रबी सीजन में सबसे अधिक रकबा गेहूं का होता है। गेहूं की खेती Wheat cultivation से सबसे अधिक लाभ कैसे दिया जाए आईए जानते हैं..
Wheat cultivation : मध्य प्रदेश पंजाब हरियाणा सहित देश के कई राज्यों में रबी सीजन के दौरान सबसे अधिक गेहूं की खेती होती है। खाद्यान्न की उपलब्धता को देखते हुए गेहूं की डिमांड लगातार भारती जा रही है इसके कारण किसानों का गेहूं की खेती के प्रति रुझान भी बढ़ता जा रहा है। किसानों के लिए सबसे सुरक्षित एवं लाभ देने वाली खेती के रूप में गेहूं की फसल स्थापित होती जा रही है।
कृषि वैज्ञानिक गेहूं की नई नई वैरायटीयों को विकसित करके गेहूं की पैदावार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के साथ किसानों को भी गेहूं की अच्छी पैदावार लेने एवं अधिक लाभ कमाने के लिए कई बातों का ध्यान रखना होगा। गेहूं की खेती Wheat cultivation के दौरान कौन-कौन सी आवश्यक बातें हैं जिनका ध्यान किसानों को रखना चाहिए, आईए कृषि विशेषज्ञों से जानते हैं..
बारिश की मेहरबानी से गेहूं का रकबा बढ़ेगा
इस वर्ष भरपूर बारिश होने के बाद अब किसानों की रबी सीजन Wheat cultivation की चिंता खत्म हो गई है। अच्छी बारिश होने से आगामी रबी सीजन में गेहूं का रकबा अधिक रहेगा। इस बार पानी अधिक और बाढ़ से सोयाबीन की पकी हुई फसल को नुकसान हो गया। गेहूं के भाव 3000 हजार रुपए पार मिलने से किसान गेहूं फसल पर ही ध्यान लगा रहे हैं।
गेहूं बीज वालों के पास बड़ी मांग आ रही है। उन्हेल क्षेत्र के किसान कमल पटेल ने बताया गेहूं उपज ही किसान को फायदा दे रही है। समर्थन दाम 2125 होने से किसान उत्साहजनक खेती करने लगे हैं। गत वर्ष सरकारी समर्थन दाम से 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल महंगा ही बिका। वहीं इस वर्ष गेहूं के दाम बढ़ाने की संभावना जताई जा रही है।
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गेहूं की यह वैरायटी अच्छा फायदा देगी
किसानों का मानना है कि लोकवन गेहूं Wheat cultivation की पैदावार अच्छी है, पानी भी कम लगता है और मार्केट में इसके भाव भी अच्छे मिलते हैं। इस वर्ष लोकवन गेहूं मंडी नीलाम में 3200 रुपए क्विंटल तक बिका। सालभर महंगे भाव गेहूं के बने रहे। किसान नेता कमल पटेल ने बताया फायदे की खेती में गेहूं नंबर वन बन रहा है। सरकार का समर्थन दाम आकर्षक होने के बाद भी खुले बाजार में 200 रुपए क्विंटल गेहूं महंगा ही बिका।
इधर कारोबारी अमर अग्रवाल ने कहा नई गेहूं की उपज के बारे में कहना जल्दबाजी होगा लेकिन लोकवन गेहूं टॉप मोस्ट क्वालिटी होने से इसके भाव ऊंचे ही बने रहते हैं। ऊंचे भाव की मांग देशभर से आती है।
किसान करणसिंह पटेल की माने तो मार्केट में लोकवन गेहूं की मांग ज्यादा होती है और भाव भी अच्छे मिलते हैं। अब किसान वर्ग लोकवन की नई क्वालिटी तलाश कर खेतों में डालेंगे। ग्राहकों को महंगा गेहूं खरीदना पड़ा मार्केट में ग्राहकों को सालभर महंगे भाव का गेहूं खरीदना पड़ा।
इस साल गेहूं विदेश नहीं भेजा लेकिन प्राइवेट में स्टॉक रिकॉर्ड होने से सस्ते भाव का सुख ग्राहकों को नहीं मिल पाया। लेकिन आने वाले गेहूं के सीजन के पहले गेहूं के भाव बढ़ाने की संभावना है, वहीं सीजन के दौरान मिलने के असर अभी से बने हुए हैं। Wheat cultivation
गर्मी झेल सकने वाली गेहूं की किस्मों का बढ़ेगा रकबा
