नाशक दवा एवं कल्चर को एक साथ न मिलाऐं।

सोयाबीन बोवनी का समय एवं तरीका

Soybean cultivation | जून के अंतिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है। बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिये। जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात् बोनी की बीज दर 5-10 प्रतिशत बढ़ा देना चाहिये।

कतारों से कतारों की दूरी 30 से.मी. (बोनी किस्मों के लिये) तथा 45 से.मी. बड़ी किस्मों के लिये। 20 कतारों के बाद एक कूंड़ जल निथार तथा नमी सरंक्षण के लिये खाली छोड़ देना चाहिये। बीज 2.50 से 3 से.मी. गहरा बोयें। इसके अलावा सोयाबीन के साथ अंतरवर्तीय फसलों के रुप में अरहर सोयाबीन (2:4), ज्वार सोयाबीन (2:2), मक्का सोयाबीन (2:2), तिल सोयाबीन (2:2) अंतरवर्तीय फसलें उपयुक्त हैं। : Soybean cultivation

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