अधिक पैदावार के लिए करें चना की इन 2 किस्मों की बुवाई, 35 क्विं. हेक्टेयर तक निकलेगी उपज

आइए जानते है कौन सी है वह चना की 2 नई किस्में (New Gram Varieties) एवं इनसे किस प्रकार अधिक उपज निकाली जा सकती है।

New Gram Varieties | दलहन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में चने की महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकार द्वारा प्रदत्त विभिन्न योजनाओं, बढ़ती जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने किसानों को चने की तकनीकी खेती के लिए प्रेरित किया है।

चना रबी मौसम की मुख्य फसल है तथा इसके पोषक मूल्य एवं कम लागत में उत्पादन के कारण व्यापक रूप से इसका उत्पादन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक किया जाता है।

चना की खेती से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए सबसे जरूरी है अच्छी किस्म का चयन करना।

अगर आप भी चना की खेती करने का मन बना रहे है तो, हम आपको यहां बताएंगे चना की 2 बेहतरीन नई किस्मों New Gram Varieties के बारे में। आइए आपको बताते है कौन सी है वह चना की 2 नई किस्में…

New Gram Varieties | यह है वह चना की 2 नई किस्में

1. IPCMB19-3 समृद्धि चना किस्म : चना की IPCMB19-3 समृद्धि किस्म को राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान केंद्र द्वारा तैयार किया गया है। यह एक देसी वैरायटी है। जिसका दाना बोल्ड 99% बिल्डिर्डोडी पाया गया है।

इस किस्म से किसान 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन ले सकते है। व्यवहारिक जलवायु एवं स्थिति के अनुसार 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा पैदावार ली जा सकती है।

2. चना की RVG204 किस्म : चना की RVG204 किस्म को राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर से संबंध सीहोर कृषि विद्यालय द्वारा तैयार किया गया है।

जो मैकेनिकल हार्वेस्टिंग के लिए उपयुक्त अधिकतम दो पानी देसी दाल वाली किस्म 17 से 22 कुंतल एवरेज यील्ड अधिकतम 34 कुंतल तक पैदावार ले सकते है। बात करें अवधि की तो, यह New Gram Varieties किस्म 115 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

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New Gram Varieties | चना की खेती के लिए बीज उपचार

रोग नियंत्रण हेतु : उकठा एवं जड़ सड़न रोग से फसल के बचाव हेतु 2 ग्राम थायरम 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के मिश्रण से प्रति किलो बीज को उपचारित करें या बीटावैक्स 2 ग्राम / किलो से उपचारित करें।

कीट नियंत्रण हेतु : थायोमेथोक्सम 70 डब्ल्यू. पी. 3 ग्राम / किलो बीज की दर से उपचारित करें।

New Gram Varieties | चना की बुआई 

असिंचित अवस्था में चना की बुआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह और नवंबर के पहले सप्ताह तक कर दें। चने की बुआई धान की फसल काटने के बाद भी की जाती है, ऐसी स्थिति में बुआई दिसंबर के मध्य तक अवश्य कर लें।

बुआई में अधिक विलम्ब करने पर पैदावार कम हो जाती है, तथा चना फली भेदक का प्रकोप भी अधिक होने की सम्भावना बनी रहती है। अत: अक्टूबर और नवंबर माह चना की बुआई के लिए सर्वोत्तम होता है।

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New Gram Varieties | बुआई की विधियां

• समुचित नमी में सीडड्रिल से बुआई करना उचित माना जाता है एवं खेत में नमी कम होने पर बीज को नमी के सम्पर्क में लाने के लिए गहरी बुआई कर पाटा लगायें। पौध संख्या 25 से 30 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से रख पंक्तियों (कूंडों) के बीच की दूरी 30 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखें।

• सिंचित अवस्था में काबुली चने में कंडों के बीच की दूरी 45 से.मी. रखें।

• देरी से बोनी की अवस्था में पंक्ति से पंक्ति की दूरी घटाकर 25 से.मी. रखें। : New Gram Varieties

चना की खेती के लिए सिंचाई प्रबंधन

चने की खेती कम पानी में भी की जा सकती है। चने की फसल लगभग तैयार होने तक 2 से 3 बार सिंचाई करनी होती है, क्योंकि चने की फसल की बुआई करने के 45 दिनों बाद पानी की जरूरत पड़ती है

या फिर फसल बोने के 75 दिनों बाद सिंचाई करें, लेकिन चने की बिजाई करते समय हमें एक बार पहले अच्छे से जमीन में सिंचाई करने की आवश्यकता होती है फव्वारा सिस्टम से चने की फसल में एक बार में कम से कम 3 घंटे तक पानी देना सही है। : New Gram Varieties

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