यूपी के प्रगतिशील किसान कौशल कुमार ने गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) से ली बंपर पैदावार। आइए जानते है इनकी सफलता का राज।
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Sugarcane Cultivation | भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां लाखों किसान दिन-रात मेहनत कर अपनी जमीन से सोना उगाते हैं। लेकिन कुछ किसान अपनी सोच, मेहनत और आधुनिक तकनीकों के सहारे पारंपरिक खेती से हटकर नए आयाम स्थापित कर देते हैं।
ऐसी ही प्रेरणादायक सफलता की कहानी है कौशल कुमार की, जिन्होंने गन्ने की खेती में अपनी अलग पहचान बनाई और अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा लिया। उनकी यह यात्रा संघर्ष, सीख और नई तकनीकों के उपयोग की मिसाल है, जो हर किसान को प्रेरित कर सकती है।
गन्ने की फसल (Sugarcane Cultivation) तैयार होने में तकरीबन एक साल से अधिक का समय लगता है। लेकिन कहते हैं न कि सब्र का फल हमेशा मीठा होता है, बिल्कुल गन्ने की तरह। पैदावार अच्छी हो तो किसान के चेहरे पर खुशी साफ झलकती है।
देश में गन्ने की खेती के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश अब किसानों की नई तकनीक और मेहनत का गवाह बन रहा है। आइए जानते है प्रगतिशील किसान कुमार की गन्ना की खेती (Sugarcane Cultivation) की सफलता की कहानी…
किसान ने इस किस्म का चयन किया
शाहजहांपुर के प्रगतिशील किसान कौशल कुमार ने गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर नया कीर्तिमान रच दिया है। उन्होंने वर्ष 2023-24 में गन्ने (Sugarcane Cultivation) की सर्वाधिक पैदावार लेकर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है।
कौशल कुमार ने उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान (यूपीसीएसआर) द्वारा विकसित गन्ने की किस्म 13235 (सहज-5) का इस्तेमाल किया।
उन्होंने 5 फीट की दूरी पर 2 आंख वाले गन्ने की रोपाई की और 1.5 फीट की दूरी पर पौधे रोपे। इसके साथ ही उन्होंने अंतरफसल के रूप में शिमला मिर्च की खेती की, जिससे अतिरिक्त आमदनी हुई।
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गन्ने की खेती में कितना खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल किया ?
कौशल कुमार ने बताया कि उन्होंने Sugarcane Cultivation बुवाई से पहले खेत में ढैंचा लगाया और 200 क्विंटल गोबर की खाद डाली। उन्होंने बुवाई के समय 10 किलो ट्राइकोडरमा, 150 क्विंटल सिंगल सुपर फॉस्फेट, 25 किलो यूरिया, 25 किलो पोटाश और 10 किलो सागरिका का इस्तेमाल किया।
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उन्होंने दो बार 25 किलो यूरिया और एक बार ट्राइकोडरमा का प्रयोग किया। इन तकनीकों के इस्तेमाल से उन्हें प्रति एकड़ 1050 क्विंटल गन्ने की पैदावार मिली, जबकि राज्य में औसत पैदावार 373 क्विंटल है।
कौशल कुमार ने बताया कि वे अपने खेतों में केवल हरी खाद या गोबर की खाद का ही इस्तेमाल करते हैं। जिससे फसलों को कोई नुकसान नहीं होता और जमीन की उर्वरता भी बनी रहती है।
उन्होंने बताया कि सही तकनीक और मेहनत से गन्ना (Sugarcane Cultivation) किसान अपनी पैदावार में काफी वृद्धि कर सकते हैं और अपने गन्ने की पैदावार और मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं।
कम लागत, अधिक उपज का मंत्र
कौशल कुमार ने कहा कि उन्होंने खेती से कमाई बढ़ाने के लिए कम लागत और अधिक उपज के सिद्धांतों का पालन किया। पुराने तरीके से खेती (Sugarcane Cultivation) करने पर बीज की मात्रा प्रति एकड़ 40 क्विंटल के करीब होती है।
जबकि कौशल कुमार ने आधुनिक तकनीक से खेती करके इस मात्रा को 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक कम कर दिया है। गन्ने की पंक्तियों के बीच 5 फीट की दूरी रखी जाती है ताकि गन्ना स्वस्थ रहे और पौधे को उर्वरक भी ठीक से मिले।
ये है गन्ने की खेती से बंपर पैदावार लेने का राज
शाहजापुर जिले की रोजा गन्ना मिल के सलाहकार ओपी गुप्ता ने बताया कि कौशल कुमार ने उन्नत तकनीक और प्रगतिशील सोच का प्रयोग कर गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) में अपनी अलग पहचान बनाई है।
कौशल कुमार ने गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीक, गन्ने की बेहतर किस्म और सही समय पर गन्ने की बुवाई का प्रयोग किया, जिससे उन्हें बेहतर उत्पादन मिला।
उन्होंने बताया कि उन्होंने गन्ना बोने के लिए उचित दूरी का पालन किया, जिससे बीज की बचत हुई और पैदावार में भी वृद्धि हुई।
कौशल कुमार ने गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) में इंटरक्रॉपिंग का प्रयोग कर अतिरिक्त आय प्राप्त की और गन्ने की खेती की लागत में भी कमी आई। कौशल कुमार ने अपने खेतों में जैविक खाद और गोबर की खाद का प्रयोग किया, जिससे फसलों को कोई नुकसान नहीं हुआ और भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रही।
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