गेंहू में नजर आ रहा है पीलापन? पीलापन से घटेगी पौधे की बड़वार, रोकथाम के लिए डालें यह खाद…

गेंहू की फसल में सिंचाई या ज्यादा कोहरे के बाद पीलापन (Yellowing of Wheat) आने लगता है। आइए जानते है इसके कारण एवं प्रबंधन के बारे में।

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Yellowing of Wheat | कई बार गेंहू की फसल में सिंचाई के बाद पौधे में पीलापन दिखने लगता है। फसल में पीलापन होने पौधे की बढ़वार प्रभावित होती है।

और इसका असर कल्ले निकलने पर, साथ ही पौधे की ऊंचाई एवं गेंहू की बाली पर असर पड़ता है। जिससे गेंहू की उपज पर असर देखने को मिलता है।

गेहूं की फसल में पीलापन एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है, जो अगर समय पर नियंत्रित न की जाए तो उपज पर गहरा असर डाल सकती है। बता दे की, गेंहू में जितना पीलापन रहेगा, उतना ही वह फसल को नुकसान पहुंचाएगा।

यदि आपकी फसल में पीलापन (Yellowness in wheat) देखने को मिलता है, तो इसका कारण क्या है? एवं बचाव के लिए किसान भाई क्या-क्या उपाय कर सकते है? आज हम चौपाल समाचार के इस आर्टिकल के माध्यम से सारी बात स्पष्ट करेंगे…

सिंचाई के बाद गेंहू में पीलापन आने का मुख्य कारण

Yellowing of Wheat | गेंहू ने पीलापन होने का मुख्य कारण है फसल में बहुत ज्यादा सिंचाई देना। भारी या कठोर मिट्टी में पहली, दूसरी सिंचाई के दौरान ज्यादा पानी धीरे-धीरे नीचे जाता है।

जब मिट्टी पानी सोखती है, तब पानी ज्यादा गहराई में नही जा पाता है। ऐसे में पानी मिट्टी के कणों के साथ बंधा रहता है। जबकि, हल्की मिट्टी में पानी गहराई में चला जाता है।

कठोर मिट्टी में ज्यादा सिंचाई करने से पानी जड़ क्षेत्र में इकठ्ठा हो जाता है और अगर पानी जड़ क्षेत्र में रहेगा तो वहां की वायु निकल जायेगी। जिससे की जड़ों को हवा नहीं मिलेगी और ठंड में वाष्पीकरण होना कठिन हो जायेगा। : Yellowing of Wheat

इसके साथ ही पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित हो जायेगी और कुल मिलाकर पौधे में पीलापन आने के कारण पौधे की बड़वार रुक जायेगी।

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Yellowing of Wheat | सिंचाई के बाद गेंहू में पीलेपन के बचाव के उपाय 

पहला उपाय :- गेंहू में पीलेपन से बचने के oलिए प्रारंभिक उपाय यह करें की, गेंहू की बुवाई के पहले कठोर मिट्टी / भारी मिट्टी में जैविक पदार्थ का इस्तेमाल कर सकते है।

दूसरा उपाय :- पौधे की आवश्यकता के अनुसार पहली, दूसरी सिंचाई के दौरान पानी कम लगाना चाहिए। चाहे हल्की मिट्टी हो या भारी, दोनों प्रकार की मिट्टियों में कम सिंचाई करनी चाहिए। ज्यादातर किसान भाई गेंहू में सतही सिंचाई (क्यारी विधि) से पानी देते है। ऐसे में यदि भारी मिट्टी है तो, उसके लिए कम क्यारी बनाए और यदि हल्की मिट्टी है तो, उसके लिए ज्यादा क्यारियां बना सकते है। : Yellowing of Wheat

गेंहू में यदि पीलापन आ गया है तो, इसके लिए किसान भाई पानी के वाष्पित होने का इंतजार करें। गेंहू में पीलापन आने का मुख्य कारण रहता है की, पौधे में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है। ऐसे में किसान भाई 15 से 20 किलोग्राम प्रति एकड़ यूरिया का छिड़काव कर सकते है। यूरिया नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर देगा।

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कोहरे की वजह से भी आता है पीलापन

