Soybean farming advise : जानें, सोयाबीन की फसल को सूखे से बचाने के कारगर तरीके..
Soybean farming advise | सोयाबीन फसल की उम्र आधी (50 से 60 दिन) की हो गई है। वही मानसून के इस सीजन में अब बारिश ना के बराबर हो रही है। जिसके चलते किसान भाइयों के ऊपर सोयाबीन के सूखने का संकट खड़ा हो गया है।
ऐसे मे यदि किसान भाई समय रहते सोयाबीन की फसल पर ध्यान नहीं देते है उनकी उपज पर असर पड़ सकता है। सभी किसान बंधु चाहते है की उनकी बढ़िया से बढ़िया पैदावार हो और वह अच्छा मुनाफा कमा सके। सोयाबीन को सूखे से बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञों द्वारा सलाह Soybean farming advise जारी की गई है, आइए जानें बचाव के कारगर तरीके..
कई इलाकों में पीला मोजेक रोग भी देखा गया
Soybean farming advise ; तिलहन फसलों में सोयाबीन मुख्य फसल मानी जाती है। भारत में सोयाबीन की खेती कई राज्यों में की जाती है। इसमें मध्यप्रदेश राजस्थान और महाराष्ट्र में प्रमुख रूप से इसकी खेती की जाती है। लेकिन इस साल अनियमित मानसून और वर्षा की कमी के कारण कई जगहों पर सोयाबीन की फसल सूखने लगी है।
वही कुछ इलाकों में पीला मोजेक रोग का संक्रमण देखने को मिल रहा है। यदि रोग के नियंत्रण के उपाय नहीं किया जाते है तो पैदावार के साथ उपज पर असर पड़ सकता है। इसी बीच सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर की ओर से किसानों के लिए आवश्यक सलाह जारी की गई है ताकि सोयाबीन Soybean farming advise की फसल में आने वाली समस्याओं को दूर करते हुए इसकी बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकें।
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सूखे से सोयाबीन की फसल को किस तरह बचाएं
Soybean farming advise : ⇒ राज्य में कई जगहों पर अभी भी पर्याप्त बारिश नहीं होने से सोयाबीन फसल सूखने लगी है ऐसे में किसान इसे लेकर चिंतित हैं। किसानों की इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर ने सूखे से सोयाबीन को बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने की सलाह किसानों को दी है।
⇒जिन किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था है, वे किसान अधिक समय तक बारिश का इंतजार करने की जगह भूमि में दरारें पड़ने से पहले ही फसल की सिंचाई करें। इसी के साथ ही नमी संरक्षण के वैकल्पिक उपाय जैसे भूसे की 5 टन प्रति हैक्टेयर के हिसाब से पलवार लगाएं।
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⇒वहीं ऐसे किसान जो आगामी वर्ष के लिए उपयोगी सोयाबीन बीज का बीजोत्पादन कर रहे हैं, वे शुद्धता बनाए रखने के लिए फूलों Soybean farming advise के रंग और पौधों, पत्तियों व तना पर पाए जाने वाले रोये के अधर पर भिन्न किस्मों के पौधों को अपने खेत से उखाड़कर बाहर फें दें ताकि कीटों के पनपने की गुंजाइश नहीं रहे।
⇒जिन किसानों ने कम समय अवधि में पकने वाली किस्में लगाई हैं, उन किसानों को सलाह दी गई है कि वे चूहों द्वारा फलियों Soybean farming advise के अंदर दाने खाने से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005 प्रतिशत रसायन से बने प्रति हैक्टेयर 15 से 20 बेट प्रति हैक्टेयर बनाकर चूहों के बिलों के पास रखें ताकि चूहों द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाने से बचाया जा सके।
मध्य प्रदेश में अब तक सामान्य से कम बारिश
Soybean farming advise : अगस्त में दूसरी बार मानसून फिर शिथिल पड़ गया है। वर्तमान में प्रदेश को प्रभावित करने वाली कोई मौसम प्रणाली नहीं है। मानसून द्रोणिका का पश्चिमी सिरा हिमालय की तलहटी में पहुंच गया है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में अब एक सप्ताह तक किसी मौसम प्रणाली के सक्रिय होने की संभावना नहीं दिख रही है। इस वजह से मौसम अब साफ होने के आसार हैं।
