एमपी के 31 जिलों में औसत से कम बारिश, पैदावार घटने की संभावना, किसान फसलों को ऐसे बचाएं

MP Monsoon Updates मानसून शिथिल हो चुका है इसका असर फसलों पर पड़ने लगा है फसल बचाने के लिए किसान यह उपाय करें…

MP Monsoon Updates : अगस्त माह का दूसरा सप्ताह मध्य प्रदेश के लिए सूखा सूखा बीता। वहीं आगामी 4 से 5 दिनों तक और बारिश होने की संभावना नहीं है। जबकि देखा जाए तो सबसे अधिक बारिश अगस्त माह के दौरान होती है। जुलाई एवं अगस्त दोनों माह को मिलाकर प्रदेश के 31 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है। इन जिलों में से 8 जिलों में तो सूखे की स्थिति है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तीन-चार दिन तक अच्छी बारिश होने की संभावना नहीं है। बारिश नहीं होने से किसान चिंतित होने लगे हैं। किसानों की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि बारिश नहीं होने की दशा में जहां फसलें मुरझाने लगी है वहीं मौसम MP Monsoon Updates सूखा रहने एवं धूप निकलने के कारण पैदा हुई गर्मी एवं उमस के चलते कीट- इल्लियों का प्रकोप बढ़ने लगा है।

प्रदेश के 31 जिलों में औसत से कम बारिश

MP Monsoon Updates प्रदेश में 5 अगस्त से ही तेज बारिश नहीं हुई है। ऐसा ही अगला एक सप्ताह भी रहेगा। बारिश नहीं होने से ओवरऑल बारिश का आंकड़ा तेजी से कम हो रहा है। बारिश के आंकड़ों में पश्चिमी हिस्सा पिछड़ गया है। पूर्वी हिस्सा भी पिछड़ने लगा है। सीजन में पहली बार पश्चिमी हिस्से में बारिश का आंकड़ा 2% कम हो गया है। यहां के 31 जिलों में अब तक 21.22 इंच बारिश होना चाहिए थी, जबकि 20.77 इंच बारिश हुई है। दूसरी ओर, ओवरऑल बारिश का आंकड़ा अब 1% ही ज्यादा है। पूर्वी मध्यप्रदेश में औसत से 4% अधिक और पश्चिमी हिस्से में औसत से 2% कम बारिश दर्ज की गई है।

मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश MP Monsoon Updates में 52 जिलों में से सिर्फ सात जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज हुई है। 8 जिलों में सामान्य से 23 से 29 प्रतिशत तक कम वर्षा दर्ज हुई है। प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश नरसिंहपुर में हुई है। यहां अब तक हुई बारिश का आंकड़ा 35 इंच से ज्यादा है। सिवनी-मंडला में 32 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है।

इंदौर, जबलपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, सागर, शहडोल, नर्मदापुरम और रायसेन में 28 इंच से अधिक बारिश हो चुकी है।बालाघाट, कटनी, निवाड़ी, पन्ना, उमरिया, बैतूल, भिंड, देवास, हरदा, रतलाम, सीहोर और विदिशा में बारिश का आंकड़ा 24 इंच के पार पहुंच गया है। जबकि प्रदेश के सतना, अशोकनगर, बड़वानी, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन, मंदसौर और मुरैना में कम बारिश हुई है। यहां आंकड़ा 16 इंच को भी नहीं छू सका है। MP Monsoon Updates

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आने वाले समय में कैसा रहेगा मौसम

मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी एसएन साहू ने बताया कि MP Monsoon Updates वर्तमान में उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं उससे लगे बिहार पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। मानसून द्रोणिका वर्तमान में अमृतसर, चंडीगढ़, बहराईच, मुजफ्फरपुर से होते हुए मणिपुर तक जा रही है। पाकिस्तान के आसपास एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। गुजरात के आसपास भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। इसके अतिरिक्त बंगाल की खाड़ी में आंध्रा के तट पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है।

मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर बनी इन मौसम प्रणालियों का फिलहाल मध्य प्रदेश के मौसम MP Monsoon Updates पर विशेष असर नहीं पड़ रहा है। इस वजह से प्रदेश में फिलहाल मानसून की गतिविधियां शिथिल बनी हुई हैं। हालांकि वातावरण में नमी मौजूद रहने एवं हवाओं का रुख पश्चिमी बना रहने से अधिकतर जिलों में आंशिक बादल बने हुए हैं।

साथ ही तापमान बढ़ने की स्थिति में कहीं-कहीं बौछारें भी पड़ रही हैं। मौसम का इस तरह का मिजाज अभी तीन-चार दिन तक बना रह सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार 18 अगस्त के बाद सिस्टम एक्टिव हो सकता है। हालांकि, पूर्वी हिस्से में एक्टिविटी होने से वहां तेज बारिश हो सकती है। MP Monsoon Updates

खरीफ की फसलों पर पड़ सकता है असर

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एक सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो खरीफ की सभी फसलों को काफी नुकसान पहुंचने की आशंका है। तापमान बढ़ने से सोयाबीन-दलहनी जैसी फसलों पर संकट खड़ा हो सकता है। पौधों पर कीट अटैक और फफूंद लगने की आशंका है। उधर, शनिवार को सुबह साढ़े 11 बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक नर्मदापुरम में एक मिलीमीटर बारिश हुई। उज्जैन में बूंदाबांदी हुई। MP Monsoon Updates

फसलों की देखरेख करने की जरूरत

मौसम वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने बताया कि उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र के ग्वालियर, चंबल, सागर, रीवा, नर्मदापुरम, शहडोल, जबलपुर संभाग में पिछले सप्ताह अच्छी बारिश ही हुई है, जो धान की रोपाई और आगे के लिए भी ठीक रहा। हालांकि, 10 से 15 दिन बारिश नहीं होगी। इसके चलते जहां जलभराव नहीं हुआ या पर्याप्त बारिश नहीं हुई, वहां सिंचाई की जरूरत पड़ सकती है।

