1987 में गेहूं के भाव Wheat price का बिल सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जानिए पहले एवं अभी के भाव..
Wheat price | 36 साल अर्थात 1987 के दरमियान गेहूं की खेती बहुत कम रकबे में होती थी। उस समय की तुलना में अब गेहूं की खेती बड़े रकबे में होती है। ऐसे में गेहूं के भाव का 1987 का बिल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 1987 की तुलना में गेहूं के भाव में अब तक कई गुना बढ़ोतरी हो चुकी है। गेहूं का वर्तमान समर्थन मूल्य पिछले वर्ष 2125 रुपए प्रति क्विंटल था। जिसे केंद्र सरकार ने इस वर्ष बढ़ा दिया है।
इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 150 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,275 रुपए क्विंटल Wheat price कर दिया है। लेकिन खास बात यह है कि यह बढ़ोतरी सोना, चांदी एवं अन्य आम उत्पादों की तुलना में बहुत कम है। चौपाल समाचार की इस खबर में आईए जानते हैं कि 1987 के वायरल बिल में गेहूं का भाव क्या था एवं वर्तमान में गेहूं की खेती एवं भाव की क्या स्थिति है..
यह थे 1987 में गेहूं के भाव
गेहूं के भाव Wheat price का एक बिल सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है सोशल मीडिया पर वायरल इस बिल में गेहूं के भाव 1987 के दौरान 164 रुपए प्रति क्विंटल थे। इसके बाद से लेकर अब तक गेहूं के भाव में कई उतार-चढ़ाव आए एवं अब सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य Wheat price वो गारंटेड मूल्य है जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हो। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।
सरकार हर फसल सीजन से पहले CACP यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइजेस की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम Wheat price होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतों में गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।
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यह है गेहूं की फसल की वर्तमान स्थिति
रूस एवं यूक्रेन मध्य 24 फरवरी 2022 से युद्ध चल रहा है जिसके कारण वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया है इधर 2022 में हमारे देश से गेहूं Wheat price का निर्यात अधिक हुआ, जबकि जिसकी तुलना में पैदावार कम। जिसके चलते अब हमारा देश खाद्यान्न, दलहन संकट के दौर से गुजर रहा है। दूसरी और मौसम का मिजाज भी ठीक नहीं लग रहा है। रबी की फसलों को पानी के साथ ठंडा मौसम भी चाहिए।
गेहूं-चने Wheat price का विकास ठंडे मौसम में होता है। यदि तापमान अधिक रहा तब गेहूं-चने की क्वालिटी हल्की बैठने के साथ कुल उत्पादकता पर बढ़ा फर्क पड़ सकता है। अल नीनो का प्रभाव मई तक बताया जा रहा है। जनवरी से मार्च तक दोनों जिंसों को ठंडा मौसम की आवश्यकता होती है।
इन महीनों में मौसम गरम रहा तब उत्पादन में बड़ी गिरावट से इंकार नहीं किया जा सकता है। संभवतः कई वर्षों बाद खाद्य निगम में गेहूं का स्टॉक निचले स्तर पर पहुंच गया है। अभी तक गेहूं- चने की बोवनी तेज गति से हो रही है।
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गेहूं की फसल रिकॉर्ड उतरेगी ऐसी आशा करना सही नहीं
ऐसी चर्चा है कि इस माह के अंत तक गेहूं का स्टॉक Wheat price 231.66 लाख टन रह सकता है। लोकसभा चुनाव के पूर्व गेहूं की नई फसल आने वाली नहीं है। मंडियों में आवक दम तोड़ती नजर आ रही है। गेहूं का कोटा 100 टन की बजाय 200 टन किया जा सकता है। इससे भी कोई लाभ नहीं होगा।
चर्चा यह है कि मिलों के मुनाफे में जरूर वृद्धि हो जाएगी। इस वर्ष गेहूंकी बोवनी पिछले वर्षों के समान हो जाएगी, उसमें भी शंका- आशंका रखी जाने लगी है, क्योंकि अल नीनो का प्रभाव कैसा रहेगा, इसका आंकलन करना कठिन है। गेहूं को ठंडा मौसम चाहिए।
राजस्थान में गेहूं का रकबा बढ़ा, सरसों का कम हुआ
राजस्थान में चालू रबी सीजन के दौरान सरसों एवं जौ की बोवनी कुछ कम होने की संभावना है। वहीं, गेहूं और चने Wheat price का क्षेत्रफल बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। पूर्व में राजस्थान में चने का रकबा घटने की खबर चल रही थी। लम्बे समय से राजस्थान में अच्छी वर्षा नहीं हुई है, लेकिन खेतों की मिट्टी में नमी का अंश मौजूद है और मौसम भी ठंडा होने लगा है।
इससे विभिन्न रबी फसलों की बोवनी की रफ्तार बढ़ने लगी है। इधर, राजस्थान में गेहूं की फसल को लेकर किसानों का रुझान बड़ा है। किसानों को काफी लाभप्रद वापसी हासिल हो रही है और इसलिए वे इसका रकबा बढ़ाने का जोरदार प्रयास कर रहे हैं। इस वर्ष रबी सीजन के दौरान राजस्थान में गेहूं का रकबा बड़ा है।
गेहूं के वर्तमान भाव
Wheat price गेहूं लोकवन 3300 रुपए, पोषक 2670 रूपए, गेहूं पूर्णा 3148 रूपए प्रति क्विंटल रहा।
(नोट :–यह भाव दिनांक 9 नवंबर 2023 के इंदौर मंडी के हैं।)
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