Yellowing of Wheat | कृषि विशेषज्ञ डा.एलसी वर्मा का कहना है की, गेहूं का पीलापन दो प्रकार का होता है। इसमें कई बार केवल पत्ते ही पीले होते हैं। यह रोग ठंड व कोहरे के कारण होता है, जबकि गेहूं के पत्तों में हाथ लगाने से पीला पाउडर हाथ में लगना शुरू हो जाए, तो यह फसलों के लिए गंभीर हो सकता है।

सस्य वैज्ञानिक डा. अंगद प्रसाद ने कहा कि गेहूं के पत्ते में ठंड व कोहरे से आया पीलापन तेज धूप से दूर हो जाता है। उन्होंने किसानों को फसलों में फसलों में यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक किसानों को गेहूं की फसल पर यूरिया के साथ जिंक सल्फेट का छिड़काव करने को कहा है।

इसके लिए प्रति एकड़ में बुआई के समय दस किलो ज़िंक डालनी चाहिए। फिलहाल आधा किलो ज़िंक व ढाई किलो यूरिया के घोल को 100 लीटर पानी में डालकर मशीन से गेहूं की फसल पर छिड़काव करना चाहिए। इससे पीली पत्ती का पीलापन खत्म हो जाएगा। : Yellowing of Wheat

गेहूं की फसल में पीलापन रोकने के आसान उपाय

यह समस्या खासकर नाइट्रोजन की कमी, असंतुलित उर्वरक उपयोग या मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होती है। आईसीएआर- भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने इस समस्या से निपटने के लिए कुछ सरल और प्रभावी उपाय सुझाए हैं, जो किसानों को फसल में पीलापन की समस्या को रोकने में मदद कर सकते हैं।

इन उपायों को अपनाकर किसान अपनी गेहूं की फसल को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं, जिससे उपज में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। : Yellowing of Wheat

पीला रतुआ रोग नियंत्रण

गेहूं की फसल में पीला रतुआ एक प्रमुख रोग है, जो उत्तर पश्चिमी मैदानी और उत्तरी पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है। इस रोग की पहचान पीले रंग के पाउडर से होती है, जो छूने पर उंगलियों और कपड़ों पर लग जाता है।

इस रोग के लक्षण दिखने पर नजदीकी आईसीएआर संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय, राज्य कृषि विभाग या केवीके के विशेषज्ञ से संपर्क कर इसकी पहचान सुनिश्चित करें। : Yellowing of Wheat

इसके बाद प्रभावित क्षेत्रों में अनुशंसित कवकनाशकों जैसे प्रोपिकोनाजोल @ 0.1% या टेबुकोनाजोल 50% + ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% @ 0.06% का छिड़काव करें।

आवश्यकता पड़ने पर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव दोहराएं। इन उपायों से पीले रतुआ रोग के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है और फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है।

गेंहू की फसल के लिए सामान्य सुझाव

पीलापन रोकथाम: यदि फसल में पीलापन हो, तो नाइट्रोजन (यूरिया) का अधिक उपयोग न करें। कोहरे या बादलों की स्थिति में नाइट्रोजन के उपयोग से बचें। : Yellowing of Wheat

उपयुक्त किस्मों का चयन: अपने क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार, देर से बुवाई में उपयुक्त किस्मों का चयन करें।

क्षेत्रीय उपयुक्तता: अन्य क्षेत्रों की किस्में लगाने से बचें क्योंकि ये स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं होतीं।

संतुलित इनपुट का उपयोग: अधिकतम उपज के लिए उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का विवेकपूर्ण उपयोग करें।

पानी की बचत: खेतों में समय पर और विवेकपूर्ण सिंचाई करें, जिससे पानी की बर्बादी रोकी जा सके। : Yellowing of Wheat

मौसम पूर्वानुमान का ध्यान रखें: सिंचाई से पहले बारिश की संभावना को अवश्य जांचें ताकि जलभराव की समस्या न हो।

फसल अवशेष प्रबंधन: खेतों में फसल अवशेष जलाने से बचें। इन्हें मिट्टी में मिला देना या सतह पर छोड़ देना बेहतर है। मिट्टी की सतह पर फसल अवशेषों की उपस्थिति में, गेहूं की बुवाई के लिए हैप्पी सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग किया जा सकता है।

यूरिया का उपयोग: सिंचाई से ठीक पहले यूरिया का टॉप ड्रेसिंग करें। : Yellowing of Wheat

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