अल नीनो जैसी परिस्थितियों के बीच सरकार ने अगले महीने से शुरू होने वाले रबी सीजन में गेहूं की बुवाई Wheat cultivation के कुल रकबे के 60% हिस्से में जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों की खेती करने का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बावजूद 2023-24 के रबी सीजन में 11.4 करोड़ टन की रिकॉर्ड गेहूं पैदावार का लक्ष्य रखा है। एक साल पहले की समान अवधि में गेहूं का वास्तविक उत्पादन 11.27 करोड़ टन रहा था। रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और इसकी कटाई मार्च और अप्रैल में होती है।
सरकार ने 2021 में जल्द गर्मी आने से गेहूं की पैदावार Wheat cultivation पर पड़े असर को देखते हुए 2022 में किसानों को 47% गेहूं रकबे में गर्मी को झेल पाने वाली किस्मों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। देश में गेहूं की पैदावार का कुल रकबा 3 करोड़ हेक्टेयर है। प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में 800 से अधिक जलवायु-प्रतिरोधी किस्में उपलब्ध हैं। इन बीजों को ‘सीड रोलिंग’ योजना के तहत सीड चेन में डालने की जरूरत है।
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गेहूँ की बुआई कब करना चाहिए
गेहूं की अगेती (अक्टूबर) बुआई Wheat cultivation को अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक बुआई के रूप में परिभाषित किया गया है। उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में किसान अपने गेहूं को गर्मी के तनाव से बचाने और धान की फसल के बाद भी मिट्टी की नमी का उपयोग करके उत्पादन बनाए रखने के लिए सामान्य (नवंबर) की तुलना में बहुत पहले (अक्टूबर) गेहूं की बुआई Wheat cultivation करते हैं।
इसके अतिरिक्त, यदि भूजल स्तर में गिरावट की दर मौजूदा गति से जारी रही, तो इसका किसानों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। गेहूं उन प्रमुख फसलों में से एक है जो सबसे कम गर्मी सहन करती है। एक अध्ययन के अनुसार, उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान में तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से गेहूं की पैदावार 3 से 17 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
किसान शुरुआती बुआई Wheat cultivation के दौरान बची हुई नमी का उपयोग करके सिंचाई की बचत कर सकते हैं, जिससे पानी की उत्पादकता बढ़ती है – खासकर जब अन्य कृषि तकनीकों के साथ संयोजन में उपयोग किया जाता है।
अब तक विकसित की गई किस्म सामान्यतः समय पर बुआई के लिए है। वैज्ञानिकों ने अग्रिम बुआई के लिए नई किस्में विकसित की हैं, जिन्हें किसान उगाकर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। नई किस्में शुरुआती और देर के मौसम के गर्म तापमान को सहन करती हैं।
इसलिए यह अनुमान लगाया गया है कि शुरुआती गर्मी सहन करने वाली गेहूं की किस्मों की उपलब्धता से किसानों को समग्र रूप से और पर्यावरणीय स्थिरता में लाभ होगा। जल्दी बुआई के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले जीनोटाइप को शुरुआती गर्मी सहनशीलता के लिए प्रजनन बढ़ाने के लिए एक व्यवस्थित क्रॉसिंग कार्यक्रम में नियोजित किया जा सकता है। Wheat cultivation
खेत का चयन एवं भूमि की तैयारी
गेहूं की खेती Wheat cultivation के लिए समतल उपजाऊ मिट्टी, इष्टतम क्षेत्र की स्थिति के लिए खेत की क्षमता पर डिस्क हैरो, टिलर और लेवलर से जुताई के बाद बुआई से पहले सिंचाई।
बीज उपचार करना बहुत जरूरी
