आधुनिक तरीके से खेती करके किसान कमा रहा सालाना 80 लाख रुपए, खेती को लाभ का धंधा कैसे बनाया, जानें..

खेती में आधुनिक संसाधनों एवं तकनीक का इस्तेमाल करके अच्छा लाभ कमाने वाले किसान की Success story के बारे में जानिए.. 

Success story | देश की 70% जनसंख्या खेती पर निर्भर है। देश में खेती का बड़ा रकबा है किंतु फिर भी आर्थिक मामलों में किसानों की स्थिति खराब है। देश के अधिकांश किसान खेती किसानी से अधिक लाभ नहीं कमा पा रहे हैं। यही कारण है कि किसान खेती किसानी से किसानों का रुझान कम होता जा रहा है।

वही दूसरी ओर कई ऐसे किसान है जो खेती Success story में आधुनिक संसाधनों एवं तकनीक का उपयोग करके अच्छा लाभ अर्जित कर रहे हैं। ऐसे किसान अन्य किसानों को भी जानकारी प्रदान कर रहे हैं एवं खेती को लाभ का धंधा बनाने में जुटे हुए हैं। चौपाल समाचार के इस लेख में ऐसे ही एक किसान की सफल कहानी Success story के बारे में आइए जानते हैं..

सब्जी की खेती में लखपति बनाया

Success story | बाजार में सीजनेबल सब्जियां तो सभी किसान लाते हैं, लेकिन यह किसान ऑफ सीजन में सब्जियों की पैदावार करता है। यह सब कुछ कर दिखाया मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के ग्राम तानपुर निवासी 35 साल के युवा किसान रवि रावत ने। इस किसान रवि रावत ने पारंपरिक खेती छोड़ सब्जियों की खेती शुरू की है, जिससे सालाना करीब 80 लाख रुपए तक की कमाई हो रही है। इस साल इनकम एक करोड़ तक होने का अनुमान है। टमाटर, भिंडी और टिंडे की सब्जी ने एक किसान को लखपति बना दिया है।

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विरासत में मिली जमीन, बेटे ने संभाली (Success story)

रवि के पिता आरएमपी डॉक्टर हैं। गांव में ही क्लिनिक चलाते हैं। उनके पास 53 बीघा जमीन है। जो बंटाई पर दे दी थी। बंटाई दार परम्परागत तरीके से खेती करता था। मुनाफा कम होता था। 10 साल पहले रवि ने स्नातक कर खेती करने का फैसला किया। करीब 50 बीघा से ज्यादा में क्रॉप कवर और प्लास्टिक टनल के जरिए खेती कर रहे हैं।

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खोजबीन करके शुरू की सब्जी की खेती

Success story | बांस और रस्सियों के सहारे टमाटर की फसल से खेती की शुरुआत की। इसके बाद कई साल तक ड्रिप सिस्टम तकनीक से टमाटर की फसल उगाई। फिर मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल कर अच्छा मुनाफा कमाया। इसके बाद क्षेत्र में लगभग सभी किसान इसी तकनीक का इस्तेमाल करने लगे। जिससे उचित भाव नहीं मिल पा रहा था। इस व्यवस्था के बदलाव की सोच को लेकर कुछ नया करना था। इसके बाद टनल से खेती करना शुरू की।

टनल की खेती से बेहतर लाभ कमाया

युवा किसान रवि के अनुसार सब्जी की खेती Success story शुरू करने के पहले उन्होंने इंटरनेट का सहारा लिया। कई ब्लॉग पढ़े और वीडियो देखे, जिसमें निमाड़ क्षेत्र के किसानों की तकनीक बेहतर लगी। जहां वे टनल के जरिये खेती कर रहे थे। इसके बाद मैं निमाड़ क्षेत्र में गया। वहां टनल तकनीक से खेती कैसे की जाती है, जाना और सीखा। दो साल पहले टनल तकनीक से सब्जी उगाना शुरू किया। आज मैं टनल तकनीक से ऑफ सीजन टमाटर, मिर्च, टिंडा, तरबूज, बींस जैसे कई प्रकार की फसलें उगा रहा हं। टनल बनाने के लिए सभी सामग्री गुजरात से मंगवाई थी।

