कपास की फसल में फूल आने पर कौन सा खाद कब कब एवं कितना दें,

अगस्त के पहले पखवाड़े में कपास की फसल (Cotton Crop Advisory) के लिए किसानों को क्या करना चाहिए, आइए जानते है।

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

Cotton Crop Advisory | अगस्त का महीना खरीफ फसलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।

इस महीने में सोयाबीन में जहां फूल, धान में कल्ले एवं कपास की फसल में फुटाव होता है।

हम यहां बात करने वाले है की, अगस्त के महीने में कपास की फसल के लिए किसानों को क्या करना होगा।

अभी कपास की फसल 20 से 30 दिनों की हो गई है। ऐसे में किसानों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। आइए जानते है Cotton Crop Advisory अगस्त महीने में किसानों को क्या करना होगा…

अत्यधिक व असामयिक वर्षा के कारण सामान्यतः पौधों की ऊंचाई 1.5 मीटर से अधिक हो जाती है, जिससे उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

अतएव 1.5 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली मुख्य तने की ऊपर वाली सभी शाखाओं की छंटाई सिकेटियर (कैंची) से कर देनी चाहिए। इस छंटाई से कीटनाशक रसायनों के छिड़काव में आसानी होती है।

देसी कपास में अगस्त के पहले पखवाड़े में कपास से निकल रहे फुटाव को काट दें। इससे पैदावार बढ़ जाती है। Cotton Crop Advisory

कपास में फूल आने पर इतना खाद दें

अगस्त के महीने में फूल आने पर नेफ्थलीन एसीटिक एसिड 70 सी.सी. का छिड़काव अगस्त के अंत या सितम्बर के शुरू में करें।

इस छिड़काव से फूल व टिण्डे सड़ते नहीं व पैदावार ज्यादा मिलती है।

कपास में फूल Cotton Crop Advisory आने के समय नाइट्रोजन की बाकी आधी मात्रा दें, जो कि संकर कपास में 1/2 बैग, अमेरिकन कपास में 2/3 बैग होती है।

नाइट्रोजन देने से पहले खेत में नमी होनी चाहिए, परंतु पानी खड़ा नहीं होना चाहिए। वर्षा के बाद अतिरिक्त जल का निकास तुरंत होना चाहिए।

Cotton Crop Advisory यदि फूल आने पर खेत में नमी नहीं होगी, तो फूल और फल झड़ जाएंगे तथा पैदावार कम हो जायेगी।

एक तिहाई टिण्डे खुलने पर आखिरी सिंचाई कर दें। इसके बाद कोई सिंचाई न करें तथा खेत में वर्षा का पानी खड़ा न होने दें।

मूल विगलन रोग से बचाव के तरीके

मूल- विगलन रोग में पौधों की जड़ सड़ जाती है और छाल के नीचे पीला सा पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग से बचने के लिए अगेती बुआई करनी चाहिए। वीटावैक्स 0.1 प्रतिशत और ब्लाइटॉक्स 0.3 प्रतिशत प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीज को उपचारित करना चाहिए। Cotton Crop Advisory

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

पत्ती लपेटने वाले कीट से बचाव के तरीके

Cotton Crop Advisory ; कपास के पत्ती लपेटने वाले कीट की इल्लियां पत्तियों को लपेटकर एक खोल सा बना लेती हैं और अन्दर पत्तियों को खाती हैं। इनकी रोकथाम के लिए किसान भाई..

(1) गर्मियों में गहरी जुताई करें, ताकि प्यूपा धूप से नष्ट हो जाएं।

(2) इसके लार्वा को एकत्रित करके नष्ट कर देना चाहिए।

(3) फसल पर पत्ती लपेटने वाले कीट दिखाई देने पर अण्डा पैरासिटोइड ट्राइकोग्रामा 1.5 लाख प्रति हैक्टर की दर से खेत में प्रयोग करना चाहिए।

रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग कीटों के आर्थिक कगार पर पहुंचने के बाद ही करें। Cotton Crop Advisory

कपास की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले किट-रोग

अगस्त में कपास की फसल Cotton Crop Advisory पर हरा तैला, रोयेंदार सूंडी, चित्तीदार सूंडी, कुबड़ा कीट तथा अन्य पत्ती खाने वाले कीट का प्रकोप बढ़ जाता है।

हरा तैला कीट के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही कपास को नुकसान पहुंचाते हैं। ये हरे रंग के होते हैं, जो कि पत्तियों की निचली सतह पर रहते हैं।

ये टेढ़े चलते दिखाई देते हैं। इनके आक्रमण से पत्ते किनारों से पीले पड़ जाते हैं। नीचे की ओर मुड़ने लगते हैं, बाद में कपनुमा हो जाते हैं।

Cotton Crop Advisory ; पत्तियां पीली व लाल होकर सूख जाती है और जमीन पर गिर जाती हैं। पौधों की बढ़वार रुक जाती है व कलियां, फूल गिरने लगते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है। हरा तैला अगस्त में सर्वाधिक हानि पहुंचाता है।

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

सफेद मक्खी का प्रकोप सबसे ज्यादा देखा गया

सफेद मक्खी कीट का पिछले कुछ वर्षों से कपास में प्रकोप काफी Cotton Crop Advisory बढ़ रहा है। यह एक बहुभक्षी कीट है, जो कपास की प्रारंभिक अवस्था से लेकर चुनाई व कटाई तक फसल में रहता है।

इस कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों की निचली सतह पर रहकर रस चूसते हैं। प्रौढ़ 1-1.5 मि.मी. लम्बे, सफेद पंखों व पीले शरीर वाले होते हैं। जबकि शिशु हल्के पीले, चपटे होते हैं।

ये फसल को दो तरह से नुकसान पहुंचाते हैं। एक तो रस चूसने की वजह से, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।

दूसरा पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ने की वजह से, जिस पर काली फफूंद उग जाती है और पौधे के आहार बनाने की प्रक्रिया में बाधा डालती है। Cotton Crop Advisory

यदि अगस्त-सितम्बर माह में सफेद मक्खी कीट का आक्रमण हो जाए तो, सफेद मक्खी के आर्थिक कगार पर पहुंचने पर मैटासिस्टाक्स 25 ईसी व एक लीटर नीम आधारित कीटनाशक या 300 मि.ली. डाइमेथोएट 30 ईसी का बारी-बारी से 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

यह भी पढ़िए….👉 धान की फसल का है ये सबसे बड़ा दुश्मन, कीट-रोग से भी ज्यादा पहुंचा है नुकसान, जानिए डिटेल..

👉पूसा बासमती 1718 सहित उच्चतम विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली बासमती धान की 3 किस्मों के बारे में जानें..

👉45 दिन तक सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण करने वाली खरपतवार नाशक दवाई के बारे में जानिए ..

प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.

Leave a Comment