गेहूं को बोने Wheat cultivation के पहले विजय उपचार करना बहुत जरूरी है विजय उपचार करने के लिए वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5% + थीरम 37.5%) @ 2-3 ग्राम/किग्रा बीज का इस्तेमाल करना चाहिए।
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गेहूं की यह किस्में अच्छी पैदावार देगी
- जी डब्ल्यू-513
- डीबीडब्ल्यू 187
- डब्ल्यूएच 1270
- डीबीडब्ल्यू 303
- डीबीडब्ल्यू 327
- डीबीडब्ल्यू 332 (करण आदित्य)
- गेहूँ जी डब्ल्यू-173
- गेहुँ एच. आई. -1500 (अमृता)
- गेहूँ सी.-306
- गेहूँ सुजाता
- गेहूँ एच.आई.-1531 (हर्षिता)
- गेहूँ एच.आई.-1605 (पूसा उजाला)
- गेहूँ एच.आई.-1544 (पूर्णा)
- गेहूँ -एच.आई. 1418 (नवीन चंदोसी)
- गेहूँ राज-4037
- गेहूँ गुण के कारण जी.डब्ल्यू-322
- गेहूं जी.डब्ल्यू.- 451
- गेहूँ एच.आई.-8498 (मालव शक्ति)
- गेहूँ एच.आई.-8663 (पोषण)
- गेहूँ एच.आई.-8713 (पूसा मंगल)
- गेहू एच.आई.-8737 (पूसा अनमोल)
- गेहूँ एच. डी. -4728 (पूसा मालवी)
- गेहूँ एच.आई.-8759 (पूसा तेजस)
- गेहूँ जी डब्ल्यू-173
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बुआई का समय : 20 अक्टूबर – 5 नवंबर।
बीज दर/बुवाई विधि : 100 किग्रा/हे. पंक्तियों के बीच 20 सेमी की दूरी रखते हुए पंक्ति में बुआई करें।
सिंचाई : 4-6 सिंचाई. पहले 20-25 दिन पर और उसके बाद 20 दिन के अंतराल पर। Wheat cultivation
खाद एवं उर्वरक की यह मात्र देना चाहिए
सर्वोत्तम प्रदर्शन 225:90:60 किलोग्राम/हेक्टेयर एन:पी:के के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है। + एफवाईएम @ 15 टन/हेक्टेयर।
एनडब्ल्यूपीजेड में उच्च उर्वरता वाली मिट्टी के लिए 150:60:40 (एन:पी:के) किलोग्राम/हेक्टेयर। Wheat cultivation
प्रथम नोड और फ्लैग लीफ पर क्लोरमेक्वाट क्लोराइड (लिहोसिन) @ 0.2% + टेबुकोनाज़ोल (फोलिकुर 430 एससी) @ 0.1% वाणिज्यिक उत्पाद खुराक (टैंक मिश्रण अनुप्रयोग) जीनोटाइप प्रतिक्रिया उच्चतम थी। Wheat cultivation
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खरपतवार नियंत्रण के लिए यह करें
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए 2,4-डी @500 ग्राम/हेक्टेयर या मेटासल्फ्रोन @4 ग्राम/हेक्टेयर या कारफेंट्रानज़ोन @20 ग्राम/हेक्टेयर का लगभग 250 लीटर पानी/हेक्टेयर का उपयोग करके छिड़काव किया जा सकता है।
घास के नियंत्रण के लिए आइसोप्रट्रॉन @1000 ग्राम/क्लोडिनाफॉप @60 ग्राम/फेनोक्साप्रॉप @100 ग्राम/सल्फोसल्फ्रोन @25 ग्राम/हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए। आइसोप्रोट्यूरॉन प्रतिरोधी पी. मामूली संक्रमित क्षेत्रों में क्लोडिनाफॉप या फेनोक्साप्रॉप या सल्फोसल्फ्यूरॉन का उपयोग किया जा सकता है।
जटिल खरपतवार वनस्पतियों के नियंत्रण के लिए 2,4-डी/मेटसल्फ्यूरॉन के साथ आइसोप्रुट्यूरॉन या मेटसल्फ्यूरॉन के साथ सल्फोसल्फ्यूरॉन का संयोजन 30-35 डीएएस पर पर्याप्त मिट्टी की नमी पर लगाया जा सकता है।
कीट एवं रोग नियंत्रण यह करें
किस्में धारी, पत्ती और तने के जंग और अन्य बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी हैं। हालाँकि, जंग, करनाल बंट और ख़स्ता फफूंदी के नियंत्रण के लिए, 15 दिनों के अंतराल पर रोग दिखाई देने के बाद दो बार पर्ण स्प्रे के रूप में प्रोपिकोनाज़ोल/ ट्रायडेमेफ़ोन / टेबुकानाज़ोल @ 0.1% (1 मिली / लीटर) डालें।
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