खरीफ फसलों की बोवनी हो चुकी है। आइए जानते हैं सीजन के दौरान खरीफ फसलों के भाव kharif crops prices क्या रहेंगे…
kharif crops prices : बारिश का एक से अधिक महीना बीत चुका है। अब तक खरीफ फसलों की बुवाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। खरीफ फसलों का भविष्य मानसून पर निर्भर रहता है। खरीफ फसलों की पैदावार अच्छी होने से भाव सामान्य बने रहते हैं, किंतु यदि मानसून की बारिश अच्छी नहीं होती है तो खरीफ फसलों के भाव में उतार-चढ़ाव आता है। दूसरी ओर खरीफ फसलों की बुवाई से भी खरीफ फसलों के भाव क्या रहने वाले हैं।
व्यापारी वर्ग इसका आकलन अभी से लगाने लगे हैं। हाल ही में कृषि विभाग ने खरीफ फसलों kharif crops prices की बुवाई के आंकड़े जारी किए हैं। आइए इन आंकड़ों के माध्यम से जानते हैं कि खरीफ फसलों के भाव वर्ष 2023 में क्या रहने वाले हैं...
खरीफ की इन फसलों की बोवनी पिछड़ी
कृषि विभाग ने बोवनी आकड़ों जारी किए हैं, जिसके अनुसार इस साल सभी दलहन तुवर, उड़द, मूंग के साथ मूंगफली और कपास की बोवनी kharif crops prices भी पिछले साल की तुलना में पिछड़ गई है। तुवर बोवनी पिछले साल से 16 फीसद घटकर 31.51, उड़द की 14 फीसद घटकर 25.83, मूंग की 7 फीसद घटकर 27.64 लाख हेक्टेयर में दर्ज की। मूंगफली बोवनी पिछले साल से 2.6 फीसद घटकर 37.58, कपास की मामूली घटकर 116.75 लाख हेक्टयर पहुंची।
कृषि विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जुवार की बोवनी पिछले साल के बराबर रही है, यानी 10.58 लाख हेक्टयर और बाजरा की 60.6 (पिछले वर्ष 5.8) लाख हेक्टेयर में दर्ज हुई। सोया बोवनी पिछले साल से 3.7 फीसद बढ़कर 120 लाख हेक्टेयर के करीब पहुंची। उड़द, मूंग की बोवनी की अवधि समाप्ति की ओर है, वहीं तुवर बोवनी अगले 10 दिन और होने की उमीद है।
मूंगफली, सोया व कपास बोवनी kharif crops prices का समय लगभग खत्म हो गया है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ फसलों की बोवनी की गति पिछले साल से धीमी पड़ी है। एक वैज्ञानिक के अनुसार अगस्त के दूसरे सप्ताह में बारिश की गति धीमी पड़ सकती है। उत्तर भारत में बारिश से कई लाख हेक्टयर फसल खराब हुई है।
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इन इलाकों में धान बोवनी पिछड़ी
कृषि विभाग द्वारा जारी kharif crops prices आंकड़ों के अनुसार 1-28 जून तक बिहार में बारिश औसत -49, झारखंड में -48, पूर्वी उत्तर प्रदेश में -35, पश्चिम बंगाल में -40 फीसदी रहा। पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण बिहार के 38 में से 25 जिलों में, झारखंड के 24 में से 16, उत्तर प्रदेश के 75 में से 33, पश्चिम बंगाल के 19 में से 14 जिलों में धान की बोनी पिछड़ गई।
सोयाबीन की बुवाई का आंकड़ा बेहतर हुआ
मानसून के बीते दौर के बाद अब सोयाबीन की बुवाई kharif crops prices में आई कमी पाट ली गई है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार 28 जुलाई तक की स्थिति में सोयाबीन की बुवाई देश में कुल 119.908 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो गई है। बीते वर्ष इस समय बुवाई का क्षेत्रफल 115.628 लाख हेक्टेयर था। मप्र में 52.832 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है, जो बीते वर्ष से करीब दो लाख हेक्टेयर ज्यादा है। महाराष्ट्र ने कुल 46.358 लाख हेक्टेयर के साथ बीते वर्ष से 1.63 प्रतिशत ज्यादा क्षेत्रफल में सोयाबीन बुवाई हुई है।
खरीफ फसलों के भाव 2023 में क्या रहेंगे
इस वर्ष अब तक मानसून की स्थिति देशभर में अनियमित रही। अनियमित मानसून के कारण कहीं पर अधिक बारिश हुई तो कहीं पर कम। नतीजतन खरीफ फसलों kharif crops prices की बुवाई का कार्य प्रभावित हुआ।
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिन फसलों की बुवाई का कार्य प्रभावित हुआ एवं खरीफ की जिन फसलों की बुवाई कम हुई है, उनके भाव बढ़ेंगे। इस लिहाज से देखा जाए तो इस वर्ष सोयाबीन के भाव स्थिर रहने वाले हैं एवं तुवर, उड़द, मूंग, मूंगफली, कपास एवं धान के भाव kharif crops prices में बढ़ोतरी होगी।
