गेहूं की फसल में अधिक कल्ले एवं फूटाव के लिए क्या करना चाहिए कृषि विशेषज्ञों से जानिए..

गेहूं Wheat में अधिक कल्ले बनाने एवं अधिक फूटाव के लिए यह करें Wheat farming advise…

Wheat farming advise : रबी सीजन में गेहूं की खेती अधिक होती है। गेहूं का भाव अच्छा होने के कारण किसानों का गेहूं की खेती के प्रति रुझान बड़ा है। गेहूं की फसल इस समय अच्छी स्थिति में है। लेकिन कई किसानों की समस्या है कि गेहूं में खाद एवं सिंचाई समय पर करने के बाद भी गेहूं के कल्ले नहीं बन रहे हैं एवं फूटाव भी नहीं हो रहा है। किसान साथी बताते हैं कि गेहूं में सब कुछ डालने के बाद भी कल्ले नहीं बन रहे हैं। गेहूं में कल्ले नहीं बनने एवं फूटाव नहीं होने के कारण गेहूं की पैदावार पर प्रभाव पड़ेगा। आईए कृषि विशेषज्ञों से इस समस्या का समाधान जानते हैं..

 

गेहूं की फसल के लिए यह जरूरी Wheat farming advise

गेहूं में अधिक पैदावार लेने के लिए हमें उसमें उर्वरकों के साथ-साथ न्यूट्रिशन का प्रयोग करना पड़ता है। इसके अलावा समय पर सिंचाई करना अति आवश्यक है। जिससे उसमें कल्लों का फुटाव और बढ़वार भी अधिक हो। खादों और न्यूट्रिशन को समय पर प्रयोग करना भी उतना ही आवश्यक होता है। जितना कि उन्हें खेत में डालना।

अगर आप समय पर खादों और न्यूट्रिशन का प्रयोग नहीं करोगे। तो आप तो वह पूरी तरह से आपके खेत में कार्य नहीं करेंगे। लेकिन अगर यह सब करने के बाद भी आपकी गेहूं की फसल में कल्लों का फुटाव ना हो, तो इसके लिए आप उसमें नीचे बताई गई कुछ कार्य कर सकते हैं। जिससे उसमें कल्लों का फुटाव अधिक मात्रा में होगा।

गेहूं की फसल में अच्छे कल्लों एवं फुटाव के लिए यह करें

किसान साथी जब आप गेहूं की फसल Wheat farming advise में जिंक, सल्फर, मैग्नीशियम या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग कर लेते हो। लेकिन उसके बाद भी आपकी फसल में कुछ खास तरह की ग्रोथ देखने को नहीं मिलती। तो इसका मुख्य कारण होता है, कि आपके खेत में ऑर्गेनिक कार्बन की कमी होती है। ऑर्गेनिक कार्बन जमीन में पड़े तत्वों को पौधे तक पहुंचाने का काम करता है। इसके लिए आप कुछ नीचे बताए गए काम कर सकते हैं।

गेहूं में मैग्नीशियम का प्रयोग करें

Wheat farming advise कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि गेहूं अगर कल्ले नहीं बन रहे, तो उसमें आप कैल्शियम नाइट्रेट का प्रयोग कर सकते हैं। कैल्शियम की कमी होने से भी पौधे जमीन से पोषक तत्वों को नहीं ले पाते और कल्लों का फुटाव अच्छे से नहीं होता। इसलिए आप गेहूं की फसल में 10 किलोग्राम कैल्शियम नाइट्रेट प्रति एकड़ प्रयोग करें। इसके साथ-साथ यह ध्यान रखें की खेत में वर्ष में एक बार गोबर की गली सड़ी खाद या फिर वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग अवश्य करें।

गेहूं की फसल में आप ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाने के लिए वर्मी कम्पोस्ट, ह्यूमिक एसिड या फिर सीवीड जो सागरिका के नाम से बाजार में आता है। उसका प्रयोग कर सकते हैं। यह आपके जमीन में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा को बढ़ाते हैं। और जमीन में पड़े तत्वों को पौधे तक पहुंचाने का काम करते हैं।

कृषि विशेषज्ञों Wheat farming advise के अनुसार कल्लों के फुटाव के लिए आप अपने गेहूं की फसल में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स का स्प्रे भी कर सकते हैं। इसके लिए आप चेल्टेड जिंक 100 ग्राम, मैग्नीशियम सल्फेट 1 किलोग्राम, मैंगनीज सल्फेट 500 ग्राम, यूरिया 1 किलोग्राम।, बोरोन 100 ग्राम को प्रति 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ स्प्रे कर सकते हैं।

जिंक एवं सल्फर का प्रयोग

Wheat farming advise किसी भी फसल में जिंक और सल्फर का काफी ज्यादा महत्व रहता है। दोनों का आपस के अंदर एक गहरा संबंध रहता है। अगर आप जिंक प्रयोग कर रहे हो और उसके साथ अपने सल्फर का प्रयोग नहीं किया। तो आपकी जिंक पौधे को नहीं लगेगी। इसका मुख्य कारण क्या होता है, आगे इस लेख में संपूर्ण जाने की जिंक और सल्फर का आपस में क्या संबंध है। और यह हमारी फसलों के लिए किस प्रकार से लाभदायक हैं।

जिन खेतों में मिट्टी का पीएच 8 से ऊपर होता है। उन खेतों में आपकी जिंक मात्र 15 से 20% तक ही कार्य करती है। अगर आपकी मिट्टी का पीएच लेवल 5 से 7.5 के बीच है। तो जिंक की आपको अच्छे रिजल्ट देखने को मिलेंगे और आपके खेत में जिंक लगभग 60 से 70% तक कार्य करेगी। जिंक का प्रयोग मिटटी के हिसाब से करना चाहिए।

