खरीफ फसल कटते ही करें गन्ने की बुवाई, यह तरीके अच्छी पैदावार देंगे..

गन्ने की बुवाई Sugarcane cultivation वर्ष में दो बार की जा सकती है आईए जानते हैं गन्ने की बुवाई के बेस्ट तरीके..

Sugarcane cultivation | व्यावसायिक फसलों में गन्ने का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती।

इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती (Sugarcane cultivation) अपने आप में सुरक्षित व फायदेमंद खेती है।

गन्ना एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे चीनी, गुड़ आदि का निर्माण होता हैं। अगर किसान गन्ने की खेती से ज्यादा मुनाफा पाना चाहते हैं तो Sugarcane Farming की बुवाई के तरीके जान लें।

सही तरीके से बुवाई करने से फसल का उत्पादन बढ़ता है, जिससे कमाई भी बढ़ती है।

गन्ने की खेती के फायदे

Sugarcane cultivation कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक प्रचलित फसल चक्रों जैसे मक्का-गेंहू / धान-गेंहू / सोयाबीन-गेंहू की तुलना में अधिक मुनाफा मिलता है।

यह कम से कम जोखिम भरी फसल है जिस पर रोग, कीट लगता है और विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर होता है। गन्ना के साथ अन्तवर्तीय फसल लगाकर 3-4 माह में ही शुरुआती लागत पाया जा सकता है।

गन्ना की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है। वर्ष भर उपलब्ध साधनों और मजदूरों का इस्तेमाल होता है। गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है। अच्छे प्रबंधन से साल दर साल 1,50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

गन्ने की खेती के लिए जलवायु एवं खेत की तैयारी

गन्ने की खेती (Sugarcane cultivation) के लिए गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है । अच्छे विकास के लिए तापमान 26-32 डिग्री से.ग्रे. उत्तम होता है । खेती के लिए मध्यम से काली कछारी एवं चिकनी दोमट मिटटी डोरसा कन्हार सर्वोत्तम रहती है।

गन्ने की खेती के लिए खरीफ फसल काटने के बाद खेत की गहरी जुताई मिटटी पलटने वाले हल से करें। इसके बाद देसी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा चलाकर खेत समतल करें ।

गन्‍ना बोने का समय

Sugarcane cultivation गन्ने को अक्टूबर-नवम्बर षरद ऋतु व फरवरी मार्च बसंत ऋतु में बोया जाता है। बसंत की अपेक्षा षरदकालीन बुवाई से 20-25 उपज अधिक मिलती है।

गन्ने की उन्नत किस्में

गन्ने की फसल (Sugarcane cultivation) से भरपूर उत्पादन लेने के लिए उन्नत किस्म के बीज का प्रयोग करना जरूरी है। उन्नत किस्मों से 15-20 फीसदी अधिक उत्पादन मिलता है।

जल्द पकने वाली किस्में को.सी.-671, को.जे.एन. 86-141, को.86-572, को. 94008, को.जे.एन.9823 है. जबकि मध्यम व देर से पकने वाली किस्में- को.शा. -96275 को.शा.-97261 यू.पी-0097 ह्रदय), यू०पी०-39, को०शा०-96269 (शाहजहॉ), को.शा.- 99259 (अशोक), को.से.-1424, को.शा.-767, को.शा.-8432, को.शा.-92423, को.शा.-95422, को.शा.-97264, को.पन्त.-84212 आदि।

गन्‍ने के बीज की मात्रा व उपचार

षीघ्र पकने वाली किस्मों (Sugarcane cultivation) के लिए 70-75 क्विंटल तथा देर से पकने वाली किस्मों के लिए 60-65 क्विंटल बीज प्रति हेक्टेयर की आवष्कता होती है। जिससे 35-40 हजार तक गन्ने के टुकडे बीज बनाए जा सके । गन्ने के टुकडों को 10 मिनट तक बाविस्टन 100 ग्राम एवं मेलाथियान 300 मि.ली. को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर उपचारित करें।

गन्ने की बुवाई के लिए बेस्ट विधियां

समतल विधि :– इस विधि में 90 सेमी के अन्तराल पर 7-10 सेमी गहरा कॅूड डेल्टा हल से बनाकर बोया जाता है। यह विधि साधारण मिट्टी परिस्थितियों में उन किसानों (Sugarcane cultivation) के लिए उपयुक्त है जिनके पास सिंचाई, खाद और श्रम के साधन सामान्य हो। बुवाई के उपरान्त एक भारी पाटा लगाना चाहिए.