खेत में टनल दो प्रकार से बनाए जाते हैं। एक क्रॉप कवर की टनल बनाई जाती है, जो फोम जैसे कपड़े की बनी होती है। इस टनल में तेज धूप और बारिश का असर नहीं होता है। इस टनल में धूप और पानी फिल्टर होकर ही जाता है। इसके अलावा टनल Success story के अंदर पौधे को बचाने के लिए पहले से ही मल्चिंग कर दी जाती है। जिससे बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, शीतलहर और पाले से फसल सुरक्षित रहती है। क्रॉप कवर टनल का इस्तेमाल उन फसलों में किया जाता है, जहां पौध लगाई जाती हैं।

दूसरी टनल प्लास्टिक की पन्नी से बनाई जाती है। इस टनल का इस्तेमाल बीज बोने के बाद अंकुरित होते पौधों को मौसम की मार से बचाने के लिए किया जाता है। इस टनल में भी बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, शीतलहर और पाले का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। दोनो ही टनल को फल आने तक रखा जाता है। इसके साथ ही बीच-बीच में दवा का छिड़काव Success story कर दोबारा उन्हें टनल में बंद कर दिया जाता है।

टनल में तापमान का रहता है अंतर

Success story | किसान रवि रावत ने बताया कि अगर बाहर का तापमान 20 डिग्री है, तो क्रॉप कवर टनल में यह तापमान 25 से 30 रहता है। वहीं लो प्लास्टिक टनल के बाहर तापमान 20 रहता है तो टनल के भीतर का तापमान 40 रहता है। यही वजह है कि तापमान में बदलाव कर ऐसी फसलों को किया जा सकता है। जो कम तापमान में नहीं हो सकती है। वर्तमान में रात का तापमान 10 से भी नीचे चल रहा है। दोपहर का तापमान 20-22 से अधिक नहीं होता है, लेकिन टनल के भीतर तापमान को बदलकर बीज को अंकुरित और पौधे को बड़ा कर लिया जाता है। फल आने के बाद बिना सीजन की फसलों को उगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जाता है।

ऐसे करते ऐसे करते हैं आप सीजन में सब्जी की खेती (Success story)

मिर्च की फसल सामान्यत: जून-जुलाई में उगाई जाती है, लेकिन मैं अभी से टनल के जरिए फसल उगाना शुरू कर दिया है। मेरी फसल फरवरी आखिरी या फिर मार्च के पहले सप्ताह बाजार में आ जाएगी।

टमाटर मार्च महीने तक बाजार में पहुंचेगा। इसके बाद टमाटर बाजार में आना बंद हो जाएगा। इसके लिए मैं अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी है। टमाटर मार्च से बाजार में जाना शुरू हो जाएगा, जबकि दूसरे किसानों का टमाटर अक्टूबर में बाजार Success story में आएगा। इस बीच मेरे टमाटर को अच्छा भाव मिलेगा। मुझे 5 गुना से ज्यादा का मुनाफा हो सकता है। मुझे एक बीघा में 60 हजार की लागत आई है।

50 दिन में आने वाली भिंडी और टिंडे की फसल फरवरी-मार्च में बोई जाती है। टनल का इस्तेमाल कर इसे जनवरी में ही लगा दी गई है। सब्जियां फरवरी में आना शुरू हो जाएंगी। जब तक दूसरे किसानों की फसल बाजार में आएगी। तब तक वह डेढ़ से दो माह तक बाजार में फसल को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं। 3-3 बीघा में भिंडी और टिंडा की फसल लगाई है। इसमें 40 हजार रुपए प्रति बीघा की लागत आई है और मुनाफा पांच गुना होगा।

Success story | सब्जी की खेती से होने वाली कमाई पर एक नजर

  • टमाटर – 17 बीघा, कमाई 42 लाख रुपए
  • शिमला मिर्च – 8 बीघा, कमाई 25 लाख रुपए
  • मिर्च – 6 बीघा, कमाई 10 लाख रुपए
  • तरबूज – 7 बीघा, कमाई साढ़े 5 लाख रुपए

(नोट: यह कमाई पिछले वर्ष की है।)

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