आगामी रबी सीजन के पहले यूरिया को लेकर किसानों के लिए जरूरी खबर, डिटेल जानिए..

सरकार नैनो यूरिया एवं नैनो DAP को बढ़ावा देगी, दानेदार यूरिया Urea fertilizer को लेकर यह फैसला करेगी..

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Urea fertilizer | देश में कुछ सालों से उत्पादन बढ़ाने के लिए बेतहाशा ढंग से उर्वरकों का इस्तेमाल हो रहा है, इनमें सबसे अधिक दानेदार यूरिया का इस्तेमाल होता है। यूरिया के अधिक इस्तेमाल के कारण खेती पर विपरीत असर पड़ा है, इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम हुई है, वहीं पर्यावरण को भी खासा नुकसान पहुंचा है। कई क्षेत्रों में अत्यधिक प्रयोग के कारण खेती बंजर भूमि में तब्दील होने लगी है।

यही कारण है कि सरकार अब दानेदार यूरिया के प्रयोग को लेकर बड़ा फैसला करने वाली है। इसके पहले नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी को बढ़ावा दिया जा रहा है। आगामी रबी सीजन के पहले उड़िया की खपत यूरिया की खपत कम की जाएगी वही 2025 में दानेदार Urea fertilizer को लेकर बड़ा फैसला होने वाला है आईए जानते हैं पूरी डिटेल..

नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी को बढ़ावा देगी सरकार

वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग फसल और मिट्टी की गुणवत्ता के लिए अच्छा है, सरकार अब इसे बढ़ावा दे रहे हैं। रसायन व उर्वरक मंत्रालय के मुताबिक भारत 2025 के अंत तक यूरिया Urea fertilizer का आयात (Urea Import) बंद कर देगा। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू विनिर्माण पर बड़े पैमाने पर जोर देने से आपूर्ति और मांग के बीच अंतर को पाटने में मदद मिली है।

उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीयों के मुताबिक देश पिछले 60-65 साल से फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहा है। अब सरकार नैनो लिक्विड यूरिया (Nano Liquid Urea) और नैनो लिक्विड डाई-अमोनियम फॉस्फेट (Nano DAP) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। बताया जा रहा है कि सरकार ने यूरिया Urea fertilizer आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनाई है।

यूरिया का आयत बंद किया जाएगा

भारत को सालाना करीब 350 लाख टन यूरिया Urea fertilizer की जरूरत होती है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार भारत में यूरिया की उत्पादन क्षमता 2014-15 में 225 लाख टन से बढ़कर अब करीब 310 लाख टन हो गई है। वर्तमान में वार्षिक घरेलू उत्पादन और मांग के बीच का अंतर करीब 40 लाख टन है।

सरकार ने चार बंद यूरिया प्लांट्स को फिर शुरू किया है और एक अन्य कारखाने को वापस चालू करने का काम जारी है। यूरिया के पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया Urea fertilizer की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता करीब 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी। 20-25 लाख टन पारंपरिक यूरिया के इस्तेमाल को नैनो लिक्विड यूरिया (Nano Liquid Urea) से बदलने का लक्ष्य भी है। सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि 2025 के अंत तक यूरिया के लिए देश की आयात पर निर्भरता खत्म हो जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरिया Urea fertilizer का आयात बिल शून्य हो जाएगा।

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बंद नहीं होगा दानेदार यूरिया का इस्तेमाल

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि सरकार नैनो डीएपी एवं नैनो उड़िया को बढ़ावा देकर दानेदार उर्वरकों को बंद करने वाली है, फिलहाल सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठा रही है। सरकार का पूरा फोकस उर्वरकों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। सरकार धीरे-धीरे यूरिया Urea fertilizer का आयात बिल्कुल बंद करना चाहती है इसके लिए सरकार ने 2025 के अंत तक की समय सीमा निर्धारित की है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में यूरिया का आयात (Urea Import) इससे पिछले साल के 91.36 लाख टन से घटकर 75.8 लाख टन रह गया। 2020-21 में यूरिया आयात 98.28 लाख टन, 2019-20 में 91.23 लाख टन और 2018-19 में 74.81 लाख टन था।

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने पिछले 10 साल में एग्री सेक्टर के लिए उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की है और प्रमुख फसल पोषक तत्वों पर सब्सिडी बढ़ाकर भारतीय किसानों (Indian Farmers) को वैश्विक बाजारों में उर्वरकों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी से भी बचाया है।

आयात बंद होने से सरकार एवं किसानों का फायदा

यूरिया Urea fertilizer के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने से सबसे बड़ा फायदा सरकार को होगा, क्योंकि सरकार वर्तमान में सबसे अधिक सब्सिडी यूरिया पर दे रही है। इसके साथ ही किसानों को भी फायदा मिलेगा। बताया जा रहा है कि नैनो डीएपी एवं नैनो उड़िया के इस्तेमाल पर सरकार सब्सिडी की शुरुआत करेगी। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी वहीं किसानों को आर्थिक फायदा भी मिलेगा। खेती में लागत कम होने से किसानों का मुनाफा बढ़ेगा।

25 फीसदी सब्सिडी देगी सरकार

भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO) ने पूरे भारत में किसानों के बीच नैनो-उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की है। इसमें कहा गया है कि नैनो उर्वरक यूजेज प्रोमोशन महाअभियान का उद्देश्य 800 गांवों को अपने दायरे में लाते हुए 200 मॉडल नैनो गांव क्लस्टर बनाना है, जहां किसानों को नैनो यूरिया प्लस, नैनो डीएपी और सागरिका (Sagarika) उर्वरकों के अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर 25 फीसदी सब्सिडी मिलेगी।

सरकार ने नैनो-उर्वरकों ((Nano Urea) को बढ़ावा देने के लिए 100-दिन की कार्ययोजना भी शुरू की है और 413 जिलों में नैनो डीएपी (लिक्विड) के 1,270 डेमो और 100 जिलों में नैनो यूरिया प्लस (लिक्विड) के 200 ट्रायल आयोजित करने की योजना बनाई है। इफको ने वर्ष 2024-25 में 4 करोड़ नैनो यूरिया प्लस (Nano Urea Plus) और 2 करोड़ नैनो डीएपी (Nano DAP) बोतलें बनाने का लक्ष्य रखा है। Urea fertilizer

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