नाली विधि :– उस विधि में बुवाई के एक या डेढ़ माह पूर्व 90 सेमी के अंतराल पर लगभग 20-25 सेमी गहरी नालियां बना ली जाती हैं। इस प्रकार तैयार की गयी नाली में गोबर की खाद डालकर सिंचाई व गुड़ाई करके मिट्टी को अच्छी प्रकार तैयार कर लिया जाता है। जमाव के बाद फसल के क्रमिक बढ़वार के साथ मेड़ों की मिट्टी नाली में पौधे की जड़ पर गिराते जाते हैं।

जिससे अंततः नाली के स्थान पर मेड़ और मेड़ के स्थान पर नाली बन जाती है, जो सिंचाई नाली के साथ-साथ वर्षाकाल में जल निकास का कार्य भी करती है। यह विधि दोमट भूमि तथा भरपूर निवेश उपलब्धता के लिए बेहतर है। इस विधि से अपेक्षाकृत अधिक उपज होती है, लेकिन श्रम अधिक लगता है।

दोहरी पंक्ति विधि :– इस विधि में 90-90 सेमी के अन्तराल पर अच्छी प्रकार तैयार खेत में लगभग 10 सेमी गहरे कूंड बना लिये जाते हैं। यह विधि भरपूर खाद पानी की उपलब्धता में अधिक उपजाऊ भूमि के लिए बेहतर है। इस विधि से गन्ने की अधिक उपज प्राप्त होती है।

खाद एवं उर्वरक की मात्रा

सामान्य तौर पर बुवाई से पूर्व खेत में 25-30 गाडी गोबर की खाद (Sugarcane cultivation) मिला देना चाहिए। इसके अलावा 250-300 कि.ग्रा. नत्रजन 80-90 कि.ग्रा. फास्फोरस व 50-60कि.ग्रा. पोटाष/हे. की सिफारिष की जाती है।

नत्रजन की तीन बराबर भागों बोनी के 30 दिन, 90 दिन और 120 दिन बाद खेत में डाले और फसल पर मिटटी चढाए। जस्ते की कमी होने पर बुवाई के साथ 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर अवष्य डाले।

गन्‍ने में सिंचाई

गन्ने फसल (Sugarcane cultivation) को अधिक पानी की आवष्यकता होती है। फसल जमाव, कल्ले निकलने और बढवार के समय भूमि में पर्याप्त नमी होना आवष्यक है। खेत को छोटी-छोटी क्यारियों में बॉटकर सिचाई करें।

गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए यह करें

दोमट भूमि जिसमें सिंचाई (Sugarcane cultivation) की उचित व्यवस्था व जल का निकास अच्छा हो, तथा पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है। ग्रीष्म में मिट्टी पलटने वाले हल से दो बार आड़ी व खड़ी जुताई करें।

अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लें तथा पाटा चलाकर समतल कर लें। रिजर की सहायता से 3 फुट की दूरी पर नालियां बना लें।

परंतु बसंत ऋतु में लगाये जाने वाले (फरवरी-मार्च) गन्ने के लिए नालियों का अंतर 2 फुट रखें। अंतिम बखरनी के समय भूमि को लिंडेन 2% पूर्ण 10 किलो प्रति एकड़ से उपचारित अवश्य करें।

गन्ने की खेती के लिए ध्यान देने वाली जरूरी बातें..

उन्नत जाति के स्वस्थ निरोग शुद्ध बीज का ही चुनें।

गन्ना बीज की उम्र लगभग 8 माह या कम हो तो अंकुरण अच्छा होता है।

Sugarcane cultivation के लिए बीज ऐसे खेत से लें जिसमें रोग व कीट का प्रकोप न हो और जिसमें खाद पानी समुचित मात्रा में दिया जाता रहा हो।

जहां तक हो नर्म गर्म हवा उपचारित (54 से.ग्रे. एवं 85 प्रतिशत आर्द्रता पर 4 घंटे) या टिश्यू कल्चर से उत्पादित बीज का ही चयन करें।

हर 4-5 साल बाद बीज बदल दें क्योंकि समय के साथ रोग व कीट ग्रस्तता में बढ़ोतरी होती जाती है।

बीज काटने के बाद कम से कम समय में बोनी कर दें। Sugarcane Farming

👉व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

यह भी पढ़िए….👉 ग्रीष्मकालीन मूंग की ये वैरायटी किसानों को बनायेगी मालामाल, प्रति एकड़ देगी 30 क्विंटल पैदावार

👉सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को मिलेगी नई तकनीक, इस तरह 50% अधिक उत्पादन से कमा सकेंगे मोटा मुनाफा

👉 300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने वाली प्याज की सबसे अच्छी टॉप 8 किस्में

👉अनुसंधान केंद्र ने मैदानी क्षेत्रों के लिए बंपर उत्पादन देने वाली GW547 सहित 5 किस्मों को चिन्हित किया

प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.

Leave a Comment