गेंहू में खरपतवार नियंत्रण के लिए बिजाई से पहले डालें यह दवाई, बंपर उत्पादन होगा

धान-गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में गुल्ली-डंडा बहुत बड़ी समस्या, गेहूं (Wheat Crop) की बिजाई के समय खरपतवारनाशी दवाओं का छिड़काव करें किसान।

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Wheat Crop | गेहूं की अगेती बिजाई 25 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी। गेहूं में खरपतवारों से बचाव के लिए, बिजाई के समय या कुछ दिन खरपतवारनाशी दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है, इसके बाद खरपतवार पर नियंत्रण रहता है व अच्छा उत्पादन होता है।

धान-गेहूं फसल चक्र वाले इलाकों में गुल्ली-डंडा (मंडूसी) की एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है, ज्यादातर जगह जंगली जई, बथुआ, मंडूसी, गजरी और कटीली पालक खरपतवार पाए जाते हैं।

गेहूं की फसल Wheat Crop में खरपतवार नियंत्रण न किया जाए तो पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। वैज्ञानिकों की सलाह से खरपतवार का नियंत्रण समय रहते कर सकते हैं।

25 अक्टूबर से पांच नंवबर तक जो भी किसान बिजाई करते हैं, इसमें खरपतवार कम होता है, इसलिए किसान गेहूं की अगेती बिजाई करें।

Wheat Crop | जीरो टिलेज मशीन से करें बिजाई

जीरो टिलेज मशीन से गेहूं की बुआई करने पर 1500 रुपए प्रति एकड़ की बचत होगी। गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस तकनीक को खेती के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है।

यदि किसान जीरो टिलेज तकनीक से गेहूं की बुआई करता है तो उसे दो फायदे लगे, पहला फायदा खेत की जुताई (कल्टीवेटर नहीं चलाना पड़ेगा), दूसरा फायदा बीज की संख्या कम लगेगी, इससे समय के साथ-साथ रुपए की भी बचत होगी।

खेत को बगैर जोते बिना बुआई का काम जीरो टिलेज सीड ड्रिल के जरिए आसानी से किया जा सकता है। इस तकनीक में पिछली Wheat Crop फसल की कटाई के बाद उसके खड़े अवशेषों या फानों को जीरो टिलेज मशीन द्वारा खेत को तैयार किए बिना ही बीजा जाता है इसलिए इसे जीरो टिलेज तकनीक या सीधी बिजाई की तकनीक कहते है।

इस विधि से समय की बचत होती है। धान कटने के तुरंत बाद गेहूं की बिजाई करने में आसानी होती है। पौधे से पौधे की दूरी सही रहने से उत्पादन बढ़ता है। जीरो टिलेज में बीजी गई गेहूं की फसल में पहली सिंचाई 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए।

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खेत में नमी की मात्रा ज्यादा रहने पर पहली सिंचाई सामान्य अनुशंसा के आधार पर ही करें। जीरो टिलेज मशीन से गेहूं Wheat Crop की बिजाई करने के लिए खेत में नमी का ध्यान रखें।

जब खेत में चलने पर पैरों के दबने के निशान बने व ट्रैक्टर चल सके तभी जीरो टिलेज मशीन से बिजाई करनी चाहिए, जीरो टिलेज से बिजाई करने से एक पानी की भी बचत होती है।

पहली सिंचाई से पहले करें दवाओं का छिड़काव

Wheat Crop | भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह छौक्कर ने बताया की किसान बिजाई के 3 दिन बाद पाईरोक्सा सल्फोन 60 ग्राम का प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी मिलाकर से छिड़काव करें। इससे मंसी, जंगली जेई व लोमड़ घास पर नियंत्रण हो जाएगा।

जो किसान बिजाई के समय स्प्रे नहीं कर पाए, वे पहला पानी से पहले इसी दवा का स्प्रे करें जो पहले पानी देने के दौरान भी स्प्रे नहीं कर पाए, वे फिर 15 दिन बाद क्लोडिनापॉप व मेट्रिब्यून का 60 जमा 210 मिश्रण का स्प्रे 120 से 150 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर कर सकते हैं। : Wheat Crop

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