MP Monsoon Updates पश्चिमी मध्यप्रदेश के इंदौर, उज्जैन और भोपाल संभाग के हिस्सों में पिछले 10 से 12 दिन में अच्छी बारिश नहीं हुई है। सोयाबीन या दलहनी फसलें हैं, उनमें पानी की कमी की वजह से पत्ते पीले पड़ सकते हैं या फिर फफूंद की स्थिति देखने को मिल सकती है। ऐसे में किसानों को फसलों की देखरेख करने की जरूरत रहेगी।

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फसलों को बचाने के लिए किसान यह करें

कृषि विशेषज्ञ एवं पूर्व संचालक कृषि डा. जीएस कौशल ने बताया कि मानसून के शिथिल पड़ने से फसलों के सूखने का खतरा बढ़ गया है। यदि एक सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो उड़द, मूंग, अरहर, सोयाबीन, गन्ना, धान आदि की फसलों को काफी नुकसान पहुंचेगा। जिन किसानों के पास साधन हैं, उन्हें खेतों में निंदाई, गुड़ाई करने के बाद सिंचाई शुरू कर देना चाहिए। MP Monsoon Updates

भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान इंदौर ने इस सप्ताह के लिए सोयाबीन कृषकों को उपयोगी सलाह दी है कि :–

MP Monsoon Updates वर्तमान में सोयाबीन की खेती किये जाने वाले क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल फूल आने की अवस्था में है। ऐसे में फसल पर चक्र भृंग, तना मक्खी तथा तम्बाकू की इल्ली जैसे कीटों तथा एन्थ्राक्नोज, रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट, पीला/सोयाबीन मोज़ेक वायरस रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। कृषकों को सलाह है कि अपनी फसल की सतत निगरानी करें तथा किसी भी कीट या रोग के लक्षण दिखने पर निम्नानुसार नियंत्रण के लिए यह उपाय अपनाएं –

कुछ क्षेत्रों में फफूंदजनित रोगों के साथ साथ इल्लियों द्वारा फूलों को खाने के समाचार प्राप्त हुए हैं, अतः कीट एवं रोगों से फसल की सुरक्षा हेतु अनुशंसित कीटनाशकों/फफूंदनाशकों का छिडकाव करें, भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो। MP Monsoon Updates

फफूंदजनित रोगों के प्रकोप से सुरक्षा हेतु कृषकों को सलाह हैं कि अपनी फसल पर सुरक्षात्मक रूपसे टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250ग्राम/हे) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52%w/wSC (400 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC(300 ग्रा/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50g/l SE (750 मिली/हे)या में से किसी एक अनुशंसित फफूंदनाशकों का तुरंत छिडकाव करें।

महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के कुछ क्षेत्र जहाँ पर कई दिनों से बारिश नहीं होने से सूखी भूमि में सफ़ेद सुंडी का प्रकोप देखा जा रहा है। अतः सलाह है की इसके नियंत्रण हेतु खेत मे प्रकाश प्रपंच लगाएं एवं व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र होने पर नष्ट करें। साथ ही फसल पर क्लोरपायरीफॉस (2% दानेदार @ 16 किग्रा/हे) का सोयाबीन की फसल में पौधों में बीच छिडकाव करें। MP Monsoon Updates

महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में विगत वर्षो से घोंघे (snails/गोगलगाय) द्वारा सोयाबीन की पत्तियों को खाने की समस्या बढती जा रही हैं। कृषकों को सलाह है कि वे सतर्क रहें एवं अपने खेतों में सतत निगरानी करते रहें। इसके लिए जुट के बोरे को लिए गुड के द्रावन में भिगोकर अपने खेत में रात को रखें एवं अगले दिन निरीक्षण करें। इस बोरे के नीचे घोंघे पाए जाने पर उनको इकट्ठा करे एवं नमक के घोल में डालकर नियंत्रण करें। MP Monsoon Updates

साथ ही सुरक्षात्मक रूप से अपने खेत के चारों ओर चूने की लकीर डालकर घोंघे को आने से रोके। समस्या अधिक होने पर सोयाबीन के लिए अनुशंसित संपर्क कीटनाशक जैसे मेलाथिओंन 50 ईसी. (1500 मिली/हे) या लैम्बडासायहेलोथ्रिन 4.90% सी.एस. (300 मिली/हे) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 इ.सी. (333 मिली/हे) का फसल एवं जमींन पर छिडकाव करें। MP Monsoon Updates

पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजैक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें. इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC (200 मिली/हे) का भी छिडकाव किया जा सकता हैं. इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषक गण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।

चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/WDc (10% W/V) DC (600 मिली/हे) या एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7एस.सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट 01.90% ई.सी. (425 मिली/ है ) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी 18.50 % SC का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे केग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें। MP Monsoon Updates

पत्ती खाने वाली इल्लियाँ (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) के एक साथ नियंत्रण हेतु निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें : एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%वग (250ग्रा./हे) या ब्रोफ्लानिलाइड 300 एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., (250-300मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे )

या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली/हे केवल तम्बाकू की इल्ली के नियंत्रण हेतु), या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है :सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC, (200 मिली/हे सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण के लिए) का छिडकाव करें. इनसे पत्ती खाने वाली इल्लियों के साथ -साथ फूल खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण हो सकेगा। MP Monsoon Updates

जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/एफिड एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें। MP Monsoon Updates

जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0 ली./हेक्टे) का छिडकाव करें ।

कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाएं। इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है। MP Monsoon Updates 

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