मानसून की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस सीजन अभी तक प्रदेश में से नौ प्रतिशत कम वर्षा हुई है। 52 में से 15 जिलों में सामान्य से 40 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है। सिर्फ चार जिलों में ही सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। मानसून की बेरुखी ने किसानों Soybean farming advise की चिंता बढ़ा दी है। इस सीजन अभी तक प्रदेश में से नौ प्रतिशत कम वर्षा हुई है।
अभी तेज बारिश की कोई संभावना नहीं
Soybean farming advise : मानसून द्रोणिका का पूर्वी सिरा गोरखपुर से होकर जा रहा है। एक पश्चिमी विक्षोभ पंजाब के आसपास द्रोणिका के रूप में बना हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक किसी प्रभावी मौसम प्रणाली के सक्रिय नहीं रहने के कारण मानसून की गतिविधियों में कमी आने लगी है। मौसम अब धीरे-धीरे साफ होने लगेगा। बादल छंटने के कारण धूप निकलेगी। इससे तापमान में बढ़ोतरी होने लगेगी। हालांकि, तापमान बढ़ने पर स्थानीय स्तर पर कहीं-कहीं छिटपुट बौछारें पड़ सकती हैं।
पीला मोजेक वायरस रोग के नियंत्रण के लिए करें यह काम
Soybean farming advise ; यदि सरसों में पीले मोजेक वायरस रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हो तो किसानों को सलाह दी गई है कि इसके प्रारंभिक लक्षण दिखते ही शीघ्र रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें और खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल करें।
पीला मोजेक या सोयाबीन मोजैक रोग के नियंत्रण के लिए सलाह दी गई है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर नष्ट कर दें तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए एसिटेमीप्रीड 25 प्रतिशत या बायफेंथ्रिन 25 प्रतिशत डब्ल्यूजी (250 ग्राम प्रति हैक्टेयर) का छिड़काव करें।
इसके स्थान पर पर्वू मिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम +लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली प्रति हैक्टेयर) या बीटासायफलुथ्रिन+ इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली प्रति हैक्टेयर) छिड़काव किया जा सकता है। इनके छिड़काव से तना मक्खी Soybean farming advise का भी नियंत्रण किया जा सकता है।
फफूंदजनित रोगों से कैसे करें फसल की सुरक्षा
Soybean farming advise सोयाबीन की फसल को फफूंदजनित रोगों के प्रकोप से बचाने के लिए इसकी सुरक्षा के उपाय किए जाने चाहिए। इसके लिए भी कृषि वैज्ञानिको ने जरूरी सलाह जारी की है। इसके तहत किसानों को फफूंद जनित कीटों से सुरक्षा के लिए टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे)
या टबुकोनाझोल 10 प्रतिशत + सल्फर 65 प्रतिशत डब्ल्यूजी (1250 ग्राम प्रति हैक्टेयर) या कार्बनडाजिम + मेन्कोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यूपी (1250 ग्राम प्रति हैक्टेयर) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52 प्रतिशत डब्ल्यू/डब्ल्यू एससी (400 मिली प्रति हैक्टेयर)
या फ्लुक्सापयोक्साड 167 ग्राम प्रति लीटर +पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 ग्राम प्रति लीटर एससी (300 ग्राम प्रति हैक्टेयर) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 ग्राम प्रति लीटर + इपिक्साकोनाजोल 50 ग्राम प्रति लीटर एसई (750 मिली प्रति हैक्टेयर) में से किसी एक अनुशंसित फफूंदनाशकों का शीघ्र छिडकाव करें। इससे एंथ्रोक्रोज, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाईट जैसे फफूंदजनित रोगों Soybean farming advise से बचाव हो सकेगा।
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