जिंक और सल्फर का एक साथ करें

Wheat farming advise सल्फर के बिना जिंक कभी नहीं बनती, बाजार में जब भी आप कोई जिंक प्रोडक्ट देखते हो, तो उसमें सल्फर की मात्रा पाई ही जाती है। इसका मुख्य कारण है, की सल्फर आपकी मिट्टी के पीएच लेवल को कम कर देती है। जिससे जिंक आपके पौधों को पूरी तरह से मिल जाती है। क्योंकि अधिक pH वाली मिट्टी में जिंक कम मात्रा में घूमती है। और पौधा उसे सही से नहीं उठा पाता। जिससे किसानों को जिंक का पूरा लाभ नहीं मिलता। इसलिए कई बार जिंक डालने के बाद भी खेतों में जिंक की कमी पूरी नहीं होती।

जब भी आप जिंक का प्रयोग करते हैं। तो उसके साथ 3 किलोग्राम पाउडर वाली या फिर 10 किलोग्राम दानेदार सल्फर का प्रयोग अवश्य करें। जिससे आपको जिंक का पूरा लाभ मिल सके। जिंक पौधे के हरे भाग को बढ़ाता है, और सल्फर पौधे में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है। जिससे आपको इसके पौधे पर अधिक अच्छे रिजल्ट देखने को मिलते हैं। अगर आपकी मिटटी का ph लेवल सही है, तो आप बिना सल्फर के भी जिंक का प्रयोग कर सकते हो।Wheat farming advise सल्फर और जिंक मिलाने से पौधा जिंक को जल्दी उठा लेता है। जिससे जिंक का किसानों को पूरा रिजल्ट मिलता है।

गेहूं में मैग्नीशियम का प्रयोग

Wheat farming advise गेहूं में मैग्नीशियम का प्रयोग करें या ना करें काफी किसान इस दुविधा में रहते है। और वह मैग्नीशियम को छोड़ कर अन्य ग्रोथ प्रमोटर दवाइयों का इस्तेमाल करते है।

जैसे पौधों Wheat farming advise को जिंक और सल्फर की आवश्यकता होती है। वैसे ही मैग्नीशियम की आवश्यकता भी पड़ती है। मैग्नीशियम सेकेंडरी न्यूट्रिएंट्स में आता है। भले ही इसकी पौधे को कम मात्रा में आवश्यकता में जरूरत पड़ती हो, लेकिन यह फसल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

गेहूं की फसल को बेहतर बनाता है मैग्नीशियम

Wheat farming advise फसल में कल्लों के फुटाव से लेकर हरापन लाने तक के बहुत सारे काम में मैग्नीशियम के द्वारा किए जाते हैं। मैग्नीशियम आपको बाजार में मैग्नीशियम सल्फेट के नाम से देखने को मिलता है। इसमें मैग्नीशियम और सल्फर पाए जाते हैं। इसमें मैग्नीशियम की मात्रा 9.5% और सल्फर की मात्रा 12% पाई जाती है। मैग्नीशियम की कमी के लक्षण और इसको कब और कितनी मात्रा में प्रयोग करना चाहिए, यह सब जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।

गेहूं में मैग्नीशियम की कमी आपको हमेशा नीचे वाले पत्तों में देखने को मिलेगी। इसकी कमी से नीचे वाले पत्ते हल्के पीले रंग के नजर आएंगे। इसका मुख्य कारण है, कि मैग्नीशियम पौधे में सक्रिय रहता है। यह Wheat farming advise में नीचे से ऊपर की ओर जाता है। इसलिए ऊपर के पत्तों में मैग्नीशियम की कमी देखने को नहीं मिलती। क्योंकि वह नीचे वाले पत्तों से मैग्नीशियम को खींच लेते हैं।

गेहूं में मैग्नीशियम के कार्य

Wheat farming advise मैग्नीशियम प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ाने में पौधे की मदद करता है। जिससे पौधे में हरापन आता है। यह फास्फोरस को सक्रिय करने की भूमिका निभाता है। फास्फोरस पौधे में एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी तक पहुंचाने में महत्वूर्ण भूमिका निभाता है।

मैग्नीशियम कल्लों के फुटाव में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि यह जमीन में पड़े तत्वों को पौधे तक पहुंचाने का काम करता है। Wheat farming advise मैग्नीशियम का प्रयोग करने से आपके खेत में सल्फर की कमी भी कुछ मात्रा में पूरी हो जाती है। क्यूंकि इसमें सल्फर भी पायी जाती है।

गेहूं में मैग्नीशियम की मात्रा

Wheat farming advise मैग्नीशियम का प्रयोग आपको मिट्टी की जांच करके ही करना चाहिए। जितनी मात्रा वैज्ञानिकों द्वारा मिट्टी की जांच में बताया जाता है। उतना ही प्रयोग करें। लेकिन आमतौर पर 6 से कम ph वाली मिट्टी में मैग्नीशियम की कमी पाई जाती है।

Wheat farming advise मैग्नीशियम का प्रयोग हम मिट्टी में और स्प्रे द्वारा सीधा पौधे में दोनों प्रकार से प्रयोग कर सकते हैं। अगर आप मिट्टी में मैग्नीशियम सलफेट का प्रयोग करना चाहते हैं। तो आपको 10 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करनी है। अगर आप स्प्रे में मैग्नीशियम का प्रयोग करते हैं। तो आपको 1 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग करनी चाहिए। मैग्नीशियम को आप यूरिया और अन्य खादों के साथ मिलकर भी प्रयोग कर सकते है।

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