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उड़द के भाव में 200 रुपए तक की तेजी आई
खरीफ सीजन kharif crops prices में मप्र में सबसे अधिक उड़द की बोवनी की जाती है। इस सीजन झांसी लाइन में उड़द के स्थान पर मूंगफली, धान (बासमती) की बोवनी बढ़ी है। स्थानीय किसानों के अनुसार, पिछले चार वर्ष से अक्टूबर में बारिश से उड़द की फसल खराब हो रही है। मूंगफली उपज अच्छी रहती है, इसलिए इसकी बोवनी बढ़ी है।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में मानसून में देरी के कारण उड़द की बोवनी काफी कम हो पाई है। राजस्थान में उड़द की बोवनी और फसल अच्छी है और मौसम अभी तक अनुकूल बताया जा रहा है। अगर इस महीने उड़द का आयात अच्छा नहीं हुआ तो बाजार में तेजी की स्थिति बन सकती है। हालांकि, बर्मा में उड़द का बड़ा स्टाक मौजूद है जो kharif crops prices बड़ी तेजी पर लगाम लगा सकता है। फिलहाल उड़द बाजार घरेलू फसल की स्थिति पर काफी निर्भर करेगा।
इधर पिछले 1 सप्ताह के दौरान उड़द के भाव में 200 रुपए तक की तेजी आ चुकी है। व्यापारियों के अनुसार बर्मा से कम भाव में बिकवाली रुकने से भारतीय बाजारों में उड़द की शार्टेज बनने लगेगी। मिलों को अच्छी क्वालिटी की उड़द सुगमता से नहीं मिल रही है। इस वजह से पिछले सात-आठ दिन में उड़द दाल में करीब 200 रुपये क्विंटल की तेजी आ चुकी है। घरेलू खरीफ बोवनी से भी उड़द का सेंटीमेंट मजबूत है, लेकिन बर्मा में उड़द काफी स्टाक मौजूद होने से अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। kharif crops prices
इधर कमजोर आवक से चना व मसूर में तेजी आई
मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की उत्पादक मंडियों में देशी चने की आवक बेहद कम हो गई है। पिछले दिनों तेजी के दौर में व्यापारी सरकारी दहशत से ज्यादातर स्टाक बेच चुके हैं, जिससे अच्छी क्वालिटी की भारी शार्टेज बनी हुई है। वहीं चना दाल और बेसन में त्योहारी डिमांड आने के कारण अच्छी क्वालिटी के चने की मांग एक बार फिर बाजार में आना शुरू हो गई है। इससे बेस्ट क्वालिटी के चने के दाम तेजी का वातावरण बनने लगा है। kharif crops prices
व्यापारियों का कहना है कि दाल मिलों के पास चने का स्टाक नहीं के बराबर है, जिससे वर्तमान दामों पर और तेजी नजर आ रही है। गुरुवार को चना कांटा 50 रुपये और बढ़कर 5400-5450 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इधर, चना दाल में भी लेवाली जोरदार रहने से 100 रुपये की नई तेजी देखने को मिली है। वहीं, मसूर का स्टाक भी कमजोर बताया जा रहा है। मंडियों में आपूर्ति भी घट गई है, जिससे चलते सरकार की सख्ती के बावजूद पिछले दो-तीन दिनों से मसूर के दाम धीरे-धीरे रोजाना बढ़ रहे हैं। गुरुवार को मसूर 50 रुपये और बढ़कर 5800-5850 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। kharif crops prices
काबुली चने के भाव 100 रुपए तेज हुए
kharif crops prices व्यापारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश एवं बिहार में छोटी मसूर की आवक टूटने लगी है, जबकि फसल आए अभी पांच महीने ही हुए है। कनाडा में भी ज्यादा घटाकर बिकवाल नहीं है। ऐसे में मसूर में भी मंदी नजर नहीं आ रही है। तुवर और उड़द दाल में लेवाली जोरदार रहने से तुवर दाल में 100 और उड़द दाल में 50 रुपये की तेजी दर्ज की गई।
काबुली चने की आवक बारिश की वजह से कम होने और डिमांड अच्छी होने के कारण 100 रुपये की तेजी दर्ज की गई। कंटेनर में डालर चना (40/42) 14900, (42/44) 14700, (44/46) 14500, (58/60) 12600, (60/62) 12500, (62/64) 12400 रुपये क्विंटल के भाव बोले गए। अन्य दाल-दलहन की कीमतों में स्थिरता रही।
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